राम-पथ पर दीपोत्सव

Festival of Lights on Ram Path

प्रमोद भार्गव

मध्य प्रदेश सरकार ने भगवान श्रीराम वनगमन पथ पर दीपोत्सव का निर्णय लिया है। दीपावली के पहले पथ वाले जिलों में द्वीप जलाए जाएंगे। दिन और स्थान का चयन जिले के जिलाधीश करेंगे। संस्कृति विभाग ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। मुख्यमंत्री मोहन यादव रामपथ को विकसित कर रहे हैं। पथ स्थलों को धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जाएगा। मोहन यादव ने कुछ समय पूर्व चित्रकूट में अधिकारियों की एक बैठक संपन्न करके राम-पथ गमन बनाने का संकल्प लिया हुआ है। यादव का दावा है कि इससे चित्रकूट और अमरकंटक का चौतरफा विकास होगा। पर्यटन संस्कृति और स्वास्थ्य के क्षेत्र में निवेश करके रोजगार बढ़ाया जाएगा। लेकिन विडंबना रही कि इस पथ निर्माण और इस मार्ग पर आने वाले राम की स्मृति से जुड़े स्मारकों के जीर्णोद्धार का संकल्प पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी लिया था। उन्हें 17-18 साल मुख्यमंत्री बने रहने का समय भी मिला। इस बीच कई बैठकें हुईं, पथ के मानचित्र भी बने और बजट प्रावधान भी किए गए। लेकिन काम इतने लंबे कार्यकाल में नहीं हो पाया। अब देखना होगा कि मोहन यादव इस दिशा में कितना आगे बढ़ पाते हैं। जबकि मध्यप्रदेश से विभाजित छत्तीसगढ़ में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र बघेल ने राम-पथ पर उल्लेखनीय काम करके जताया है कि राम कांग्रेस के भी भगवान हैं और समूचे छत्तीसगढ़ की जनता राम के प्रति अटूट आस्था रखती है।

2007 में शिवराज सिंह चौहान सरकार ने ‘राम-वन-गमन-पथ‘ विकसित करने की घोशणा की थी। साथ ही यह भी दावा किया था कि भगवान राम जिन स्थलों पर ठहरे थे अथवा आततायियों से युद्ध लड़ा था, उन स्थलों को भी रामायण-काल के अनुरूप आकार दिया जाएगा। जबकि कांग्रेस ने इस सिलसिले में बड़ी भूल तब कर दी थी, जब समुद्र में निर्माणधीन ‘जल-डमरू-मध्य-मार्ग‘ बनाने के परिप्रेक्ष्य में केंद्र की मनमोहन सिंह सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में एक षपथ-पत्र देकर भगवान राम को काल्पनिक घोशित करते हुए कह दिया था कि राम-सेतु मानव निर्मित नहीं है।

अर्से तक मुस्लिम तुश्टिकरण में लगी रही कांग्रेस ने मध्यप्रदेश में नरम हिंदुत्व से जुड़े उन मुद्दों को कुरेदना षुरू कर दिया था, जो आम हिंदू की आस्था से जुड़े रहे हैं। बहुसंख्यक आबादी के धार्मिक हितों को यह साधने की कोशिश थी। संस्कृति विभाग ने 11 विद्वानों की एक समिति बनाकर ‘राम-वन-गमन-पथ‘ का मानचित्र भी बना लिया। इसके अनुसार भगवान राम ने सीता व लक्ष्मण के साथ चित्रकूट से वर्तमान मध्य-प्रदेश में प्रवेश किया था। तत्पश्चात अमरकंटक होते हुए वे रामेश्वरम् और फिर श्रीलंका पहुंचे थे। पौराणिक मान्यता और वाल्मीकि रामायण भी यही दर्शाते हैं। साथ ही यह भी मान्यता है कि 14 वर्ष के वनवास में भगवान राम ने लगभग 11 वर्ष 5 माह इन्हीं वनों में व्यतीत किए और वनवासियों को अपने पक्ष में संगठित किया। इस कालखंड में राम जिन मार्गों से गुजरे और जहां-जहां ठहरे, उनमें से ज्यदातर सतना, रीवा, पन्ना, छतरपुर, षडहोल और अनूपपुर जिलों में हैं। इस मानचित्र और प्रतिवेदन को तैयार करने में रामकथा साहित्य, पुरातत्व, भूगोल, हिंदी और भूगर्भ षास्त्र के विशयों से जुड़े करीब 29 विद्धानों की मदद ली गई। हालांकि साहित्य और जनश्रुतियों में ये सभी स्थान पहले से ही मौजूद थे। भगवान राम से जुड़े होने के कारण पूजा और पर्यटन से भी ये धार्मिक स्थल जुड़े थे। इस मार्ग के मानचित्र भी इतिहास की पुस्तकों में दर्ज हैं।

