बैंकों में क्यों बढ़ रही है अन्क्लेम्ड राशि की संख्या?

अशवनी राणा

भारतीय बैंकों के पास बिना दावे वाली राशि लगातार बढ़ती जा रही है। आरबीआई के अनुसार, वित्त वर्ष 2021-22 में बैंकों में बिना दावे वाली राशि बढ़कर 48,262 करोड़ रुपए हो गई है।

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के अनुसार, अगर कोई उपभोक्ता अपने खाते से 10 साल तक कोई लेनदेन नहीं करता है तो उस खाते में जमा रकम अन्क्लेम्ड हो जाती है। जिस खाते से लेनदेन नहीं किया जा रहा है, वह निष्क्रिय (Dormant account) हो जाता है। अन्क्लेम्ड राशि को रिजर्व बैंक के डिपॉजिटर एजुकेशन एंड अवेयरनेस फंड (DEAF) में डाल दिया जाता है। हालांकि उसके बाद भी ग्राहक के अनुरोध पर वह राशि वापिस मिल सकती है लेकिन काफी लम्बी प्रक्रिया होती है।

रिजर्व बैंक ने कहा कि बैंकों द्वारा कई जागरुकता अभियान चलाने के बावजूद समय के साथ बिना दावे वाली राशि लगातार बढ़ती जा रही है।

किसी बैंक खाते के निष्क्रिय होने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे खाता धारक की मृत्यु होना, परिवार वालों को मृतक के खाते के बारे में जानकारी न होना, गलत पता या फिर खाते में नॉमिनी दर्ज न होना।इसलिए खाता धारक की मृत्यु के बाद उसके खाते की रकम ग्राहक के परिवार को मिलने में मुश्किल होती है। खाते में नॉमिनेशन न होने और खाता सिंगल नाम से होने में ये मुश्किल आती है और परिवार को जमा राशि को लेने के लिए कोर्ट के ऑर्डर लेने की आवश्यकता पड़ती है।

बैंकों के सभी खाता धारकों को देखना चाहिए कि उनके खाते में घर का सही पता और नॉमिनी का नाम लिखा है या नहीं। यदि नहीं लिखा हुआ है तो बैंक में इसको अपडेट करवाना चाहिए। परिवार के सदस्यों को भी इसकी जानकारी होनी चाहिए। परिवार को भी सभी सदस्यों के खातों में सही पता तथा नॉमिनी को चेक करना चाहिए। वैसे तो सभी तरह के खातों में दो लोगों के नाम से जॉइंट एकाउंट खोलना चाहिए नहीं तो नॉमिनेशन अवश्य करवाना चाहिए। बैंकों में नॉमिनेशन की सुविधा सभी तरह के खातों और लॉकर में भी उपलब्ध होती है।