वैश्विक पर्यटन केंद्र के रूप में उभर रहा है भारत

India is emerging as a global tourism hub

रमेश सर्राफ धमोरा

विश्व पर्यटन दिवस मानाने का उद्देश्य वैश्विक उद्योग के रूप में पर्यटन के महत्व तथा इसके सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और आर्थिक प्रभाव के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देना है। विश्व पर्यटन दिवस मनाने से हमें पर्यटन के हम पर और हमारे आसपास की दुनिया पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाने में मदद मिलती है। इसमें दुनिया भर में इसके आर्थिक प्रभाव के साथ-साथ नैतिक, नैतिक और पशु कल्याण संबंधी विचार भी शामिल हैं।

संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन (यूएनडब्ल्यूटीओ) ने विश्व पर्यटन दिवस की स्थापना की। 1980 से हर साल 27 सितंबर को विश्व पर्यटन दिवस मनाया जाता है। इसी दिन यूनाइटेड नेशंस वर्ल्ड टूरिज्म ऑर्गनाइजेशन के कानूनों को अपनाया गया था। हर साल विश्व पर्यटन दिवस एक विशेष थीम के साथ मनाया जाता है। 2025 का विषय “पर्यटन और हरित निवेश” है। यह थीम स्थायी पर्यटन अवसंरचना और परियोजनाओं में निवेश की तत्काल आवश्यकता पर ज़ोर देती है जो समुदायों और अर्थव्यवस्थाओं को समृद्ध बनाने के साथ-साथ हमारे ग्रह की रक्षा में भी मदद करें। हरित निवेश पर्यटन व्यवसायों और यात्रियों दोनों को ऐसे विकल्प चुनने के लिए प्रोत्साहित करता है जो उनके पर्यावरणीय प्रभाव को कम करें। नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा दें और सभी के लिए बेहतर भविष्य का निर्माण करें।

विश्व यात्रा एवं पर्यटन परिषद (डब्ल्यूटीटीसी) की नवीनतम आर्थिक प्रभाव प्रवृत्ति रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने 2025 में विश्व की सबसे बड़ी पर्यटन अर्थव्यवस्थाओं में अपने पिछले दसवें स्थान से 8वें स्थान पर एक महत्वपूर्ण छलांग लगाई है। रिपोर्ट में वैश्विक यात्रा क्षेत्र में भारत के बढ़ते कद पर प्रकाश डाला गया है और अनुमान है कि अगले दशक में यह चौथे स्थान पर होगा। भारत का पर्यटन क्षेत्र 2025 में 231.6 अरब डॉलर का योगदान देगा जो बुनियादी ढाँचे, विपणन और सेवा वितरण में मज़बूत वृद्धि और रणनीतिक विकास को दर्शाता है। यह बढ़ता रुझान एक वैश्विक पर्यटन केंद्र के रूप में भारत की क्षमता को रेखांकित करता है और आर्थिक विस्तार एवं रोज़गार को बढ़ावा देने में इस क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करता है।

देश के लिए बहुमूल्य विदेशी मुद्रा की कमाई करने में पर्यटन उद्योग का अच्छा खासा महत्व है। पर्यटन जिसे चिमनी विभिन्न उद्योग के नाम से भी जाना जाता हैं। आज भी लाखों लोगों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार उपलब्ध करा रहा है। भारत दुनिया के उन चुनिंदा देशों में से है जहां कलात्मक, धार्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर दर्शनीय स्थलों एवं कृतियों की कमी नहीं है। यही कारण है कि हजारों मील दूर रहने वाले विदेशी लोग भी पर्यटन के लिए यहां आने का लोभ छोड़ नहीं पाते हैं। यही नहीं देशी पर्यटक भी बड़ी तादाद में कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक फैले देश के विभिन्न पर्यटन केंद्रों पर देखे जा सकते हैं।
यूरोपीय देश जर्मनी, यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस, इटली और स्पेन प्रमुख खिलाड़ी बने हुए हैं। वहीं हांगकांग एसएआर, मलेशिया और फिलीपींस जैसे एशियाई गंतव्य पर्यटन के प्रमुख केंद्र के रूप में तेज़ी से अपनी पहचान बना रहे हैं। अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन खर्च में तीव्र वृद्धि देखने वाले देशों में सऊदी अरब (+91.3%), तुर्की (+38.2%), केन्या (+33.3%), कोलंबिया (+29.1%), और मिस्र (+22.9%) शामिल हैं।

देश की अर्थव्यवस्था के विभिन्न पहलुओं पर नजर रखने वाले अर्थशास्त्रियों और नीति निर्धारकों ने लगभग एकमत से स्वीकार किया है कि देश में उपलब्ध पर्यटन क्षमता का समुचित रूप से इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है। इस दिशा में अधिक प्रभावी व कारगर कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। इसी नीति के तहत विभिन्न पर्यटन केंद्रों को प्रमुख छोटे-बड़े शहरों से जोड़ने के लिए दूरसंचार, सड़क और वायु परिवहन की अधिकाधिक सुविधा उपलब्ध कराने के लिए भारी निवेश की व्यवस्था की जा रही है। इसके अलावा परंपरागत पर्यटक केंद्रों के आसपास बुनियादी सुविधाएं व नए पर्यटन केंद्रों को विकसित करने पर जोर दिया जा रहा है। इस पूरे परिदृश्य से स्पष्ट होता है कि आगामी वर्षों में पर्यटन प्रबंधन तथा पर्यटक से जुड़े अन्य क्षेत्रों के विशेषज्ञों की बड़ी संख्या में मांग होगी। यह अवसर सरकारी से ज्यादा निजी क्षेत्रों में होने की अधिक संभावना जताई जा रही है।

