क्या भाजपा का अगला टारगेट पश्चिम बंगाल है ?

Is BJP's next target West Bengal?

अशोक भाटिया

दिल्ली चुनाव में मिली जीत ने भाजपा का आत्मविश्वास बढ़ा दिया है। दिल्ली में करीब 28 साल बाद भाजपा की सरकार बनी इस जीत के बादभाजपा बंगाल में ममता बनर्जी का किला ध्वस्त करने में लग गई है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में भारी जीत के साथ ही भाजपा नेताओं की नजर अब फिर से बंगाल पर टिक गई है। बंगाल के भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं ने इंटरनेट मीडिया पर लिखना शुरू कर दिया कि इस बार लक्ष्य बंगाल, 2026 में बंगाल की बारी। वहीं, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष व केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार के मुताबिक बड़े पैमाने पर वित्तीय भ्रष्टाचार, लोकलुभावन योजनाओं, दान वितरण और व्यक्तिवाद के आरोप ही वे तीन मुख्य तत्व हैं जो दिल्ली की तरह बंगाल की राजनीति में समान हैं।

बंगाल में अपनी जीत को पक्का करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हालिया तीन बार चक्कर लगा चुके है व करोड़ों रुपयों की परियोजनाओं का ऐलान कर चुके है . ताज़ा दौरे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ममता बनर्जी की अगुवाई वाली टीएमसी सरकार को दोबारा निशाने पर लिया। प्रधानमंत्री मोदी ने राज्य के शिक्षक भर्ती घोटाले का जिक्र करते हुए कहा है टीएमसी ने भ्रष्टाचार की हदें पार कर दी हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कह कि टीएमसी सरकार ने न सिर्फ गलत ढंग से नौकरी दी बल्कि शिक्षकों के परिवारों को तबाह कर दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि टीएमसी के भ्रष्टाचार के कारण बंगाल में मची चीख-पुकार, लोग कह रहे हैं कि अब नहीं चाहिए टीएमसी की सरकार। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि टीएमसी के नेता भ्रष्टाचार में डूबी हुई है। वह कट और कमीशन की मांग कर रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने पश्चिम बंगाल सरकार की तुलना निर्मम सरकार से की, हालांकि उन्होंने अपने संबोधन में ममता बनर्जी का नाम नहीं लिया। उन्होंने टीएमसी सरकार कहकर ही हमला बोला।

प्रधानमंत्री मोदी ने बंगाल कि जनता से कहा कि पश्चिम बंगाल कई संकटों से घिरा हुआ है। पहला संकट समाज में फैली हिंसा और अराजकता है। दूसरा संकट माताओं-बहनों का असुरक्षा है। तीसरा संकट नौजवानों में घोर निराशा आ रही है। टीएमसी अपनी गलती मानने के लिए तैयार नहीं है। घोटालेबाजों ने सैकड़ों लोगों को अंधकार में धकेल दिया। टीएमसी सरकार दोषियों को बचाने की कोशिश में है। उन्होंने सवाल किया कि टीएमसी सरकार को गरीबों की कमाई पर डाका डाल रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मुर्शिदाबाद में जो कुछ हुआ, मालदा में जो कुछ हुआ।वो यहां की टीएमसी सरकार की निर्ममता का उदाहरण है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि बंगाल में केंद्र सरकार की योजनाओं को लागू नहीं किया गया है। उन्होंने आयुष्मान योजना से लेकर प्रधानमंत्री सड़क योजना का जिक्र किया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि टीएमसी की सरकार को विकास से कोई लेनादेना नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा 90 हजार करोड़ के प्रोजेक्ट को बंगाल सरकार ने रोका हुआ है। प्रधानमंत्री मोदी ने इनमें हाईवे और मेट्रो जैसे प्रोजेक्ट शामिल हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा टीएमसी सरकार ने लटकाकर रखा है। प्रधानमंत्री मोदी ने सत्ताधारी पार्टी स्वार्थ की राजनीति कर रही है। उन्होंने बंगाल में बंद रहे टी-गार्डन का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि टीएमसी सरकार को आदिवासियों से कोई लगाव नहीं है। टीएमसी आदिवासी समाज को वंचित रखना चाहती है। पार्टी ने आदिवासी महिला राष्ट्रपति का विरोध किया। जनमन योजना भी लागू नहीं होने दी जा रही है।टीएमसी के नेताओं ने पाप किया है। बंगाल में कोर्ट को बार-बार दखल देना पड़ता है। बंगाल में चीख पुकार, नहीं चाहिए निर्मम सरकार । बंगाल में गुंडागर्दी की खुली छूट दी गई है। बंगाल की जनता को टीएमसी पर नहीं, कोर्ट पर भरोसा है। सत्ताधारी दल के नेता ही लोगों के घरों को जलाते हैं।

