पाकिस्तान और अफगानिस्तान दोनों गरीब देश , आखिर रोकनी पड़ी दादागिरी

Pakistan and Afghanistan are both poor countries, ultimately the bullying had to be stopped.

अशोक भाटिया

ज्ञात हो कि अफगान सेना ने 11 अक्टूबर की रात पाकिस्तान की सीमा में घुसकर सात इलाकों में भारी हथियारों से हमला किया था . अफगानिस्तान का दावा था कि इस कार्रवाई में 12 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए और 5 को हिरासत में लिया गया. अफगान सैनिकों ने पाकिस्तानी हथियार भी जब्त किए और एक सैनिक का शव अपने साथ ले गए. वहीं जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान ने भी मोर्चा संभाला, जिससे दोनों देशों की सेनाओं के बीच करीब साढ़े तीन घंटे तक गोलीबारी चली. ऐसे में समझने की बात यह है कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान दोनों गरीब देश है ऐसे में अफगानिस्तानी लड़ाकों के पास ऐसे कौन से हथियार हैं और वो पाकिस्तानी आर्मी के सामने कितने दिन टिक पाएगा.

दरअसल यह सवाल इस कारण भी उठता है कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान, दोनों ही दक्षिण एशिया के ऐसे देश हैं जो लंबे समय से गरीबी, राजनीतिक अस्थिरता और आतंकवाद की मार झेल रहे हैं. दोनों देशों की सीमाएं एक-दूसरे से जुड़ी हैं और दोनों पर ही पिछले कुछ दशकों में कई बाहरी ताकतों का असर पड़ा है. जहां पाकिस्तान 1947 से एक स्वतंत्र देश के रूप में अपनी सरकारें बनाता-बिगाड़ता रहा है, वहीं अफगानिस्तान में 2021 में अमेरिकी फौजों को बाहर निकालने के बाद तालिबान ने सत्ता पर कब्जा जमाया और इस्लामी अमीरात की सरकार बनाई.

अफगानिस्तान इस समय तालिबान के शासन में है. 2022 में तालिबानी सरकार ने 1 लाख 10 हजार सैनिकों की एक नेशनल फोर्स तैयार करने का लक्ष्य रखा था, जो अब करीब 2 लाख तक पहुंच चुकी है. ये लड़ाके खासतौर पर पहाड़ी इलाकों और कठिन परिस्थितियों में लड़ने के लिए प्रशिक्षित हैं. गोरिल्ला युद्ध में ये माहिर हैं, यानी आम फौज की तरह नहीं, बल्कि अचानक हमले, छिपकर वार करने और तेज मूवमेंट की रणनीति अपनाने में माहिर हैं.

अफगानिस्तान की सबसे बड़ी कमजोरी उसकी तकनीकी कमी है. तालिबान के पास अपना कोई आधुनिक हथियार उत्पादन तंत्र नहीं है. उनके पास जो हथियार हैं, वो या तो अमेरिका से छोड़े गए हैं, या फिर रूस और सोवियत दौर के पुराने हथियारों से मिले हैं. रिपोर्टों के मुताबिक, अफगान सेना के पास सैकड़ों अमेरिकी और रूसी टैंक हैं, साथ ही कुछ पुराने बख्तरबंद वाहन भी मौजूद हैं.

अफगानिस्तान के पास कोई सक्रिय फाइटर जेट नहीं है. 2016 से 2018 के बीच अमेरिका ने उसे A-29 Super Tucano नाम के हल्के अटैक एयरक्राफ्ट दिए थे, जिनकी संख्या लगभग 26 बताई जाती है. इनके पास कुछ अमेरिकी हेलीकॉप्टर और ड्रोन भी हैं, लेकिन ये बहुत सीमित स्तर पर काम करते हैं. अगर बात आसमान की जंग की हो, तो अफगानिस्तान की ताकत बहुत सीमित मानी जाती है.

मिसाइल ताकत के मामले में भी अफगानिस्तान पीछे है. उनके पास सोवियत जमाने की पुरानी बैलिस्टिक मिसाइलें हैं, जो अब तकनीकी रूप से अप्रभावी मानी जाती हैं. कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि तालिबान ने हाल के वर्षों में कुछ नए मिसाइल सिस्टम खरीदे हैं, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि वे किस देश से आए हैं. अफगानिस्तान के पास कोई आधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम नहीं है, केवल कुछ शॉर्ट-रेंज एंटी-एयरक्राफ्ट गन और रॉकेट लॉन्चर हैं. हालांकि रूस की मदद से तालीबान अपने एयर डिफेंस को सुधारने की कोशिश कर रहा था.

उधर पाकिस्तान भले ही 75 साल से एक स्थापित देश हो, लेकिन वहां भी हालात कुछ बेहतर नहीं हैं. बार-बार तख्तापलट, सियासी खींचतान, आतंकवाद और बढ़ते कर्ज ने देश की कमर तोड़ दी है. इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) से लगातार मदद मांगने वाला पाकिस्तान अब आर्थिक संकट के सबसे निचले दौर में पहुंच चुका है.

