
किशोर कुमार मालवीय
क्या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस दुष्प्रचार और झूठी खबर फैलाने का एक औजार बन गई है? क्या मीडिया में इस तकनीक के भरपूर इस्तेमाल से फायदा के साथ साथ नुकसान भी हो रहा है? और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस युग में मीडिया की क्या स्थिति है, खासकर दुष्प्रचार के मामलों में ? ऐसे कई सवाल हैं जो आजकल लोगों के मन में उठते हैं। खासकर उन छात्रों के मन में जो मीडिया स्टीज से जुड़े हैं। इस तरह के सवाल आम लोगों के मन में भी उठते रहते हैं। इन्हीं सवालों को ध्यान में रखकर गुरुग्राम विश्वविद्यालय के मीडिया स्टडीज विभाग ने दो दिवसीय नेशनल मीडिया डॉयलॉग का आयोजन किया जिसमें देशभर के नामी गिरामी पत्रकारों के अलावा शिक्षा जगत से जुड़ी बड़ी हस्तियों ने हिस्सा लिया।
विश्वविद्यालय के गुरुग्राम कैम्पस में आयोजित इस समारोह में भारतीय जनसंचार संस्थान के पूर्व डीजी, माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति और वर्तमान में प्रतिष्ठित इंडिया हैबिटेट सेंटर के निदेशक के. जी. सुरेश, विश्व संवाद केन्द्र के सचिव(हरियाणा) राजेश कुमार, प्रसार भारती के पूर्व सीईओ शशिशेखर वेंपति, रोहतक स्थित स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ पर्फॉर्मिंग एंड विजुअल आर्ट्स के कुलपति अमित आर्या, सुरुचि प्रकाशन के चेयरमैन राजीव तुली और राष्ट्रीय मीडिया संस्थानों से जुड़े पत्रकारों ने हिस्सा लिया। इनमें प्रमुख नाम हैं राजकिशोर (अमर उजाला), धर्मेन्द्र भदौरिया (दैनिक भाष्कर), अमन चोपड़ा(टीवी-18),अनुराग मुस्कान (जी न्यूज), संजय शर्मा (आज तक), अमित भारद्वाज (इंडिया टूडे), टीवी एंकर नैना यादव और फ्री लांस पत्रकार शालिनी कपूर तिवारी।
समारोह में उपस्थित सभी वक्ताओं ने मीडिया में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के इस्तेमाल को जरुरी बताया लेकिन सावधानी के साथ।वक्ताओं ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने मीडिया को और समृद्ध बनाया है लेकिन ये भी सच है कि इससे झूठी खबर और दुष्प्रचार को बढ़ावा भी मिला है। श्री के जी सुरेश ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल में अपनी बुद्धि और विवेक का इस्तेमाल जरुर कर लेना चाहिए। श्री अमित आर्या ने कहा कि जब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस नहीं था तब पत्रकार खुद रिसर्च करते थे और अशुद्धि या दुष्प्रचार की सम्भावना कम रहती थी। राजेश कुमार जी ने एक समाचार का हवाला देते हुए कहा कि कैसे जान बूझकर किसी मामूली झगड़े को तोड़ मरोड़ कर साम्प्रदायिक रुप दे दिया जाता है। सुरुचि प्रकाशन के चेयरमैन राजीव तुली ने पत्रकारिता की परम्परागत पद्धति को बेहतर बताते हुए कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को हावी नहीं होने देना चाहिए। प्रसार भारती के पूर्व सीईओ शशिशेखर वेंपति ने छात्रों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विभिन्न तकनीकी पहलुओं की जानकारी दी।
सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए गुरुग्राम विश्विद्यालय के कुलपति प्रो. संजय कौशिक ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की चुनौतियों का जिक्र करते हुए कहा कि हमें सावधान रहना होगा ताकि दुष्प्रचार न हो।हमारी प्रतिकत्रिया पर बहुत कुछ निर्भर करता है। विश्वविध्यालय के मीडिया अध्ययन विभाग के चेयरमैन प्रो. राकेश कुमार योगी ने नैशनल मीडिया डॉयलॉग की उपयोगिता बताते हुए कहा कि डिजिटल युग में मीडिया की नैतिकता, जिम्मेदारी पर गंभीर विचार मंथन की आवश्यकता है।प्रो. योगी ने समारोह की सफलता पर हर्ष व्यक्त करत हुए सभी अतिथियों, शिक्षकों, कर्मचारियों और छात्रों का धन्यवाद किया।
मीडिया अध्ययन विभाग की संयोजक प्रो. मीनाक्षी श्योराण ने बताया कि हर साल आयोजित होने वाले नैशनल मीडिया डॉयलॉग का उद्देश्य छात्रों का मीडिया जगत से सीधा संवाद कराना है।