- द. अफ्रीका को हल्के में लेने की गलती नहीं कर सकता भारत
- द. अफ्रीका के गुइस ब्राउन और बियूचैंप से भारत को चौकस रहना होगा
- भारत को प्रो लीग में द. अफ्रीका पर बड़ी का मनोवैज्ञानिक लाभ मिलेगा
- भारत की ताकत है चार मैचों में 11 अलग-अलग खिलाडिय़ों का गोल करना
सत्येन्द्र पाल सिंह
नई दिल्ली : अनुभवी स्ट्राइकर ललित उपाध्याय, आकाशदीप सिंह, मनदीप सिंह, नौजवान अभिषेक और गुरजंत सिंह से सज्जित भारत की पुरुष हॉकी टीम की अग्रिम पंक्ति ने बर्मिंघम में चल रहे राष्ट्रमंडल खेलों में अब तक खुद गोल करने के साथ बराबर खूब पेनल्टी कॉर्नर भी बनाए हैं। ‘गोल मशीन’ ड्रैग फ्लिकर हरमनप्रीत सिंह द्वारा पेनल्टी कॉर्नरों का पूरा लाभ उठा चार मैचों में दागे नौ गोल की बदौलत भारत ने तीन जीत और एक ड्रॉ के साथ कुल दस अंकोंं के साथ पूल बी में इंग्लैंड के मुकाबले बेहतर गोल अंतर के कारण शीर्ष पर रहकर सेमीफाइनल में स्थान पाया। सच तो यह है कि भारत का असल इम्तिहान अब दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ शनिवार को आधी रात के बाद शुरू खेले जाने वाले सेमीफाइनल से शुरू होगा। भारत आठ बरस पहले ग्लास्गोराष्ट्रमंडल खेलों में जब लगातार दूसरी बार उपविजेता रहा था तब अपने पूल मैच मेें दक्षिण अफ्रीका को 5-2 से हराया था। पिछले संस्करण में अंतिम स्थान पर रहने के बाद दक्षिण अफ्रीका ने 2022 बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में अंतिम मैच में जिस तरह पिछली बार और 2002 की उपविजेता न्यूजीलैंड को 4-3 से हराकर चार मैचों में सात अंकों के साथ पूल ए मेंं दूसरा स्थान पा अंतिम चार में जगह बनाई उससे अब भारत उसे हल्के में लेने की गलती कतई नहीं कर सकता है।
हाल ही सम्पन्न 2021-22 एफआईएच प्रो लीग में तीसरे स्थान पर रहने वाली भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने दक्षिण अफ्रीका को उसके घर पोशफस्ट्रूम में दोनों मैचों में 10-2 के समान अंतर से हराया था। प्रो लीग की बड़ी भारत की दक्षिण अफ्रीका पर इन दोनों बड़ी जीत में उसके ड्रैग फ्लिकर जुगराज सिंह और हरमनप्रीत सिंह हैट-ट्रिक जमाई थी। भारत को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ इन बड़ी जीत का अब बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों भी मनोवैज्ञानिक लाभ तो जरूर मिलेगा। भारत को दक्षिण अफ्रीका के लिए मौजूदा राष्टï्रमंडल खेलों में पेनल्टी कॉर्नर पर चार गोल करने वाले मैथ्यूज गुइस ब्राउन और दो गोल करने वाले कोनोर बियूचैंप से चौकस रहना होगा।
भारत को अपने अंतिम पूल मैच में वेल्स पर 4-1 की जीत का लाभ यह हुआ कि वह अपने बेहतर गोल अंतर के कारण पूल बी में अपने बराबर दस अंक हासिल करने वाली मेजबान इंग्लैंड को दूसरे स्थान पर धकेल छह बार की चैंपियन ऑस्ट्रेलिया से सेमीफाइनल में भिडऩे से बच गया। भारत ने जिस तरह योजना के मुताबिक अपनी रणनीति को अमली जामा पहनाया है उससे वह मौजूदा चैंपियन ऑस्ट्रेलिया से भी आतंकित तो कतई नहीं है । सच तो यह सभी हॉकी प्रेमी चाहते भी यही हैं कि कलात्मक और आक्रामक हॉकी खेलने वाली भारत और ऑस्ट्रेलिया की टीमें ही फाइनल में आमने सामने हों। ऑस्ट्रेलिया ने गोल की बारिश कर जिस तरह अपने चारों मैच जीत पूल ए में शीर्ष पर रह अंतिम चार में जगह बनाई उसके मद्देनजर मेजबान इंग्लैंड को उससे पार पाकर फाइनल में जगह बनाने के लिए लोहे के चने चबाने होंगे।
भारत के लिए दरअसल पूल में मेजबान इंग्लैंड के खिलाफ पहले 3-0 और फिर 4-1 की बढ़त के बाद अपने युवा तुर्क वरुण कुमार और गुरजंट के पीला कार्ड ले आखिरी क्वॉर्टर में बाहर होने और नौ खिलाडिय़ों से खेलने पर मैच चार चार से ड्रॉ खेलने पर मजबूर होने से यही सबक मिला है कि नए जमाने की हॉकी में एस्ट्रो टर्फ की चार गोल की बढ़त भी जीत की गारंटी नहीं है। भारत को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ सेमीफाइनल में सब कुछ भुला कर पूरी तरह फोकस होकर खेलना होगा। भारत के स्ट्राइकरों को खुद गोल करने के साथ बराबर पेनल्टी कॉर्नर बनाना दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ भी जारी रखना होगा।
मौजूदा राष्ट्रमंडल खेलों में दुनिया के सबसे खतरनाक ड्रैग फ्लिक में से एक हरमनप्रीत (9) के साथ उसके शीर्ष स्ट्राइकर मनदीप सिंह(4), आकाशदीप(3), ललित (2), गुरजंट सिंह(2) ,अभिषेक, (1), शमशेर (1), नीलकांत(1), वरुण(1) और अमित रोहिदास(1) भारत के 11 अलग-अलग खिलाडिय़ों का गोल करना दर्शाता है कि वह गोल करने के लिए किसी एक खिलाड़ी पर निर्भर नहीं है और यही उसकी ताकत भी है। सबसे अच्छी बात यह है कि अभिषेक , शमशेर और स्ट्राइकर मनदीप ऑफ द बॉल यानी गेंद के बिना दौड़ आगे साथियों के लिए गेंद निकाल उनके और फिर वापस खुद गेंद को कब्जे में गोल करने के मौके बनाना खूब जानते हैं। भारत की मध्यपंक्ति में हार्दिक सिंह, विवेक सागर प्रसाद, नीलकांत शर्मा और खुद मनप्रीत सिंह मैच की जरूरत के मुताबिक आगे हमलों में मदद करने के साथ पीछे रक्षापंक्ति में सुरेन्दर, हरमन, जुगराज और अमित रोहिदास की गोलरक्षक पीआर श्रीजेश के साथ मदद को मौजूद रहते हैं उससे दक्षिण अफ्रीका के लिए भारत को रोकना मुश्किल होगा।