जमीन पर लड़ाई की बात करें तो अफगानिस्तान के तालिबानी लड़ाके अपनी गोरिल्ला रणनीति से दुश्मन पर भारी पड़ सकते हैं. लेकिन अगर युद्ध हवाई स्तर पर पहुंचा, तो पाकिस्तान को बढ़त मिल सकती है, क्योंकि उसके पास आधुनिक फाइटर जेट और मिसाइलें हैं. फिलहाल दोनों देशों के पास युद्ध का खर्च उठाने की हालत नहीं है, लेकिन अगर सीमा पर तनाव बढ़ता है, तो यह टकराव पूरे दक्षिण एशिया के लिए खतरनाक साबित हो सकता है.

आखिरकार हाल फ़िलहाल दोनों गरीब देश पाकिस्तान और अफगान तालिबान के बीच कई दिनों तक चली हिंसक झड़पों के बाद दोनों पक्ष 48 घंटे के युद्धविराम पर सहमत हो गए हैं। यह युद्धविराम बुधवार शाम को 6 बजे से लागू हुआ है। इसके पहले कई दिनों तक चली जमीनी और हवाई लड़ाई में दोनों पक्षों की तरफ से दर्जनों लोग मारे गए थे और 100 से ज्यादा घायल हुए हैं। 2021 में काबुल की सत्ता पर तालिबान के काबिज होने के बाद से पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच यह हिंसा का सबसे बुरा दौर था। युद्धविराम के पहले बुधवार को दोनों पक्षों में भीषण लड़ाई हुई। इस बीच यह सवाल बना हुआ है कि ताजा युद्धविराम कितने दिनों तक चल पाएगा?

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इस युद्धविराम की घोषणा करते हुए बताया कि इसका उद्येश्य शत्रुता को कम करना और अस्थिर सीमा पर हाल ही में भड़की लड़ाई के बाद बातचीत का रास्ता खोलना है। बयान के अनुसार, दोनों पक्ष इस मुद्दे का सकारात्मक समाधान खोजने के लिए ईमानदारी से प्रयास करने पर सहमत हुए हैं। इस्लामाबाद ने जटिल लेकिन समाधान योग्य बताया है।

तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने कहा कि काबुल ने अपनी सेनाओं को युद्धविराम का पालन करने का निर्देश दिया है, लेकिन इसके लिए पाकिस्तान को आक्रामकता से दूर रहना होगा। जबीहुल्लाह ने बताया कि युद्धविराम के लिए पाकिस्तानी पक्ष ने ही आग्रह किया था। तालिबान प्रशासन ने बताया कि बुधवार सुबह पाकिस्तान की वायु सेना ने कंधार के स्पिन बोल्डक जिले में बड़ा हवाई हमला किया, जिसमें कम से कम 12 नागरिक मारे गए। इस हमले में 100 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं और बड़ी संख्या में घरों को नुकसान हुआ है।

जैसा पहले बताया कि संघर्ष की शुरुआत पिछले सप्ताह काबुल पर पाकिस्तान के हवाई हमले के साथ हुई, जिसमें कथित तौर पर टीटीपी चीफ नूर वली महसूद को निशाना बनाने की बात कही गई। पाकिस्तान का आरोप है कि टीटीपी के सदस्य सीमा पार सुरक्षित ठिकानों से अपनी गतिविधियां चला रहे हैं। हालांकि, अफगान तालिबान ने इन आरोपों से लगातार इनकार किया है और आतंकवाद को पाकिस्तान की अंदरूनी समस्या बताया है। तालिबान ने पाकिस्तान पर गलत सूचना फैलाने, तनाव भड़काने और अफगानिस्तान को अस्थिर करने के लिए ISIS से जुड़े आतंकवादियों को पनाह देने का आरोप लगाया है। पाकिस्तानी सेना इन आरोपों से इनकार करती है।

अफगान तालिबान के साथ ताजा टकराव पाकिस्तानी सेना के लिए शर्मिंदगी का सबब बन गया है। तालिबान लड़ाकों ने दावा किया है कि उन्होंने बड़ी संख्या में पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया है। उनके हथियार और बख्तरबंद वाहन जब्त कर लिए हैं। सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में तालिबान लड़ाके कथित तौर पर एक पाकिस्तानी टी-55 टैंक पर सवार होकर जाते दिखाई दे रहे हैं। तालिबान ने इस टैंक को कथित तौर पर कंधार में हुए झड़पों के दौरान कब्जे में ले लिया था।

पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच हिंसक झड़पों ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को चिंतित कर दिया है। चीन ने अपने नागरिकों और निवेश की सुरक्षा की अपील की है। रूस ने दोनों पक्षों से संयम बरतने का आग्रह किया तो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संघर्ष समाप्त करने के लिए मध्यस्थता की पेशकश कर दी। तालिबान के बढ़ते हमलों के बाद पाकिस्तान ने कतर और सऊदी अरब से हस्तक्षेप करने और संघर्ष को रोकने में मदद की गुहार लगाई थी ।