
गोपेन्द्र नाथ भट्ट
भारत में कृषि-क्षेत्र और ऊर्जा सुरक्षा दोनों ही अत्यन्त महत्वपूर्ण विषय हैं। विशेषकर राजस्थान जैसे बड़े एवं ग्रामीण भागों वाले राज्य में, बिजली की सुचारु आपूर्ति, सिंचाई सुविधाएँ और किसानों की आय बढ़ाना सरकार की प्राथमिकता है। प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (पीएम-कुसुम) इस लक्ष्य को पाने के लिए एक बड़ा कदम है। राजस्थान में पीएम-कुसुम योजना ने किसानों के जीवन को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, और इस योजना की सफलता पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सार्वजनिक रूप से अपनी प्रशंसा जताई है।
पीएम-कुसुम योजना का उद्देश्य किसानों को सौर ऊर्जा आधारित पम्प और सौर संयंत्र प्रदान करना, ताकि बिजली की लागत कम हो और बिजली-उर्जा संबंधी निर्भरता घटे।उन कृषि भूमियों पर छोटे ग्रिड-कनेक्टेड सौर संयंत्र लगाने की सुविधा देना, जहाँ किसान अतिरिक्त बिजली उत्पन्न कर सकें और उस ग्रिड को बेच सकें।
इस योजना का मकसद देश में अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देना और किसानों को आय के अतिरिक्त साधन देना भी है। राजस्थान में विभिन्न कम्पोनेंट्स के अंतर्गत इस योजना में कई प्रकार के प्रोजेक्ट शामिल हैं सोलर ग्रिड-कनेक्टेड प्लांट्स, सोलर पम्प्स, और बिजली उत्पादित कर जाल को जोड़ने के प्रयास।
राजस्थान में इस योजना की प्रगति उत्साह जनक रही है राजस्थान राज्य ने पीएम-कुसुम योजना में बहुत तीव्र गति से प्रगति की है जिससे सौर उर्जा क्षमता का विकास हुआ है।राजस्थान ने इस योजना के तहत 1,000 मेगावाट से भी अधिक सौर उर्जा क्षमता स्थापित की है। इसने राज्य को किसानों को दिन के समय बिजली उपलब्ध कराने में सक्षम बनाया है। इस योजना के अन्तर्गत सोलर पम्प लगने लगे हैं और किसानों की संख्या में वृद्धि हुई है। इससे उनकी बिजली खर्च की समस्या घटने लगी है, जिससे खेती-कार्य अधिक सुगम हुआ है। राजस्थान ने देश में इस योजना को आगे बढ़ाने वाले राज्यों में अग्रणी स्थान हासिल किया है। किसानों के लिए योजना के लाभों का प्रत्यक्ष अनुभव, साथ ही बिजली की कमी व बिजली-टैरीफ में राहत, राज्य को कई मामलों में उदाहरण बना चुकी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान में पीएम-कुसुम योजना की सफलता की ओर कई बिन्दुओं पर प्रकाश डाला है। बांसवाड़ा जिले में सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान एक किसान ने कहा कि “मैं मानता हूँ कि लोगों ने कहा कि आलू से सोना होगा। आलू से सोना तो नहीं हुआ लेकिन हमारी ज़मीन से आपने सोना हमें ज़रूर दे दिया।” इस वक्तव्य से प्रधानमंत्री मोदी और उपस्थित जनसमूह दोनों हँस पड़े। इस बयान ने यह दिखाया कि किसानों ने योजना से कैसे महसूस किया कि उनकी ज़मीन अब सिर्फ फसल ही नहीं उगा रही बल्कि ऊर्जा उत्पन्न करने की क्षमता का स्रोत बनी है। इस तरह योजना ने किसानों को “खाने वाले” से “ऊर्जा प्रदाता” की भूमिका दी है।