विशेषज्ञों का मानना है कि आगामी दस वर्षों में पर्यटन आधारित अर्थव्यवस्था में भारत का स्थान विश्व में तीसरा हो जाएगा। देश में इस दौरान लगभग एक करोड़ नये रोजगार का इस क्षेत्र में सृजन होने की उम्मीद है। वर्ल्ड ट्रेवल एंड टूरिज्म कौंसिल द्वारा जारी रिपोर्ट में इस आशय की संभावनाओं की ओर इशारा किया गया है। अभी देश में लगभग चार करोड़ लोग टूर एंड टूरिज्म इंडस्ट्री के माध्यम से प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष तौर पर आजीविका हासिल कर रहे हैं।

भारत में पर्यटन सबसे बड़ा सेवा उद्योग है। जहां इसका राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में 6.23 प्रतिशत और भारत के कुल रोजगार में 8.78 प्रतिशत योगदान है। भारत में वार्षिक तौर पर 50 लाख विदेशी पर्यटकों का आगमन और 56 करोड़ घरेलू पर्यटकों द्वारा भ्रमण परिलक्षित होता है। विश्व पर्यटन दिवस एक वार्षिक आयोजन है। जिसका उद्देश्य वैश्विक उद्योग के रूप में पर्यटन के महत्व तथा इसके सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और आर्थिक प्रभाव के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देना है।
देश में पर्यटन से जुड़े लगभग सभी प्रशिक्षण पाठ्यक्रम ग्रेजुएशन के बाद के स्तर के हैं। विश्वविद्यालयों में पर्यटन क्षेत्र के भावी विस्तार को भांपते हुए पर्यटन शिक्षा विभाग तेजी से विकसित हो रहे हैं। इनमें मास्टर आफ टूरिज्म एडमिनिस्ट्रेशन सरीखे स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इन विश्वविद्यालयों के अतिरिक्त निजी प्रशिक्षण संस्थानों में भी अंशकालिक, पूर्णकालिक डिप्लोमा प्रशिक्षण उपलब्ध है। पर्यटन डिप्लोमा डिग्री हासिल करने के बाद स्वरोजगार के क्षेत्र में पदार्पण करने के लिए राहें भी खुलती है। इसीलिए जरूरी नहीं कि लंबे अरसे तक नौकरी के लिए आवेदन भेज कर हाथ पर हाथ रखकर खाली बैठा जाए। टूर ऑपरेटर और ट्रैवल एजेंट जैसे काम बहुत कम पूंजी से शुरू किए जा सकते हैं। जिनमें स्थानीय साइट सीन, पर्यटक भ्रमण कार्यक्रम से लेकर तीर्थ यात्रा टूर, दूरदराज के पर्यटक स्थलों तक आदि मुख्य है।

अब तो विदेशों में स्वीटजरलैंड, पेरिस, थाईलैंड, हॉन्गकांग, सिंगापुर, लंदन, अमेरिका, कनाडा, मालदीप, नेपाल जैसी जगहों के लिए भी पैकेज टूर बनाए जाने लगे हैं। इनमें स्थानीय भ्रमण से लेकर हवाई यात्रा और होटल में ठहरने तक का समस्त खर्च सम्मिलित होता है। तमाम हवाई कंपनियों के अधिकृत टिकट विक्रेता एजेंट के रूप में भी बेची गई टिकटों पर निर्धारित प्रतिशत कमीशन की कमाई की जा सकती है।

आज अधिकांश सरकारी व निजी विश्वविद्यालयों में पर्यटन प्रशिक्षण के कोर्स चलाए जा रहे हैं। इसके अलावा भी देशभर में अनेकों निजी संस्थान पर्यटन के विभिन्न क्षेत्रों का प्रशिक्षण देती है। प्रशिक्षण के पश्चात सर्टिफिकेट भी दिए जाते हैं। राजस्थान पर्यटन विभाग समय-समय पर प्रदेश में गाइडों के प्रशिक्षण शिविर आयोजित करता है। जिसमें प्रशिक्षण प्राप्त कर चयनित गाइडों को विभाग द्वारा गाइड का प्रमाण पत्र प्रदान किया जाता है। देश के अन्य राज्यों में भी इसी तरह के विभिन्न पाठ्यक्रमों का संचालन किया जा रहा है। जहां अध्ययन व प्रशिक्षण प्राप्त कर व्यक्ति पर्यटन के क्षेत्र में अपना कैरियर बना सकता है।
आज के समय में जहां हर देश की पहली जरूरत अर्थव्यवस्था को मजबूत करना हैं वहीं आज पर्यटन के कारण कई देशों की अर्थव्यवस्था पर्यटन उद्योग के इर्द-गिर्द घूमती है। यूरोपिय देश, तटीय अफ्रीकी देश, पूर्वी एशियाई देश, कनाड़ा, आस्ट्रेलिया आदि ऐसे देश है। जहां पर पर्यटन उद्योग से प्राप्त आय वहां की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करता है। पर्यटन विश्व का सबसे बड़ा क्षेत्र है। जो वैश्विक स्तर पर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 11 प्रतिशत योगदान देता है।