ब्लॉकचेन तकनीक विश्वसनीयता की प्रतीक

Blockchain technology is a symbol of credibility

रविवार दिल्ली नेटवर्क

तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में ब्लॉकचेन एंड एआई फ़ॉर नेक्स्ट-जेनरेशन साइबर सिक्योरिटीः ट्रस्ट एंड ऑथेंटिकेशन पर ऑनलाइन फैकल्टी डवलपमेंट प्रोग्राम- एफ़डीपी

तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में ब्लॉकचेन एंड एआई फ़ॉर नेक्स्ट-जेनरेशन साइबर सिक्योरिटीः ट्रस्ट एंड ऑथेंटिकेशन पर पांच दिनी ऑनलाइन फैकल्टी डवलपमेंट प्रोग्राम-एफ़डीपी में वक्ताओं ने कहा, ब्लॉकचेन से डेटा की अखंडता, संचार की सुरक्षा और डिजिटल प्रमाणीकरण को विश्वसनीयता मिलती है। ग्राफिकल पासवर्ड जैसी न्यू टेक्निक्स भविष्य में और अधिक सुरक्षित विकल्प के रूप में उभर रही हैं। कृत्रिम बुद्धिमत्ता मशीन लर्निंग और डीप लर्निंग निर्णय प्रक्रिया को अधिक सटीक और प्रभावी बनाती है। वक्ताओं ने ऊर्जा, जल, परिवहन, स्वास्थ्य और शासन तंत्रों की सुरक्षा में एआई और ज़ीरो ट्रस्ट मॉडल के समन्वित उपयोग को विस्तार से समझाते हुए कहा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता खतरों की पहचान, असामान्य गतिविधियों की निगरानी और त्वरित प्रतिक्रिया प्रणाली को सशक्त बनाती है। इस ऑनलाइन एफ़डीपी में देश-विदेश के 100 प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया। सभी प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र भी दिए गए।

एफडीपी में गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, कश्मीर के विशेषज्ञ डॉ. औकिब हमीद लोन ने ब्लॉकचेन आधारित साइबर सुरक्षा और डिजिटल फॉरेंसिक पर बोलते हुए ब्लॉकचेन की मूल अवधारणाओं, सर्वसम्मति तंत्र और क्रिप्टोग्राफी की तकनीकों को विस्तार से समझाया। कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के डीन प्रो. राकेश कुमार द्विवेदी ने कहा, ब्लॉकचेन और कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसी उभरती तकनीकें भविष्य की सुरक्षा प्रणालियों की नींव हैं। इन पर आधारित शिक्षण और अनुसंधान गतिविधियां ही भारत को तकनीकी रूप से आत्मनिर्भर बनाएंगी। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, अलीगढ़ के प्रो. मोहम्मद सरोश उमर ने उपयोगकर्ता प्रमाणीकरणः चुनौतियां और सर्वाेत्तम अभ्यास पर व्याख्यान दिया। उन्होंने मजबूत पासवर्ड नीति, दो-स्तरीय प्रमाणीकरण और फ़िशिंग से जागरूकता पर बल दिया। वेलटेक रंगराजन डॉ. सगुंथला अनुसंधान एवं विकास संस्थान, चेन्नई के डॉ. ए. प्रसांत ने स्मार्ट अनुप्रयोगों के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता और ब्लॉकचेन का उद्भव पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने बताया, स्वास्थ्य, रोबोटिक्स और समुद्री उद्योगों में इनका संयोजन भविष्य के स्मार्ट और सुरक्षित तंत्रों के निर्माण में अत्यंत महत्वपूर्ण है।

जारामोगी ओगिंगा ओडिंगा विश्वविद्यालय, केन्या के डॉ. विन्सेंट ओमोलो न्यांगारेसी ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता और ज़ीरो ट्रस्ट मॉडल के जरिए महत्वपूर्ण अवसंरचनाओं की सुरक्षा पर विचार साझा किए। उन्होंने ऊर्जा, जल, परिवहन, स्वास्थ्य और शासन तंत्रों की सुरक्षा में एआई और ज़ीरो ट्रस्ट मॉडल के समन्वित उपयोग को विस्तार से समझाया। साथ ही भविष्य के शोध की दिशा में व्याख्येय एआई, फेडरेटेड लर्निंग और ज़ीरो डे अटैक पहचान जैसी अवधारणाओं पर भी प्रकाश डाला। आईटीएस- मोहन नगर, गाज़ियाबाद के प्रो. सुनील कुमार पांडे ने ब्लॉकचेन के मूल सिद्धांत और साइबर सुरक्षा में इसका प्रयोग पर ज्ञानवर्धक व्याख्यान दिया। उन्होंने क्रिप्टोग्राफी के आधारभूत सिद्धांतों और हैशिंग विधियों को सरल शब्दों में समझाया। उन्होंने एसएचए-256 एल्गोरिथ्म की भूमिका बताते हुए कहा, यह डेटा की अखंडता और अपरिवर्तनीयता सुनिश्चित करता है। उन्होंने सुरक्षित लॉगिंग, पहचान प्रबंधन, टोकनकरण, प्रक्रिया अखंडता और डेटा संरक्षण जैसे व्यावहारिक अनुप्रयोगों पर विस्तार से चर्चा की। अंत में एफडीपी कोऑर्डिनेटर डॉ. प्रीति रानी ने वोट ऑफ थैंक्स दिया। एफडीपी में सीसीएसआईटी के विभागाध्यक्ष प्रो. शंभु भारद्वाज, एडिशनल एचओडी डॉ. रूपल गुप्ता, डॉ. प्रियांक सिंघल, डॉ. नूपा राम चौहान, डॉ. रंजना शर्मा, डॉ. नमित गुप्ता, मिस रूहेला नाज़, श्री गौरव राजपूत आदि मौजूद रहे। संचालन स्टुडेंट्स प्रत्यक्षा पुंज, सन्यम जैन, नवज्योत जे., वृंदा अग्रवाल और अंजलि ने किया।