इधर अमित शाह भी बंगाल का किला फतह करने में कोई कोए कसर नहीं छोड़ रहे है . उनकी पहचान भाजपा के ‘चाणक्य’ के रूप में होती है। शाह के लिए यह विशेषण यूं ही नहीं बन गया है। शाह ने चुनावी राजनीति में गुजरात से लेकर दिल्ली तक अपनी काबिलियत को साबित किया है। पार्टी अध्यक्ष के रूप में शाह ने भाजपा को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई है। प्रधानमंत्री मोदी के साथ उनके तालमेल की तो मिसाल दी जाती है। कहा जाता है कि शाह जो लक्ष्य तय करते हैं उसे हर हाल में पूरा करके ही छोड़ते हैं। अब पार्टी के इस कुशल रणनीतिकार ने अपने लिए पश्चिम बंगाल को बड़े लक्ष्य के रूप में तय किया है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर शाह ने यह लक्ष्य क्यों रखा है। जानते हैं इसके बारे में।अप्रैल-मई में लोकसभा चुनाव और आरजी कर की घटना के बाद शाह हाल ही में पहली बार पश्चिम बंगाल के दौरे पर पहुंचे थे। शाह ने यहां पार्टी की सदस्यता अभियान की शुरुआत की। इसके साथ ही शाह ने घोषणा की किभाजपा का ‘अगला बड़ा लक्ष्य’ 2026 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में सरकार बनाना है।

गौरतलब है कि बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में बंगाल से 30 से अधिक सीट जीतने का लक्ष्य रखा था, लेकिन उसे 2019 की तुलना में छह कम यानी 12 सीट पर जीत मिली। पश्चिम बंगाल में 42 लोकसभा सीट हैं। राज्य में संदेशखाली का मुद्दा काफी गरम रहा था। इस मुद्दे को लेकरभाजपा ने महिला सुरक्षा को लेकर सरकार को घेरने का पुरजोर प्रयास किया था। पार्टी ने संदेशखाली पीड़ित में से एक रेखा पात्रा बशीरहाट लोकसभा सीट से पार्टी का उम्मीदवार बनाकर एक संदेश देने की कोशिश भी की थी। प्रधानमंत्री मोदी ने रेखा पात्रा को शक्ति स्वरूपा तक कहा था। इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी खुद बंगाल जाककर संदेशखाली की पीड़ित महिलाओं से मिले थे। हालांकि,भाजपा महिला सुरक्षा जैसे मजबूत मुद्दे को भुनाने में असफल रही थी। इससे पार्टी को बड़ा झटका लगा था। ऐसे में शाह में संदेशखाली मुद्दे को पार्टी की तरफ से नहीं भुना पाने की टीस तो जरूर रही होगी। ऐसे में शाह नहीं चाहते हैं कि वह अगली बार विधानसभा चुनाव में किसी भी तरह से पिछड़ें।

देखा जाय तो इस समय पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी लगातार अपनी स्थिति मजबूत किए हुए हैं। पश्चिम बंगाल में अब तक मोदी लहर से लेकर शाह की रणनीतिक बेअसर रही है।भाजपा तमाम कोशिशों के बावजूद यहां मजबूत स्थिति में खुद को नहीं पहुंचा पाई है। ममता ने विधानसभा चुनाव के बाद लोकसभा चुनाव में भी अपनी ताकत का अहसास दिया है। बंगाल में लोकसभा चुनाव में जीत से ममता यह संदेश देने में कामयाब रही हैं कि बंगाल में उनका अभी कोई विकल्प नहीं है। राजनीतिक विश्लेषकों के साथ ही लोगों के एक वर्ग में यह राय भी बन गई है किभाजपा का जादू बंगाल में फेल हो जाता है। ऐसे में शाह के सामने सबसे बड़ी चुनौती बंगाल में ममता को पटखनी देकरभाजपा का दम दिखाना है।

