भारत की आसान जीत में रोहित और दिनेश कार्तिक की तूफानी पारी

  • अश्विन, बिश्नोई व जडेजा के स्पिन के जाल में फंस कर रह गई वेस्ट इंडीज
  • भारत ने वेस्ट इंडीज से पहला टी-20 68 रन से जीत ली 1-0 की बढ़त
  • दिनेश कार्तिक ने टी-20 विश्व के बतौर फिनिशर अपनी दावेदारी मजबूत की

सत्येन्द्र पाल सिंह

नई दिल्ली : ओपनर कप्तान रोहित शर्मा के 44 गेंद पर 64 रन और मैन ऑफ द मैच फिनिशर दिनेश कार्तिक की 19 गेंद पर नॉटआउट 41 रन की बदौलत भारत ने आगामी टी-20 विश्व कप की तैयारियों के मद्देनजर टारूबा की मुश्किल पिच पर भी अपने दे दनादन, दे दनादन के क्रिकेट दर्शन पर काबिज रह वेस्ट इंडीज को शुक्रवार देर रात टारूबा में पांच टी-20 मैचों की सीरीज के पहले मैच में 68 रन से शिकस्त दे 1-0 की बढ़त ले ली। रोहित शर्मा ने भारत के लिए टी-20 क्रिकेट में मात्र 35 गेंद 27 वां अद्र्बशतक पूरा किया। भारत की इस जीत में टारूबा के ब्रायन लारा स्टेडियम की धीमी पर पिच अनुभवी ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन (2/22), रवि बिश्नोई(2/26) और रवींद्र जडेजा(1/26) की स्पिन त्रिमूर्ति स्पिन जाल का बुना की वेस्ट इंडीज के बल्लेबाज उसमें फंस कर रह गए। भारत की कोशिश अब बैसेट्रे में सोमवार और मंगलवार को दूसरा और तीसरा टी-20 भी जीत दो मैच के बाकी रहते ही 3-0 की अजेय बढ़त के साथ सीरीज अपने नाम करने पर रहेगी। दिनेश कार्तिक ने बतौर फिनिशर फिर दमदार प्रदर्शन कर टी-20 विश्व कप के लिए भारतीय टीम के लिए अपनी दावेदारी और मजबूत की है।

भारत के कप्तान रोहित शर्मा ने अपनी जीत के बाद ठीक कहा, ‘पूरे मैच में दे दनादन अंदाज में खेलने पर काबिज रहने के क्रम में इक्का दुक्का हार भी झेलनी पड़े तो हम उससे भी नहीं डरते।’

कप्तान रोहित शर्मा (64 रन, 44 गेंद, दो छक्के, 7 चौके) ने नए सलामी जोड़ीदार सूर्य कुमार यादव (24 रन, 16 गेंद, एक छक्का) के साथ पहले बल्लेबाजी की दावत पाकर 4.4 ओवर में 44 रन और ऋषभ पंत के साथ 25 गेंद में 43 रन जोड़ कर दस ओवर में भारत के स्कोर को तीन विकेट पर 88 रन पर पहुंचा कर मजबूत शुरुआत दी। भारत ने मध्यक्रम में एक छोर से श्रेयस अय्यर (0), ऋषभ पंत(14 रन, 12 गेंद, दो चौके), हार्दिक पांडया(1), रवींद्र जडेजा (16 रन,13 गेंद, दो चौके) के विकेट जब सस्ते में गंवा दिए और उसका जब 16ओवर में छह विकेट 136 रन तो उसके मजबूत स्कोर की उम्मीदें बहुत हो गई। निचले क्रम में दिनेश कार्तिक (नॉटआउट 41,19 गेंद, दो छक्के, चार चौके) और रविचंद्रन अश्विन (नॉटआउट 13 रन, 10 गेंद, एक छक्का)के साथ अंतिम चार ओवर में सातवें विकेट के लिए 52 रन की अटूट भागीदारी की बदौलत छह विकेट पर 190 रन बनाए। भारत की इस बात के लिए तारीफ करनी होगी कि मध्यक्रम के लडख़ड़ाने के बावजूद आखिरी ओवर तक दे दनादन के अंदाज पर काबिज रह कर बल्लेबाजी की। तेज गेंदबाज अल्जारी जोसेफ(2/46) वेस्ट इंडीज के सबसे कामयाब गेंदबाज रहे जबकि ओबेद मेकॉय, जेसन होल्डर, कीमो पॉल और लेफ्ट आर्म स्पिनर अकील हुसैन के हिस्से एक एक विकेट आया।

