
इंद्र वशिष्ठ
दिल्ली पुलिस के भ्रष्ट पुलिसकर्मियों के पकड़े जाने का सिलसिला जारी है। विजिलेंस यूनिट ने उत्तरी जिले के वजीराबाद थाने में तैनात सब-इंस्पेक्टर ललित को 5 हजार रुपये रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया है। सब-इंस्पेक्टर ललित ने 2 लुटेरों की जमानत कराने में मदद करने और अदालत में कमज़ोर चार्जशीट दाखिल करने के लिए 50 हजार रुपये रिश्वत मांगी। सब- इंस्पेक्टर ललित को एक लुटेरे की पत्नी से रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया। एसआई ने बचने के लिए रिश्वत की रकम थाने में तीसरी मंजिल के अपने कमरे से नीचे फेंक दी। जिसे कोई दूसरा पुलिसवाला उठा कर ले गया। रकम बरामद करने के लिए एसआई ललित को रिमांड पर लिया गया है।
सब-इंस्पेक्टर ललित को सस्पेंड कर दिया गया। वजीराबाद थाने के एसएचओ मनोज वर्मा को लाइन हाज़िर कर दिया गया।
कमिश्नर सतीश गोलछा द्वारा एसएचओ के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने में भेदभाव किया जा रहा है। विजिलेंस ने 18 सितंबर को महरौली थाने के एएसआई पप्पू राम मीणा और बिचौलिए को 5 हजार रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया। लेकिन कमिश्नर सतीश गोलछा ने महरौली थाने के एसएचओ संजय सिंह को लाइन हाज़िर नहीं किया। जबकि इसके पहले ऐसे ही मामलों में हौज़ काजी थाने के एसएचओ मनोज और अशोक विहार थाने के एसएचओ कुलदीप शेखावत को भी लाइन हाज़िर किया जा चुका है।
कमिश्नर सतीश गोलछा ने पद संभालने के बाद 23 अगस्त को वरिष्ठ पुलिस अफसरों से कहा था कि अब अगर कोई भी पुलिसकर्मी रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया, तो उसके लिए जिला डीसीपी और एसएचओ भी जिम्मेदार होंगे। डीसीपी के ख़िलाफ़ भी कार्रवाई करने की बात करना तो कमिश्नर का बड़बोलापन दिखलाता है। डीसीपी के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने की तो खैर उनमें हिम्मत नहीं होगी।
रिश्वतखोरों की गिरफ्तारी के हरेक मामले में कम से कम हरेक एसएचओ को ही हटा कर अपनी बात की कुछ तो लाज रख लें।