प्रधानमंत्री का मोदी ने बांसवाड़ा में हाल ही परमाणु बिजली घर योजना का शिलान्यास करने के बाद कहा कि “नवरात्रि में हम शक्ति के नौ स्वरूपों की पूजा करते हैं ।आज बिजली शक्ति यानी बिजली उत्पादन से जुड़ा इतना बड़ा आयोजन हो रहा है। राजस्थान की धरती से आज बिजली क्षेत्र में भारत के सामर्थ्य का एक नया अध्याय लिखा जा रहा है।”
उन्होंने यह भी कहा कि राजस्थान और अन्य राज्यों में बहुत से बड़े बिजली प्रोजेक्ट्स शुरू हुए हैं जिनकी कुल लागत भारी है, और ये प्रोजेक्ट्स किसानों और ग्रामीण इलाकों में ऊर्जा पहुंच सुनिश्चित करेंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने यह बताया कि पूर्व में ग्रामीण इलाकों में बिजली की स्थिति कैसी थी। कई गांवों में बिजली नहीं थी, किसान बिजली के लिए डीज़ल पम्प या अन्य महँगे साधन इस्तेमाल करते थे। उन्होंने कहा कि इस योजना सहित अन्य उर्जा परियोजनाओं से आज बिजली की उपलब्धता बढ़ी है, किसानों को सस्ती बिजली मिल रही है और निर्बाध विद्युत् आपूर्ति की दिशा में काम किया जा रहा है।
राजस्थान के किसानों ने यह अनुभव किया है कि पीएम-कुसुम योजना के अंतर्गत बिजली बिल की बचत हुई है।अतिरिक्त ऊर्जा उत्पादन कर स्वरोजगार और आय का अन्य स्रोत मिल रहा है।
योजना ने पर्यावरण-अनुकूल प्रौद्योगिकी को अपनाने की प्रेरणा दी है।
पीएम मोदी ने भी इस बात को स्वीकार किया कि ऐसे किसानों की संख्या बढ़ी है जो सिर्फ कृषि नहीं कर रहे बल्कि ऊर्जा उत्पादन के माध्यम से भी योगदान दे रहे हैं, जिससे उनके आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति में सुधार हुआ है।
किसानों को अपने खेतों में सौर ऊर्जा पम्प और प्लांट्स मिल रहे हैं, जिससे पम्पिंग आदि के लिए बिजली की कमी की समस्या घट रही है।बिजली खर्च की बचत होने के कारण किसानों की लागत कम हुई है, और अतिरिक्त बिजली जाल में बेचने से आय का अतिरिक्त स्रोत मिला है।पारंपरिक ईंधन‐उद्योग की तुलना में सौर ऊर्जा उपयोग से प्रदूषण कम होता है, जलवायु परिवर्तन के प्रति सकारात्मक कदम है। आदिवासी, पिछड़े क्षेत्रों और ग्रामीण अंचलों तक इस योजना के लाभ पहुंचे हैं, जिससे विकास अधिक समान रूप से हो रहा है।
कुल मिला कर राजस्थान में पीएम-कुसुम योजना ने कृषि एवं ऊर्जा क्षेत्र में एक परिवर्तनकारी भूमिका निभाई है। किसानों ने महसूस किया है कि इस योजना से वे केवल अनाज उगा कर नहीं रह गए हैं, बल्कि अब उन खेतों से बिजली उत्पन्न कर आर्थिक-आत्मनिर्भरता पा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा इस बात का प्रतिफल है कि योजना न सिर्फ योजनात्मक कागज़ों पर बल्कि ज़मीन पर भी सफल हो रही है। ऐसी सराहना यह बताती है कि सरकार की योजनाएँ अगर सही तरीके से लागू हों, तो ग्रामीण भारत में न सिर्फ आर्थिक बदलाव आ सकता है, बल्कि जनमानस में विश्वास और उज्जवल भविष्य की आस भी पनपती है।आगे की चुनौतियाँ यह होंगी कि योजना की पहुंच और गति बढ़ाए जाए, कल-कारखाने, रख-रखाव, तकनीकी शिक्षा एवं संसाधन सुनिश्चित किए जाएँ, ताकि हर किसान इस पहल का लाभ उठा सके। सरकार, प्रशासन और किसानों के संयुक्त प्रयास से राजस्थान पीएम-कुसुम की सफलता की मिसाल पूरे देश के लिए बनेगी।