कायल मायर्स(15 रन,6 गेंद, एक छक्का, दो चौके) और शामरा ब्रुक्स (20 रन, म5 गेंद, एक छक्का, दो चौके)की सलामी जोड़ी ने ने तूफानी तेवर दिखा कर 22 रन जोड़े लेकिन नौजवान तेज गेंदबाज अर्शदीप सिंह ने मायर्स को भुवनेश्वर कुमार के हाथों कैच करा इस भागीदारी को तोडऩे के बाद जेसन होल्डर(0) को बोल्ड कर और भुवनेश्वर ने ब्रुक्स को बोल्ड कर वेस्ट इंडीज को बुरी तरह झकझोरा दिया। इसके बाद ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन, लेग स्पिनर रवि बिश्नोई और रवींद्र जडेजा ने स्पिन का जाल बुनकर आपस में पांच विकेट बांटकर वेस्ट इंडीज को 20 ओवर में 122 रन पर रोक कर भारत को आसान जीत दिला दी।

‘भारतीय टीम में फिनिशर के रोल का लुत्फ उठा रहा हूं’
‘कप्तान रोहित शर्मा और चीफ कोच राहुल द्रविड़ ने भारतीय टीम में ऐसा माहौल बनाया है जिसमें खिलाड़ी खुद को महफूज महसूस करते हैं। मैं इस माहौल का वाकई लाभ उठा रहा हूं। इसका श्रेय रोहित और द्रविड़ दोनों को जाता है। इन दोनों ने ऐसा माहौल बनाया है कि जिसमें जितना मुमकिन होता है वे नाकामी से भी तार्किक ढंग से निपटते हैं। पिच पर उतरने पर बल्लेबाजी के लिए कुछ मुश्किल थी। एक बार जमने और पिच की थाह पाने के बाद आप इस पर जरूर अपने स्ट्रोक खेल सकेत थे। मैं भारतीय टीम में फिनिशर के रोल का लुत्फ उठा रहा हूं और यह खासा रोचक है। बतौर फिनिशर आप निरंतर कामयाब नहीं हो सकते लेकिन कुछ दिन ऐसे जरूर होते हैं जब आप अपनी छाप छोड़ सकते हैं। जब आप आखिरी तीन चार ओवर में बल्लेबाजी करते हैं तो आपको गेंद की शक्ल, गेंद कितनी ठोस है , पिच कैसी और इस सबको जेहन में रख कर आपको खेलने की जरूरत होती। कुछ ऐसा भी होता ,जो आप अभ्यास से सीखते हैं। मेंटल कंडीशनिंग कोच पैडी अपटन को टीम से बहुत अच्छा है। मुझे लगता है हमें उनकी कमी खल रही थी। जब कभी मैं अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाता तब भी मुझसे अच्छा व्यवहार किया जाता है। हमारे ड्रेसिंग रूम का माहोल शांत और बढिय़ा है।
दिनेश कार्तिक, भारत

‘शुरू में पिच कुछ धीमी थी, शॉट खेलना आसान नहीं था’
‘शुक्रवार को बल्लेबाजी करने पर उतरने पर मालूम पड़ा कि पिच कुछ मुश्किल रहेगी। शुरू में इस ïपर शॉट खेलना आसान नहीं था क्योंकि पिच कुछ धीमी थी। जो भी इस पिच पर जम जाए उसे लंबी पारी खेलने की जरूरत थी। स्पिनरों को पिच से कुछ मदद मिल रही थी। स्पिनर द्वारा अपनी गेंदबाजी में किए बदलाव को समझ पाना आसान नहीं था। हमारा पहले बल्लेबाजी के लिए बुलाए जाने पर 190 रन का स्कोशर बनाना अच्छा रहा। मैंने वाकई ऐसा सोचा था कि इस पर आप पहले बल्लेबाजी करते हुए 170-180 रनबना सकते हैं। हमने कौशल पर भरोसा कर इससे सामान्य से ज्यादा स्कोर बनाया। जहां तक आक्रामक सोच के साथ खेलने की बात है तो हम शुरू के छह ओवरों, बीच के ओवरों और मैच को अंजाम तक पहुंचाने के क्रम में कुछ प्रयोग करना चाहते थे। हमने टीम में खास खिलाड़ी को खास भूमिका सौंपी है। शुक्रवार को हम कामयाब रहे लेकिन जरूरी नहीं कि आप हर समय कामयाब ही रहे। फिर भीहमें अपने प्रयोगों पर भरोसा कर उन्हें आजमाने की जरूरत जरूर थी। प्रयोग करने के क्रम में कभी आप कामयाब होते हैं कभी नाकामी भी झेलनी पड़ेगी। हमें इससे कोई परेशानी नहीं है। कुछ हासिल करने के लिए कुछ चीजें तो करनी ही पड़ती है। कुल मिलाकर शुक्रवार को सब ठीक रहा और हमें इसे जारी रखना चाहते हैं। कुछ पिचों पर ऐसा करना मुमकिन नहीं होता और ऐसे में आपको कुछ कदम पीछे कर यह सोचने की जरूरत होती है आप इन ओवरों को कैसे खेल सकते हैं। हमारे बल्लेबाजों के पास कौशल है और वे घर में भी सभी तरह की पिचों पर खेले है और उन्हें जरूरत बस अपने कौशल पर भरोसा करने की है।
-रोहित शर्मा, भारत के कप्तान