
तनवीर जाफ़री
गत 9 सितंबर को दोपहर बाद इस्राईल के 15 फ़ाइटर जेट्स और 10 से अधिक म्यूनिशन ने जिसमें स्टैंड-ऑफ़ मिसाइलें और स्टील्थ तकनीक शामिल थी, ने इस्राईल से 1800 किलोमीटर की उड़ान भरकर क़तर की राजधानी दोहा के कटारा और वेस्ट बे लैगून इलाक़ों में हमले करके उन सभी इमारतों को उड़ा दिया जहां हमास के कई शीर्ष नेता या तो रहा करते थे या उनके कार्यालय थे। इस हमले में 40 से ज़्यादा लोग मारे गए। हमास ने दावा किया कि इस्राईली हमले में उनकी मुख्य वार्ताकार टीम बच गई, लेकिन पांच सदस्य, जिसमें ख़लील अल-हय्या का बेटा और एक क़तरी सुरक्षा अधिकारी शामिल था, मारे गए। क़तर में हुआ यह हमला मध्य पूर्व में तनाव को और बढ़ाने वाला साबित हो सकता है। इस्राईल के इस क़दम को क्षेत्रीय स्थिरता के लिए बड़ा ख़तरा माना जा रहा है। यह पहला अवसर है जबकि इस्राईल ने अपने लक्ष्य को भेदने की ग़रज़ से क़तर में हमला किया है। इस हमले के तुरंत बाद क़तर ने अपने हवाई क्षेत्र की निगरानी बढ़ा दी। हालांकि, क़तर एयरवेज की उड़ानें सामान्य रूप से जारी रहीं। क़तर के प्रधानमंत्री शेख़ मोहम्मद बिन अब्दुल रहमान अल-थानी ने कहा कि यह हमला ग़ज़ा में युद्ध विराम की मध्यस्थता के लिए क़तर के प्रयासों को पटरी से उतार सकता है। क़तर ने इस हमले को “कायराना” और “अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों का घोर उल्लंघन” क़रार दिया। क़तर के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माजेद अल-अंसारी ने इस हमले को क़तर की संप्रभुता और नागरिकों की सुरक्षा के लिए ख़तरा बताया।
उधर इस्राईल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और इस्राईल सुरक्षा बलों ने इस हमले की पूरी ज़िम्मेदारी लेते हुये कहा कि यह हमला सटीक हथियारों से और पुख़्ता ख़ुफ़िया जानकारी के आधार पर किया गया, ताकि नागरिकों को नुक़्सान कम हो। इस्राईल के अनुसार हमास के नेता, जिन्हें दोहा में निशाना बनाया गया वही 7 अक्टूबर 2023 के हमले के लिए ज़िम्मेदार थे और ग़ज़ा में युद्ध को संचालित कर रहे थे। अमेरिका में इस्राईली राजदूत ने यह भी कहा कि अगर इस हमले में हमास के कुछ नेता बच गए हैं तो अगले हमले में उन्हें भी निशाना बनाया जाएगा। इस क़दम को इस्राईल की आक्रामक रणनीति के उस हिस्से की शक्ल में देखा जा रहा है, जिसका उद्देश्य हमास को पूरी तरह समाप्त करना है, चाहे वह किसी भी देश में क्यों न हो। परन्तु हमास नेताओं को लक्षित कर क़तर पर किये गये इस्राईली हमले को एक अभूतपूर्व क़दम के रूप में इसलिये देखा जा रहा है क्योंकि क़तर अमेरिका का प्रमुख सहयोगी और ग़ज़ा युद्धविराम वार्ता का मध्यस्थ है। क़तर में ही अमेरिका का अल-उदईद एयरबेस भी है जहां क़रीब 10,000 अमेरिकी सैनिक तैनात हैं। यह एयरबेस इस्राईल द्वारा किये गये हमले की जगह से केवल 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस्राईल की इस आक्रामक कार्रवाई ने क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तनाव को और बढ़ा दिया है, और ग़ज़ा में शांति प्रक्रिया को और जटिल कर दिया है। इस हमले ने मध्य पूर्व में अमेरिकी प्रभाव को भी कमज़ोर किया है और तुर्की जैसे अन्य देशों के लिए भी ख़तरे की आशंका पैदा की है
इस्राईल की इस आक्रामक व उकसाने वाली कार्रवाई की विश्व के अनेक देशों ने निंदा की है। क़तर सरकार ने हमले को “आपराधिक हमला” क़रार देते हुए इसकी कड़ी निंदा की और इसे अंतरराष्ट्रीय क़ानून तथा संयुक्त राष्ट्र चार्टर का स्पष्ट उल्लंघन बताया है । क़तर ने अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए सभी उपायों का समर्थन किया। जबकि जॉर्डन के किंगअब्दुल्ला द्वितीय ने फ़िलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास से मुलाक़ात के दौरान क़तर में हुये इस्राईली हमले की निंदा