अमित शाह ने 2026 में होने वाले विधानसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल में दो तिहाई बहुमत हासिल करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। शाह ने पार्टी सदस्यों से राज्य में अपने प्रभाव को कम नहीं आंकने का आग्रह किया है। शाह एक कुशल रणनीतिकार की तरफ से कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं।भाजपा ने राज्य में सदस्यता अभियान के दौरान पिछली बार 88 लाख से अधिक सदस्य बनाए थे। मौजूदा समय में पार्टी में अधिक सांसद और विधायक हैं। ऐसे में पार्टी का लक्ष्य एक करोड़ सदस्यों को पार करना है। पार्टी कार्यकर्ताओं को यह विश्वास दिला रही है कि वे चुनौती को स्वीकार करते हुए पार्टी के लक्ष्य को हासिल करने में जुट जाएं।

इस समय मजबूत संगठन, नए चेहरों को लाना भी एक चुनौती है क्योकि भाजपा का राज्य में प्रदर्शन टुकड़ो-टुकड़ों में रहता है। पार्टी एक साथ पूरे राज्य में मजबूत नजर नहीं आती है। नार्थ परगना, साउथ परगना, कोलकाता, हावड़ा और हुगली में पार्टी का संगठन तुलनात्मक रूप से कमजोर है। इस क्षेत्र में 16 लोकसभा सीटों आती हैं। 2019 के चुनाव मेंभाजपा ने 16 में से महज 3 सीटे ही जीती थी। इस बार यह प्रदर्शन और भी कमजोर रहा। राज्य में दिलीप घोष, सुवेंदु अधिकारी, तापस रॉय जैसे गिने-चुने ही चेहरे नजर आते हैं। ऐसे में शाह की नजर राज्य में क्षेत्रीय स्तर पर मजबूत चेहरों को सामने करने की होगी। इस तरह शाह के लिए पश्चिम बंगाल में अगले दो साल रणनीतिक रूप से काफी अहम है। शाह के सामने ममता के मजबूत किले को ध्वस्त करने की चुनौती है।

इस बीच बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने कहा कि बंगाल में आवास योजना के तहत एक लाख 20 हजार रुपये दिए जा रहे हैं। इस पैसे से घर नहीं खरीदा जा सकता। भाजपा सत्ता में आई तो आवास योजना के तहत एक लाख 80 हजार रुपये दिए जाएंगे। वहीं, जिन लोगों को आवास योजना का लाभ नहीं मिला है, उन्हें सीधे तीन लाख रुपये दिए जाएंगे। प्रदेश भाजपा के मुख्य प्रवक्ता व राज्य सभा सदस्य शमिक भट्टाचार्य ने कहा कि भाजपा सत्ता में आई तो हम महिलाओं को मौजूदा सरकार की लक्ष्मी भंडार परियोजना के तहत मिलने वाली राशि से अधिक देंगे।

इसके अलावा संघ प्रमुख मोहन भागवत फरवरी में 10 दिनों के लिए बंगाल दौरे पर थे। सूत्र बताते हैं कि इस दौरान भागवत ने भाजपा की जीत के लिए ब्लूप्रिंट तैयार किया। भागवत के बंगाल से जाने के बाद संघ ने 1 और 2 मार्च को हावड़ा में भाजपा नेताओं के साथ बैठक की थी । सूत्रों ने बताया कि बैठक का मुख्य एजेंडा 2026 विधानसभा चुनाव था। बंगाल में चुनाव से पहले भाजपा एक करोड़ सदस्यों को जोड़ने के अपने लक्ष्य में कहां तक पहुंची है और अपना आधार मजबूत कैसे कर सकती है, इसकी रणनीतियों पर चर्चा की गई। संघ ने भाजपा को बंगाल में हिंदू एजेंडा फैलाने का भी निर्देश दिया।बंगाल में हिंदुओं को अपनी विचारधारा से जोड़ने की संघ की कवायद नई नहीं है। वह बंगाल में लंबे समय से इसकी कोशिश कर रहा है। आंकड़े बताते हैं कि बीते दो साल में संघ ने बंगाल में अपना दायरा तेजी से बढ़ाया है। 2023 में बंगाल में संघ की कुल 3,560 शाखाएं थीं, जो 2025 में 4,540 हो गई हैं।एक्सपर्ट कहते हैं कि भाजपा ने अगर टी एम सी के वोट बैंक में 4% की सेंध लगा दी, तो यह 2026 के चुनाव में गेम चेंजर साबित हो सकता है।