डॉ प्रशान्त अग्निहोत्री
देश का झंडा हर देश की आन-बान-शान का प्रतीक होता है। उस देश की
आशाएं और आकांक्षाएं इसमें झलकती है। देश के झंडे के साथ उस देश का
स्वाभिमान, संघर्ष, संभावनाएं और भविष्य बंधा होता है। हमारे देश का राष्ट्र ध्वज
तिरंगा, संपूर्ण स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान भारतीयों की प्रेरणा का स्रोत बना रहा।
न जाने कितने नौजवानों ने इस तिरंगे की शान की खातिर, अपने शीशों को भारत
माता के चरणों में समर्पित कर दिया। उनके बलिदानों के परिणामस्वरूप जो
स्वतंत्रता हमें मिली, उस स्वतंत्रता की 75 वीं वर्षगांठ हम अमृत महोत्सव के रूप में
इस वर्ष मना रहे हैं। स्वाभाविक है कि यह अवसर देश के प्रत्येक नागरिक के लिए
बहुत ही अविस्मरणीय और महत्वपूर्ण है। भारत सरकार भी इस मौके पर हर घर
तिरंगा अभियान चला रही है। 13 से 15 अगस्त तक हर घर पर राष्ट्र स्वाभिमान
का प्रतीक तिरंगा फहराने की इस योजना में 20 करोड़ झंडे फहराने का लक्ष्य रखा
गया है। सभी सरकारी कार्यालयों और कारपोरेट जगत से इस संदर्भ में विशेष
अभियान चलाने की बात कही गई है। विभिन्न सामाजिक संस्थाओं से लोगों को
भी झंडे उपलब्ध कराने का अनुरोध किया गया है। वहीं कारपोरेट जगत से भी
अपने सभी कर्मचारियों को तिरंगा वितरित करने को कहा गया है।
इस ऐतिहासिक मौके पर स्वाधीनता का उत्सव पूरी धूमधाम के साथ मनाया
जाना चाहिए। हर भारतीय का कर्तव्य है कि वह इस उत्सव में बढ़ चढ़कर भाग
ले। अपने घर पर तिरंगा फहराये और राष्ट्र के वीर शहीदों प्रति अपनी श्रद्धांजलि
अर्पित करें। प्रारंभ में हमारे संविधान में आम नागरिक को प्रतिदिन तिरंगा फहराने
की अधिकार नहीं दिया था। ज्ञातव्य है कि हर आम नागरिक को प्रतिदिन ध्वज
फहराने का अधिकार ऐसे ही नहीं मिला। इसके लिए पूर्व सांसद और व्यवसायी
नवीन जिंदल ने लंबी कानूनी लड़ाई सुप्रीम कोर्ट में लड़ी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के
बाद 26 जनवरी 2002 से भारत के आम नागरिकों को हर दिन राष्ट्रीय ध्वज
फहराने का अधिकार मिला। इसके लिए भारतीय झंडा संहिता में संशोधन किया
गया। उन्हीं के प्रयासों से सन् 2009 में विशाल ध्वज को रात में भी फहराने की
अनुमति मिली। आज अपने निजी भवन या प्रतिष्ठान पर ध्वज फहराना प्रत्येक
भारतीय नागरिक का अधिकार है। पर पिछले दिनों जिस तरह से विभिन्न
आंदोलनों, शोभा यात्राओं आदि में तिरंगा हाथ में लेकर हिंसा आदि के दृश्य देखे
गए, वह हमारे राष्ट्रध्वज के सम्मान के अनुकूल नहीं है। अक्सर लोग राष्ट्रप्रेम के
भाव के साथ तिरंगा फहराते हैं। उसके बाद वे उसे फहराकर भूल जाते हैं। उनका
फहराया हुआ वह ध्वज रात-दिन अनवरत फहरता रहता है। उन्हें इस बात की
चिंता नहीं रहती कि वह गंदा हो गया है या फट गया है। स्वतंत्रता दिवस या
गणतंत्र दिवस के अवसर पर अक्सर लोग ध्वज फहराकर, उसे उतारना भूल जाते
हैं। सी.ए.ए के विरोध प्रदर्शन, किसान आंदोलन और पिछले दिनों जुमे की नमाज
के बाद हुए हिंसक प्रदर्शनों में प्रदर्शनकारियों के हाथों में तिरंगा दिखाई दिया।
अक्सर विभिन्न धार्मिक जुलूसों में धर्म विशेष के झंडों के साथ, आप तिरंगे को भी
देखते हैं। कई बार तिरंगे के ऐसे उपयोग के पीछे भावना, अपने लिए रक्षा कवच
बनाने की होती है। वे इसके माध्यम से अपने हिंसक आंदोलन को राष्ट्रवादी सिद्ध
करने की कोशिश करते दिखाई पड़ते हैं। 26 जनवरी को लाल किले पर हुए हिंसक
प्रदर्शन के दृश्य आज भी हमारी आंखों में जीवन्त हैं, जिसमें अपने हाथों में तिरंगा
लिए हिंसक आंदोलनकारी लाल किले में घुस गए थे।इस तरह के आंदोलनों और
धार्मिक शोभायात्राओं में तिरंगे का उपयोग कितना उचित है, इस पर विचार करने
की आवश्यकता है। यह बात ठीक है कि भारत के प्रत्येक नागरिक को राष्ट्र ध्वज
फहराने का अधिकार मिला है पर इसको फहराने के कुछ नियम भी हैं। हम तिरंगे
को सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच ही फहरा सकते हैं। फहरते समय झंडा झुका नहीं
होना चाहिए। हम झंडे पर किसी भी अन्य संदेश को नहीं लिख सकते और न ही
हम झंडे का व्यवसायिक प्रयोग कर सकते हैं। हम झंडे का इस्तेमाल वस्त्र के रूप
में नहीं कर सकते। न ही उसका प्रयोग रुमाल या कुशन के रूप में किया जा
सकता है। झंडा कभी भी मैला- कुचैला या फटा हुआ नहीं होना चाहिए। यही नहीं
कोई भी दूसरा झंडा या पताका उसके बराबर या उसके ऊपर नहीं लगाया जा
सकता।उसे उतारते हुए कभी भी वह जमीन पर नहीं लगना चाहिए और न ही उसे
जमीन पर रखा जा सकता है। हमेशा भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा निर्धारित एवं
निर्देशों के अनुरूप उचित चिन्ह वाले झंडे को ही फहराना चाहिए। कई बार यह
देखने में आता है कि अति उत्साह या अज्ञानतावश हम उन नियमों की अनदेखी
कर जाते हैं जो राष्ट्रध्वज को फहराते समय उसके सम्मान के लिए आवश्यक हैं।
ऐसे में यह आवश्यक है कि सरकार हर घर तिरंगे की योजना के साथ सार्वजनिक
संचार के माध्यम से राष्ट्र ध्वज को फहराने संबंधी नियमों की जानकारी भी आम
लोगों तक पहुंचाए ताकि हम इस ऐतिहासिक अवसर पर अपने राष्ट्र की गरिमा के
अनुरूप अपने राष्ट्रध्वज को सम्मान के साथ अपने घरों और प्रतिष्ठानों पर फहरा
सकें।