
ललित गर्ग
विश्व पर्यटन दिवस- 27 सितम्बर, 2025 इस बात का स्मरण कराता है कि पर्यटन केवल मनोरंजन का साधन भर नहीं है, बल्कि यह किसी भी राष्ट्र की आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक प्रगति का आधार स्तंभ है। इस वर्ष की थीम कुछ स्रोतों में ‘पर्यटन और हरित निवेश’ या ‘पर्यटन और सतत परिवर्तन’ बतायी जा रही है जिसका उद्देश्य पर्यटन को स्थिरता और समावेशिता के साथ बढ़ावा देना है। यह थीम स्थायी पर्यटन के लिए हरित निवेश की तत्काल आवश्यकता पर जोर देती है, जो समुदायों और ग्रह दोनों के लिए फायदेमंद है। जिसके माध्यम से, पर्यटन में वैश्विक सहयोग और टिकाऊ प्रथाओं को बढ़ावा दिया जाएगा, जिसमें हरित निवेश, नवीकरणीय ऊर्जा और पर्यावरणीय दुष्प्रभाव को कम करना शामिल है। यह दिवस मनाते हुए भारत की पर्यटन संभावनाओं पर चिन्तन-मंथन करना जरूरी है। क्योंकि भारत जैसे विविधताओं से भरे देश में पर्यटन की संभावनाएं अनंत हैं। यहाँ हिमालय की बर्फीली चोटियों से लेकर गोवा और अंडमान के समुद्र तटों तक, काशी और बोधगया की आध्यात्मिक आभा से लेकर अजमेर और पुष्कर की आस्था तक, केरल के बैकवाटर्स से लेकर राजस्थान के रेगिस्तान तक हर अनुभव अपने आप में अद्वितीय है। यही कारण है कि भारत का पर्यटन उद्योग आज नई उड़ान भर रहा है और वैश्विक मानचित्र पर अपनी पहचान बना रहा है।
विश्व पर्यटन दिवस दुनिया के प्रमुख पर्यटन स्थलों की यात्रा के लिये तो आमंत्रित करता ही है, लेकिन भारत की विविधता और बहुसंस्कृतिवाद के कारण दुनिया के पर्यटकों के लिये विशेष आकर्षक का केन्द्र बन रहा है। जो जीवन में खुशियां एवं मुस्कान देने वाले पर्यटन के महत्व को उजागर भी करता है। आर्थिक विकास और सांस्कृतिक कूटनीति को बेहतर बनाने के लिए पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा देने की पहल बदलते समय के साथ विश्व पर्यटन दिवस नई पहलों, नीतिगत सुधारों और क्षेत्र की उपलब्धियों का जश्न मनाने पर ध्यान केंद्रित करने वाले दिन के रूप में विकसित हुआ है। इसका उद्देश्य रोजगार सृजन, विश्व मानवता को बल देना, युद्धमुक्त वातावरण और विविध वैश्विक सांस्कृतिक विरासत और डिजिटल परिवर्तन को बढ़ावा देकर विश्व समुदायों को सशक्त बनाना है।
भारत में पर्यटन के आर्थिक प्रभाव बेहद व्यापक हैं। यह भारत की जीडीपी में महत्वपूर्ण योगदान देता है और करोड़ों लोगों के लिए रोजगार का सबसे बड़ा साधन बन चुका है। गाँवों और कस्बों तक पर्यटन का असर पहुँच रहा है, जिससे स्थानीय हस्तशिल्प, लोककला और खानपान को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिल रही है। विदेशी पर्यटक न केवल हमारी संस्कृति और आध्यात्मिकता से प्रभावित होते हैं। पर्यटन के सामाजिक प्रभाव भी उल्लेखनीय हैं। यह सांस्कृतिक आदान-प्रदान का माध्यम बनकर विभिन्न धर्मों, भाषाओं और परंपराओं के बीच सद्भाव और भाईचारे को बढ़ाता है। महिला सशक्तिकरण और युवा उद्यमिता को पर्यटन ने नया आयाम दिया है। होम-स्टे, गाइडिंग, हस्तशिल्प और लोक-कलाओं में महिलाओं और युवाओं की सक्रिय भागीदारी से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल मिल रहा है। यही नहीं, ग्रामीण पर्यटन ने गाँवों को विकास के नए अवसर प्रदान किए हैं और पलायन की समस्या को कम करने की क्षमता दिखाई है।
राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य से भी पर्यटन भारत की सॉफ्ट पावर को मजबूत करता है। ‘इनक्रेडिबल इंडिया’ और ‘देखो अपना देश’ जैसे अभियानों ने भारत की वैश्विक पहचान को और गहरी किया है। हाल के वर्षों में भारत ने जी-20 जैसे आयोजनों के जरिए अपने पर्यटन स्थलों की भव्यता और सांस्कृतिक विरासत को दुनिया के सामने प्रस्तुत किया, जिससे न केवल राजनीतिक विश्वास बढ़ा बल्कि भारत की सांस्कृतिक शक्ति का विस्तार भी हुआ। पड़ोसी देशों के साथ बौद्ध और आध्यात्मिक सर्किट की योजनाओं ने भारत को एशिया का आध्यात्मिक केंद्र स्थापित करने में मदद की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पर्यटन को भारत की शक्ति बनाने का संकल्प लिया है। उन्होंने ‘भारत जोड़ो यात्रा’, ‘देखो अपना देश’ अभियान और ‘प्रोजेक्ट आध्यात्मिक सर्किट’ जैसी योजनाओं के माध्यम से पर्यटन को जन-आंदोलन का रूप दिया है। योग और आयुर्वेद को विश्वभर में लोकप्रिय बनाने के उनके प्रयासों ने भारत को हेल्थ और वेलनेस टूरिज्म का प्रमुख केंद्र