मेरे और टीम के लिए 2002 राष्ट्रमंडल खेलों में महिला हॉकी का स्वर्ण सुनहरा क्षण था: सुमन बाला

  • 2002 में द. अफ्रीका के खिलाफ जीत निर्णायक मोड़ था
  • मौजूदा भारतीय हॉकी टीमों से 2022 राष्ट्रमंडल खेलों में कुछ खास करने की आस
  • आज की सी सुविधाएं मिली होती तो हम और ज्यादा हासिल कर सकती थीं

सत्येन्द्र पाल सिंह

नई दिल्ली : अनुभवी गोलरक्षक सविता पूनिया की अगुआई में भारत की महिला हॉकी टीम बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में अपने अभियान का आगाज बृहस्पतिवार को घाना के खिलाफ मैच से शुरू करेगी। वहीं कप्तान मनप्रीत सिंह की अगुआई वाली भारत की पुरुष हॉकी टीम भी इन खेलों में अपना अभियान रविवार को घाना के खिलाफ मैच से ही शुरू करेगी। 2002 में सूरज लता देवी की कप्तानी में भारत की महिला हॉकी टीम नें मैनचेस्टर(इंग्लैंड) में राष्टï्रमंडल खेलों में मात्र एक बार स्वर्ण पदक जीता है और सुमन बाला भी इस टीम की सदस्या थीं। अब भारतीय महिला हॉकी टीम के पास बर्मिंघम में राष्ट्रमंडल खेलों में देश को एक और स्वर्ण पदक जिताने का मौका है। वहीं भारतीय पुरुष हॉकी टीम को राष्टï्रमंडल खेलों में अपने पहले स्वर्ण पदक का इंतजार है।

सुमन बाला कुछ समय पहले ही वेंकूवर(कनाडा) में जा बसी हैं। सुमन बाला ने 2002 में तीन गोल कर भारतीय महिला हॉकी टीम के मैनचेस्टर राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जिताने में अहम रोल अदा किया था। सुमन बाला ने दो दशक पहले मैनचेस्टर में भारतीय महिला हॉकी टीम को राष्टï्रमंडल खेलों में मिली सुनहरी कामयाबी को ‘हॉकी पर चर्चा के दौरान याद करते हुए कहा, ‘मुझे और तब की हमारी महिला हॉकी टीम को अपनी इस उपलब्धि पर गर्व है। मेरे और हमारी टीम के लिए 2002 के राष्टï्रमंडल खेलों में महिला हॉकी का स्वर्ण पदक जीतना एक सुनहरा क्षण था। मैं हमारी टीम की सदस्य इन सुनहरे पलों की बाबत जितना सोचती उतना ही हमें खुद पर फख्र होता है। मैं उम्मीद करती हूं कि हमारी मौजूदा हॉकी टीमें 2022 के बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में कुछ खास करेंगी। हमारी 2002 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ जीत इन खेलों का हमारी महिला हॉकी टीम के लिए निर्णायक मोड़ था। मैं यह भी कहूंगी कि हमें अपनी इस उपलब्धि की अहमियत जानने में वक्त लगा। मैं 2002 के मैनचेस्टर राष्ट्रमंडल खेलों में बहुत नर्वस थी। तब इन खेलों के उदघाटन समारोह में जब मैंने दर्शकों को देखा तो यह सोच कर ही हैरान रह गई कि इन खेलों में हॉकी का स्वर्ण पदक जीतने वाली खुशकिस्मत टीम कौन सी होगी ।तब मुझे कतई मालूम नहीं था कि मैं ही उस खुशकिस्मत भारतीय टीम का हिस्सा बनूंगी जो 2002 के राष्टï्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतेगी। जब यह घोषणा हुई कि हमारी भारतीय महिला हॉकी टीम ने राष्टï्रमंडल खेलों स्वर्ण पदक जीत लिया है और अंतिम सीटी बजने पर इसे स्टेडियम की बड़ी स्क्रीन पर दिखाया गया तो कैसा अहसास हुआ, बस बयां नहीं सकती। तब हम नहीं जानती थी कि हमने क्या कर दिखाया है। जब हमारी टीम वापस भारत लौटी तो हम इस सुनहरी जीत की कामयाबी की अहमियत मालूम पड़ी। हम नहीं जानती कि यह स्वर्ण पदक इतना बड़ा पदक था। स्वदेश लौटने पर हवाईअड्डïे पर जब हमने दर्शकों को देखा और तब खुद खेल मंत्री ने वहां स्वागत जोरदार स्वागत किया तो तब हमें मालूम पड़ा कि हमारी यह सुनहरी जीत कितनी बड़ी जीत थी।’

सविता पूनिया की अगुआई वाली बर्मिंघम राष्टï्रमंडल खेलों में शिरकत करने जा रही भारतीय महिला टीम की सुमन बाला ने दिल खोल कर तारीफ की। सुमन बाला ने कहा, ‘ हमने 2002 में राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण जरूर जीता लेकिन तब हमारी टीम ओलंपिक के लिए क्वॉलिफाई नहीं कर पाई थी। मौजूदा भारतीय टीम दो बार ओलंपिक के लिए क्वॉलिफाई कर इसमें शिरकत कर चुकी है। मौजूदा भारतीय हॉकी टीम बीते बरस टोक्यो ओलंपिक के सेमीफाइनल में पहुंची। मैं नहीं जानती मैं किस तरह मौजूदा भारतीय हॉकी टीम के इस प्रयास की तारीफ करूं। बीते बरस टोक्यो ओलंपिक में भारतीय महिला हॉकी टीम के मैच को देखने के लिए भारत में लोग जल्दी जग जाते थे। मैं जब अपने दफ्तर में होती तो हर कोई मुझसे यही पूछता क्या मैं भारतीय महिला हॉकी टीम इन लड़कियों को जानती हूं। तब वाकई फख्र होता कि आज लोग हॉकी पर चर्चा कर रहे हैं। तब मुझे इस ‘हॉकी परिवार और हॉकी खेलने पर बेहद गर्व की अनुभूति होती। आज जब हम भारतीय हॉकी टीम को देखते हैं तो महसूस करती हैं वह हमारी खिलाड़ी हर क्षण का लुत्फ उठा रही है। हमारी मौजूदा भारतीय टीम की हॉकी खिलाड़ी अपनी दिनचर्या शिद्दत से निभाती है। मैं यह कहूंगी कि यदि हमें तब आज के मुकाबले आधी भी सुविधाएं मिली होती तो हम इससे कहीं और ज्यादा हासिल कर सकती थी।’