
इंद्र वशिष्ठ
दिल्ली पुलिस के भ्रष्ट पुलिसकर्मियों को पकड़वाने के लिए लोग अब हिम्मत करने लगे हैं। पुलिस ने भी लोगों से रिश्वत मांगने वाले पुलिसकर्मियों की सूचना देने के लिए आगे आने की अपील की है। सतीश गोलछा को कमिश्नर का पद संभाले हुए एक महीना ही हुआ है रिश्वतखोरी का पांचवां मामला सामने आया है। पुलिस में भ्रष्टाचार चरम पर है। इससे वरिष्ठ पुलिस अफसरों की भूमिका पर भी सवालिया निशान लग जाता है।
पुलिस की विजिलेंस यूनिट ने स्पेशल सेल की आईएफएसओ/साइबर क्राइम के सब- इंस्पेक्टर कर्मवीर सिंह को दो लाख रुपये रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया।
विजिलेंस टीम ने फिल्मी स्टाइल में मंगलवार दोपहर द्वारका इलाके की सड़कों पर दो किलोमीटर तक पीछा करके कार में भाग रहे सब-इंस्पेक्टर कर्मवीर को घेर कर दबोच लिया। शिकायतकर्ता विष्णु विश्नोई से उसके बैंक अकाउंट डी-फ्रीज कराने के लिए 5 लाख रुपये रिश्वत मांगी थी। एसआई कर्मवीर सिंह ने शिकायतकर्ता को 2 लाख रुपये की पहली किस्त लेने के लिए सेक्टर 14, द्वारका मेट्रो स्टेशन पर बुलाया। एसआई कर्मवीर सिंह अपनी निजी कार से मेट्रो स्टेशन आया। शिकायतकर्ता को कार में बिठा लिया। सब- इंस्पेक्टर कर्मवीर को जैसे ही रेड की भनक लगी, उसने अपनी कार भगा ली। विजिलेंस टीम ने पीछा करके आखिरकार उसे घेर लिया। सब- इंस्पेक्टर कर्मवीर ने अपनी कार रिवर्स करके विजिलेंस टीम की गाड़ी को टक्कर मार कर भागने की कोशिश की। विजिलेंस टीम ने उसे दबोच लिया। एसआई करमवीर की कार के डैशबोर्ड से 2 लाख रुपये की रिश्वत राशि बरामद की गई। कर्मवीर 2019 से आईएफएसओ में तैनात है।
विजिलेंस यूनिट ने 21 सितंबर को उत्तरी जिले के वजीराबाद थाने में तैनात लुटेरों के मददगार सब-इंस्पेक्टर ललित को 5 हजार रुपये रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया।एसएचओ मनोज वर्मा को लाइन हाज़िर कर दिया गया। विजिलेंस ने 18 सितंबर को महरौली थाने के एएसआई पप्पू राम मीणा और बिचौलिए को 5 हजार रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया। लेकिन कमिश्नर सतीश गोलछा ने महरौली थाने के एसएचओ संजय सिंह को लाइन हाज़िर नहीं किया। जबकि इसके पहले ऐसे ही मामलों में हौज़ काजी थाने के एसएचओ मनोज और अशोक विहार थाने के एसएचओ कुलदीप शेखावत को लाइन हाज़िर किया जा चुका है। कमिश्नर सतीश गोलछा ने पद संभालने के बाद 23 अगस्त को वरिष्ठ पुलिस अफसरों से कहा था कि अब अगर कोई भी पुलिसकर्मी रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया, तो उसके लिए जिला डीसीपी और एसएचओ भी जिम्मेदार होंगे। डीसीपी के ख़िलाफ़ भी कार्रवाई करने की बात करना तो कमिश्नर का बड़बोलापन दिखलाता है। डीसीपी के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने की तो खैर उनमें हिम्मत नहीं होगी। रिश्वतखोरों की गिरफ्तारी के हरेक मामले में कम से कम हरेक एसएचओ को ही हटा कर अपनी बात की कुछ तो लाज रख लें।