की। उन्होंने इज़राइल के ग़ज़ा पर नियंत्रण बढ़ाने और वेस्ट बैंक में बस्तियों के विस्तार को भी ख़ारिज किया साथ ही ग़ज़ा में युद्धविराम, मानवीय सहायता और द्वि -राष्ट्र समाधान पर ज़ोर दिया। वहीँ संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्री शेख़ अब्दुल्ला बिन ज़ायद ने मिस्र के विदेश मंत्री से मुलाक़ात में इस हमले को अंतरराष्ट्रीय क़ानून तथा यूएन चार्टर का उल्लंघन क़रार दिया। उन्होंने वैश्विक स्तर पर इस्राईल की “आक्रामकताओं” को रोकने की अपील भी की। इसी तरह मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फ़तह अल-सीसी ने कुवैत के अमीर से फ़ोन पर हुई बातचीत में क़तर के प्रति “पूर्ण एकजुटता” व्यक्त करते हुये इस हमले को क़तर की संप्रभुता पर अस्वीकार्य अतिक्रमण बताया और इसे अंतरराष्ट्रीय क़ानून का उल्लंघन क़रार दिया। जबकि कुवैत के अमीर, शेख़ मिशाल अल-अहमद अल-जाबर अल-सबाह ने भी हमले को संप्रभुता पर अतिक्रमण बताया और अंतरराष्ट्रीय क़ानून का उल्लंघन क़रार दिया। ईरान के विदेश मंत्री सैय्यद अब्बास अराघची ने इस हमले को “आतंकवादी आक्रामकता” बताते हुये क़तर के प्रति एकजुटता व्यक्त की और इज़राइल को क्षेत्रीय तथा वैश्विक शांति के लिए “तत्काल ख़तरा” बताया। ट्यूनीशिया के विदेश मंत्रालय ने भी हमले को “कुटिल और दुष्ट हमला” क़रार देते हुये क़तर के प्रति पूर्ण एकजुटता व्यक्त की और अरब सुरक्षा को इस्राईल के ख़तरों से बचाने पर ज़ोर दिया। दुनिया के कई देशों ने इस हमले को लेकर सुरक्षा परिषद् की आपात बैठक बुलाने की बात भी की।
अभी क़तर के हमले को लेकर दुनिया के अनेक देश अपनी तीखी प्रतिक्रिया दे ही रहे थे कि इसी बीच नेतन्याहू ने यह घोषणा भी कर दी कि ग़ज़ा के 40 प्रतिशत हिस्से पर इस्राईली सुरक्षा बालों का नियंत्रण हो चुका है। साथ ही इस्राईली सुरक्षा बालों की ओर से ग़ज़ा में बचे शेष लोगों से भी ग़ज़ा छोड़ने को कहा गया है। और इसी के अगले दिन यानी 11 सितंबर को इस्राईली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने एक बार फिर फ़िलिस्तीनी राज्य के अस्तित्व को मानने से ही स्पष्ट रूप से इंकार कर दिया। उन्होंने वेस्ट बैंक के मा’अले अदुमिम निपटान में एक समारोह के दौरान कहा कि “फ़िलिस्तीनी राज्य नहीं बनेगा” और “यह जगह हमारी है।” यह बयान उस समय दिया गया जब वे एक विवादास्पद निपटान विस्तार समझौते पर हस्ताक्षर कर रहे थे, जो फ़िलिस्तीनी क्षेत्र को विभाजित करने का प्रयास माना जा रहा है। दक्षिणपंथी नेतन्याहू पहले भी द्वि राष्ट्र का विरोध करते रहे हैं।
उनका यह ताज़ा बयान भी फ़िलिस्तीनी राज्य की संभावना को नष्ट करने का प्रयास माना जा रहा है। नेतन्याहू उस फ़िलिस्तीनी राज्य के अस्तित्व को मानने से इंकार कर रहे हैं जिसने जर्मन से हिटलर द्वारा निष्कासित इन्हीं यहूदियों को मानवता के नाते अपनी धरती पर पनाह दी। अभी पिछले दिनों फ़िलिस्तीन को राज्य का दर्जा देने के पक्ष में संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत सहित 142 देशों द्वारा एक बार फिर मतदान किया गया। फ़िलिस्तीन के समर्थन में आये इस प्रस्ताव में इस्राईल द्वारा की जा रही हिंसा की निंदा की गयी साथ ही ग़ज़ा में इस्राईली बस्ती बसाने की योजना को भी समाप्त करने की मांग की गई है। अमेरिका व इस्राईल सहित केवल 10 देशों ने इस प्रस्ताव का विरोध किया जबकि शेष दुनिया फ़िलिस्तीन के साथ खड़ी दिखाई दी। परन्तु अतिवादी सोच के नेतन्याहू पूरी दुनिया को ठेंगा दिखाने की ठाने हुये हैं। कहना ग़लत नहीं होगा कि मानवता के दुश्मन व अंतर्राष्ट्रीय नियमों की धज्जियाँ उड़ाने वाले दक्षिणपंथी नेतन्याहू फ़िलिस्तीन में अपना जंगल राज स्थापित करना चाहते हैं। मानवता की रक्षा के लिये ऐसे कुत्सित इस्राईली प्रयासों को पूरे विश्व को मिलकर रोकना होगा।