फिलहाल मोहन यादव सरकार केवल चित्रकूट को प्राचीन स्वरूप देने की इच्छुक है। भगवान श्रीराम ने वनवास के कालखंड में सबसे ज्यादा समय यहीं व्यतीत किया था। इसका जीर्णोद्धार किया जाना इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि एक तो यहां यात्रियों की संख्या निरंतर बढ़ रही है, दूसरे इस धार्मिक पर्यटन से स्थानीय लोगों को रोजगार और सरकार को मोटी आय भी होती है। 2001 में यहां पांच लाख लोग धर्म-लाभ लेने आए थे, जबकि यह संख्या 2023 में बढ़कर करीब 3 करोड़ हो गई। इस क्षेत्र में कामदगिरी पर्वत के दर्शन का बड़ा महत्व है। इसके साथ रामघाट, हनुमानधारा, भरत-मिलाप मंदिर, गुप्त गोदावरी और मंदाकिनी नदी का उद्गम स्थल प्रमुख हैं। यदि इस पूरे क्षेत्र में सुगम पथ, ठहरने व खान-पान और वाहनों के आवागमन व पार्किंग की उचित व्यवस्था हो जाती है तो यात्री संख्या में वृद्धि के साथ सरकार की आय में भी इजाफा होगा।

अब प्रदेश सरकार ने राम-पथ को चार भागों में बांटकर इसका विकास करने की रूपरेखा बनाई है। पहला मार्ग 168 किमी का होगा। इसमें सतना में सीता रसोई, अत्रि आश्रम, स्फटिक सिला, गुप्त गोदावरी, अश्वमुनि आश्रम, सुतीक्ष्ण आश्रम, सिद्धा पहाड़ व रामसेल तथा पन्ना का बृहस्पति कुंड होंगे। दूसरा मार्ग 428 किमी का होगा इसमें बृहस्पति कुंड, सुतीक्ष्ण आश्रम, अगस्त्य आश्रम, सतना में रामजानकी मंदिर, मार्कंडेय आश्रम, दशरथ घाट और षहडोल में सीतामढ़ी विकसित होंगे। तीसरा रास्ता 378 किमी लंबा होगा इसमें रामजानकी मंदिर से कटनी जिले में शिव मंदिर, जबलपुर में राम घाट, नर्मदापुरम में श्रीराम मंदिर और माच्छा के राम मंदिर का जीर्णोद्धार होगा। चौथा मार्ग सबसे लंबा 476 किमी का होगा। इसमें छत्तीसगढ़ के हर चौक से मध्यप्रदेश के षहडोल में सीतामढ़ी (गंधिया) अनुपपूर में सीतामढ़ी-कनवाई, अमरकंटक होते हुए जबलपुर में रामघाट-पिपरिया तक होगा। चूंकि ये सभी रास्ते बहुत लंबे एवं खर्चीले होंगे अर्थात मोहन यादव सरकार अपने कार्यकाल में किसी एक मार्ग को पूरा कर लेती है तो इसे ही बड़ी उपलब्धि मानी जाना चाहिए।