राजस्थानी भाषा को संविधानिक मान्यता दिलाने के लिए केंद्र सरकार संसद में तत्काल विधेयक पारित करें

राजस्थान के वरिष्ठ भाषाविद पदम मेहता ने अपने दिल्ली प्रवास में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सहित अन्य केंद्रीय मंत्रियों,सांसदों आदि से मुलाक़ात की

नीति गोपेन्द्र भट्ट

नई दिल्ली I राजस्थानी भाषा को संविधानिक मान्यता दिलाने के लिए पिछले अनेक वर्षों से अथक प्रयासों में जुटे राजस्थान के वरिष्ठ भाषाविद एवं पत्रकार और राजस्थानी भाषा की इकलौती मासिक पत्रिका माणक तथा दैनिक जलते दीप समूह के प्रधान सम्पादक पदम मेहता ने अपने दिल्ली प्रवास में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सहित अन्य केंद्रीय मंत्रियों गजेंद्र सिंह शेखावत,अश्विनी वैष्णव एवं अर्जुन राम मेघवाल तथा उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जगदम्बिका पाल, पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रुडी आदि से मुलाकात की। उन्होंने केन्द्र सरकार से राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने के लिए संसद में तत्काल विधेयक पारित करा राजस्थानी को अपना हक़ और मान सम्मान दिलाने का अनुरोध किया I

मेहता ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को संसद स्थित उनके कक्ष में इस सम्बन्ध में एक ज्ञापन भी प्रेषित किया I ज्ञापन में कहा गया है कि राजस्थान विधानसभा द्वारा 25 अगस्त 2003 को सर्व सम्मति से पारित संकल्प के बावजूद विगत 19 वर्षों से केंद्र सरकार के पास यह मामला लंबित हैI इस संकल्प में राजस्थान के सभी जिलों में बोली जाने वाली उपभाषाओं को सम्मिलित किया गया है I उन्होंने सभी से कहा कि देश-विदेश में फैले हुए दस करोड़ राजस्थानियों की मातृभाषा को उसका सही सम्मान और वाजिब हक़ मिलने सम्बन्धी पीड़ा को समझा जाना चाहिए I

ज्ञापन में अवगत कराया गया कि केंद्रीय साहित्य अकादमी द्वारा मान्यता प्राप्त चौबीस भाषाओं में अंग्रेजी को छोड़ कर राजस्थानी ही एक मात्र ऐसी भाषा रह गई है कि जो कि संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल होने से वंचित है जबकि संविधान की आठवीं अनुसूची में अब तक सम्मिलित कुल 22 भाषाओं में से 17 भाषाओं के बोलने वालों की संख्या से राजस्थानी भाषियों की संख्या कहीं अधिक है I केवल हिंदी सहित शेष पांच भाषाओं के बोलने वाले (मातृभाषा लिखाने वाले) राजस्थानी से अधिक है I यह एक तथ्य है कि राजस्थान में हिंदी को मातृभाषा लिखाने वालों की अपेक्षा राजस्थानी को मातृभाषा लिखाने वाले ढाई गुना अधिक हैं I राजस्थानी भाषा को देश-विदेश के भाषाविदों द्वारा एक महान देश प्रेम सिखाने वाली, विपुल शब्द भण्डार युक्त,समृद्ध तथा स्वतंत्र भाषा माना है I

ज्ञापन में कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का गृह प्रदेश गुजरात में बोली जाने वाली गुजराती भी 14 -15 वीं शताब्दी तक पश्चिमी राजस्थानी (मरु गुर्जरी) का ही एक भाग थी I नरसी मेहता एवं मीरां बाई के पद इसी भाषा में रचित हैं I हिंदी का आदिकाल राजस्थानी ही है I राजस्थानी, हिंदी, संस्कृत, मराठी,कोंकणी,नेपाली सहित दस भाषाओं कि लिपि देवनागरी ही है I

ज्ञापन में बताया गया कि 18 दिसंबर 2006 को सोलह वर्ष पूर्व तत्कालीन केंद्रीय गृह राज्य मंत्री द्वारा लोकसभा में सीताकांत महापात्र समिति की सिफारिशों के आधार पर मानदंड निर्धारित करते हुए राजस्थानी और भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल करने सम्बन्धी प्रक्रिया शुरु करने की जानकारी दी गई थी I इसी प्रकार प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री भी कई बार इस सम्बन्ध में सकारात्मक कार्यवाही का भरोसा दे चुके है I

पदम मेहता ने केंद्रीय मंत्रियों,सभी दलों के नेताओं और सांसदों से आग्रह किया कि राजस्थानी और भोजपुरी को संविधानिक मान्यता के मामले लम्बे समय से केंद्र सरकार के पास विचाराधीन है। इस संवेदनशील मामले को प्राथमिकता से लेकर सामूहिक रूप से सक्रिय कार्यवाही कराने की जरुरत है I इससे करोड़ों लोगों का केंद्र के प्रति विशेष कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के प्रति सम्मान बढ़ेगा I