
किशोर कुमार मालवीय
जहरीली कफ सिरप से बच्चों की मौत के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। आज दिल्ली सरकार ने भी कोल्डरिफ सिरप की खरीद-बिक्री और वितरण पर रोक लगा दी है। देशभर में अब तक अब तक 21 बच्चों की सिरप से मौत हो चुकी है।तमिलनाडू में बनी कोल्डरिफ सिरप मिलावटी और घटिया क्वालिटी की पाई गई है।सभी व्यापारियों को रहा गया है कि वे इस सिरप के वितरण तत्काल प्रभाव से रोक दें।दिल्ली की आम जनता को भी सावधान किया गया है कि वे कोल्डरिफ ना खरीदें।
सवाल ये उठता है कि इस मिलावटी दवा के बाजार में बिकने देने के लिए इसके जिम्मेवार कौन है – डॉक्टर, दवा कम्पनियां या सरकार। मध्य प्रदेश और राजस्थान में कई अधिकारियों पर गाज गिर चुकी है। मध्य प्रदेश में बच्चों को कोल्डरिफ लिखने वाले एक डॉक्टर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। कई ड्रग कंट्रोलर के खिलाफ भी कार्रवाई की गई है।
अपोलो स्पेक्ट्रा अस्पताल के डॉक्टर संदीप कटियार का कहना है कि जो लोग दुकान से सीधा कफ सिरप खरीद रहे हैं, उन्हें सावधान रहने की जरुरत है क्योंकि उन्हें नहीं मालूम कि किस दवा में क्या मिला है। जब तक कोई सर्टिफायड डॉक्टर दवा खाने को ना कहें तबतक कफ सिरफ अपने बच्चों को ना पिलाएं। वैसे, डॉ. कटियार के अनुसार कफ सिरप से कोई खास फायदा नहीं होता। ये क्षणिक राहत देता है, खांसी से स्थायी मुक्ति नहीं। छोटे बच्चों के लिए कफ सिरप से ज्यादा प्रभावी नेबुलाइजर होता है। उन्होंने इस बात पर चिंता जताई है कि लोग बिना डॉक्टरी सलाह के कफ सिरप खरीद रहे हैं।
इंडियन मेडिकल एसोशिएशन ने इस मामले में डॉक्टर की गिरफ्तारी का विरोध किया है। उनका कहना है कि घटिया दवाई बनाने और उसे बाजार तक पहुंचाने में डॉक्टर की कोई भूमिका नहीं होती। असली गुनहगार वे लोग हैं जो घटिया दवाई बनाते हैं, जो उन्हें अप्रुव कर हाजार में बेचने की अनुमति देते हैं और वे भी जो सरकारी अस्पतालों में उन दवाओं को खरीदते हैं।पूरा मामला भ्रष्टाचार से जुड़ा है। बड़ी बड़ी फार्मा कम्पनियां रिश्वत देकर अपनी दवाईयां पास कराती हैं और फिर वे दवाईयां बाजार में धड़ल्ले से बिकती है।
अब तक करीब 19 दवा कम्पनियों की दवाईयों के नमूने सरकार ने इकट्ठे किए हैं जिनकी लैब में जांच की जा रही है।इन दवाओं में कफ सिरप के अलावा एंटी बायोटिक्स दवाईयां भी हैं। दिल्ली से पहले उत्तर प्रदेश तथा कई अन्य राज्य भी कोल्डरिफ कफ सिरप पर बैन लगा चुकी है।