बना दिया है। मोदी सरकार स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट्स, हवाई अड्डों का विस्तार, चारधाम परियोजना, उच्च गति रेल और ‘भारतमाला’ जैसी योजनाएं पर्यटन को नई सुविधाओं से जोड़ रही हैं। प्रधानमंत्री का यह मानना है कि भारत का हर गाँव और हर शहर अपने आप में एक अनोखा पर्यटन स्थल है और उसकी कहानी दुनिया तक पहुँचाई जानी चाहिए। आज जब डिजिटलाइजेशन ने पर्यटन को नई दिशा दी है, ऑनलाइन टिकटिंग, वर्चुअल टूर और एआई आधारित यात्रा मार्गदर्शन ने पर्यटन को आधुनिक युग से जोड़ दिया है। सस्टेनेबल टूरिज्म पर जोर देकर यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि प्रकृति और संस्कृति दोनों की सुरक्षा बनी रहे। मिलेनियल्स और नई पीढ़ी अनुभव-आधारित और साहसिक पर्यटन की ओर आकर्षित हो रही है और भारत इस अवसर को भुनाने में आगे बढ़ रहा है।
भारत विश्व स्तर पर पांचवां सबसे बड़ा यात्रा और पर्यटन बाजार बनने के लिए तैयार है। भारत में पर्यटन क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है और 2027 तक तीसरा सबसे बड़ा घरेलू बाजार बनने की उम्मीद है। 2023 में, भारत में पर्यटन पर होने वाला खर्च 2019 के 127 बिलियन डॉलर से बढ़कर 174 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया। सबसे ज्यादा पर्यटक तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र सहित 5 राज्यों में गए, जहाँ कुल मिलाकर 65 प्रतिशत पर्यटक आए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दूरदर्शिता से धार्मिक पर्यटन को नये पंख लगे हैं, अयोध्या में बना भगवान श्रीराम का मन्दिर एवं प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ ने धार्मिक पर्यटन के नये कीर्तिमान स्थापित किये हैं। धार्मिक पर्यटन आर्थिक उन्नति और सांस्कृतिक आदान-प्रदान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। धार्मिक पर्यटन की संभावनाओं का अधिकतम लाभ लेने के लिए ऐसी सभी जगहों को बेहतरीन बुनियादी सुविधाओं, सड़क और एयर कनेक्टिविटी, आने वालों की सुरक्षा और सेवा दी जा रही है।
भारत असंख्य पर्यटन अनुभवों और मोहक स्थलों का देश है। चाहे भव्य स्मारक हों, प्राचीन मंदिर या मकबरे हों, नदी-झरने, प्राकृतिक मनोरम स्थल हो, इसके चमकीले रंगों और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रौद्योगिकी से चलने वाले इसके वर्तमान से अटूट संबंध है। केरल, शिमला, गोवा, आगरा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, मथुरा, काशी जैसी जगहें तो अपने विदेशी पर्यटकों के लिए हमेशा चर्चा में रहती हैं। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अयोध्या एवं काशी की कायाकल्प करके दुनियाभर के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित किया है। भारत में अपने लोगों के साथ लाखों विदेशी लोग प्रतिवर्ष भारत घूमने आते हैं। भारत में पर्यटन की उपयुक्त क्षमता है। यहां सभी प्रकार के पर्यटकों को चाहे वे साहसिक यात्रा पर हों, सांस्कृतिक यात्रा पर या वह तीर्थयात्रा करने आए हों या खूबसूरत समुद्री-तटों की यात्रा पर निकले हों, सबके लिए खूबसूरत जगहें हैं। दिल्ली, मुंबई, राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, दक्षिण भारत के अनेक राज्यों में तो लोगों को घूमते-घूमते महीना बीत जाते हैं।
भारत अपनी समृद्ध सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, प्राकृतिक धरोहर के कारण दुनिया के प्रमुख पर्यटन देशों में शुमार होता है। यहां के हर राज्य की अलौकिक और विलक्षण विशिष्टताएं हैं जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। उन पर्यटकों के लिए भारत-यात्रा का विशेष आकर्षण है जो शांत, जादुई, सौंदर्य और रोमांच की तलाश में रहते हैं। इन पर्यटकों के लिये भारत में विपुल यात्रा साहित्य अपनी एक विशेष पहचान और उपयोगिता को लेकर प्रस्तुत होता रहा है। पुखराज सेठिया की पुस्तक ‘आओ घूमे अपना देश’ एक सार्थक एवं उपयोगी पुस्तक है। विश्व पर्यटन दिवस हमें यह संदेश देता है कि भारत के पास विश्व को दिखाने के लिए अनंत वैभव और विविधता है। यदि हम पर्यावरण संरक्षण, आधुनिक सुविधाओं और वैश्विक मानकों को ध्यान में रखते हुए पर्यटन का विकास करें तो आने वाले समय में भारत न केवल एक पर्यटन शक्ति बनेगा बल्कि अपनी आध्यात्मिक विरासत और सांस्कृतिक धरोहर से विश्व का नेतृत्व भी करेगा।