संदीप तोमर को मिला ‘राजेन्द्र यादव हंस लघुकथा सम्मान 2025’

Sandeep Tomar received 'Rajendra Yadav Hans Short Story Award 2025'

रविवार दिल्ली नेटवर्क

नई दिल्ली : सुप्रसिद्ध लघुकथाकार संदीप तोमर को उनकी चर्चित लघुकथा “ख़बर की ख़बर” के लिए वर्ष 2025 का प्रतिष्ठित ‘राजेन्द्र यादव हंस लघुकथा सम्मान’ प्रदान किया गया है। यह सम्मान उन्हें दिल्ली में आयोजित एक विशेष समारोह में प्रदान किया गया।

संदीप तोमर ने साहित्यिक यात्रा की शुरुआत कविता से की थी, लेकिन शीघ्र ही उन्होंने लघुकथा को अपनी अभिव्यक्ति का प्रमुख माध्यम बनाया। उनका चर्चित संग्रह “समय की दस्तक” आलोचकों और पाठकों के बीच समान रूप से सराहा गया। उनकी कहानियाँ सामाजिक यथार्थ, विडंबना और मानवीय रिश्तों की गहरी परतों को सामने लाती हैं।

सम्मान प्राप्ति के अवसर पर संदीप तोमर ने कहा—
“यह पुरस्कार मेरे लिए प्रसन्नता का विषय ही नहीं, बल्कि आगे की लेखन-यात्रा के लिए प्रेरणा भी है। मैं लघुकथा को सामाजिक यथार्थ और मानवीय संवेदनाओं का सशक्त माध्यम बनाए रखने का प्रयास करता रहूँगा।”
उन्होंने यह सम्मान अपने प्रिय साहित्यिक मित्र सुभाष नीरव को समर्पित किया।

इस उपलब्धि पर गीताश्री, डॉ. स्वाति चौधरी, प्रेम जन्मेजय, धीरेन्द्र अस्थाना, तेजेन्द्र शर्मा, विभा रानी, मार्टिन जॉन और नरेश सक्सेना सहित अनेक वरिष्ठ साहित्यकारों, आलोचकों तथा पाठकों ने बधाई दी।

हंस लघुकथा सम्मान 2025 की निर्णायक गीताश्री ने चयनित लघुकथा “ख़बर की ख़बर” को मीडिया के “पतन-पुराण” की संज्ञा दी और कहा कि यह रचना आज की पत्रकारिता की सच्चाइयों को तीखे और साहसिक ढंग से सामने लाती है।

पाठकों के ध्यानाकर्षण के लिए लघुकथा साथ में प्रकाशित है-

खबर की खबर (लघुकथा)

हेल्लो सर! मैं दिलीप, अभी एक गोदाम के पास कैमरामैन के साथ हूँ। यहाँ एक लड़की बदहवास हालत में मिली है।”

“वेरी गुड, कैमरामैन से कहो कैमरा चालू करे और लड़की की हालत पर फोकस करे।”

“जी सर, लगता है रेप हुआ है।”

“गुड, पता करो दूसरे न्यूज़ वाले तो आसपास नहीं हैं।”

“नहीं सर, ये सिर्फ हमारी स्टोरी होगी। किसी को कानोकान खबर नहीं है।”

“लड़की से नाम पूछने की कोशिश करो।”

“सर, मालूम हुआ है कोई सकीना है, बाप कहीं मजदूरी करता है।”

“इंटरेस्टिंग, पूरे मामले का कुछ पता चला?”

शायद आपसी रंजिश का मामला है।”

“दिलीप, पत्रकारिता में ऐसे सोचोगे तो हमेशा घास ही छीलते रहोगे, कभी न्यूज डेस्क तक नहीं आ पाओगे।”

“सर….।”

“रेपिस्ट कौन हैं ये पता लगाना पुलिस का काम है, और पुलिस की स्पीड …, जब तक तफ्तीश हो, खबर ये बने कि मौका-ए-वारदात को देखते हुए पहली बारगी में मामला धार्मिक तनाव का बताया जाता है। लड़की की हालत इतनी नाजुक है कि वह अभी कुछ भी बता पाने की हालत में नहीं है।”

“जी सर।”

और हाँ… कैमरे का फोकस ‘सेंसिटिव मोड’ पर हो। यह अच्छी तरह जान लो कि सनसनी से ही खबर बिकती है।”