गुप्त परमाणु हथियार परीक्षण की आशंकाएं
प्रमोद भार्गव
अमेरिकी राश्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बड़ा ‘बयान-बम‘ फोड़ा है। विवादित बयानों को लेकर चर्चित ट्रंप ने दावा किया है कि चीन और पाकिस्तान गुप्त रूप से परमाणु परीक्षण में लगे हैं। रूस और उत्तर कोरिया भी परमाणु परीक्षण कर अपने हथियारों की ताकत टटोल रहे हैं। ये देश कभी भी यह बात स्वीकारने को तैयार नहीं हैं कि वे परमाणु परीक्षण कर रहे हैं। ये देश भूमि की बहुत गहराई में परीक्षण करते हैं। इसलिए इनके परीक्षण की आहट किसी के कानों में नहीं गूंजती है। इन देशों के लोग खुले समाज के हिस्सा नहीं हैं, अतएव यहां की जानकारियां गोपनीय बनी रहती हैं। यह बात ट्रंप को इसलिए कहनी पड़ी, क्योंकि अमेरिका 30 साल बाद अपने परमाणु हथियारों का परीक्षण फिर से करने का फैसला ले चुका है। इसलिए उन्होंने अपनी सरकार के फैसले को पाक और चीन के परीक्षणों के परिप्रेक्ष्य में तार्किक ठहराने के लिए कही है। यह बात ट्रंप ने न्यूज चैनल सीबीएस से बात करते हुए कही है।
दरअसल रूस द्वारा ट्रंप से पूछा गया था कि ‘क्या वे एडवांस न्यूक्लियर-कैपेबल सिस्टम, जिसके द्वारा पोसाइडन अंडरवाटर ड्रोन गतिविधि शामिल है, उसके परीक्षण के बाद परमाणु हथियारों का परीक्षण भी करेंगे ?‘ इसके उत्तर में ट्रंप ने कहा, ‘उनके पास किसी भी दूसरे देश से अधिक परमाणु हथियार हैं। इन हथियारों से दुनिया को 150 बार नष्ट किया जा सकता है। हम इन्हें नहीं परखते। किंतु जब दूसरे देश परीक्षण कर रहे हैं, तब हमें भी करने की जरूरत है।‘याद रहे, ट्रंप ने हाल ही में दक्षिण कोरिया के बुसान नगर में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात करने से पहले अमेरिका द्वारा परमाणु परीक्षणों को फिर से शुरू करने का बयान दिया गया था। पानी के भीतर पोसाइडन ड्रोन प्रणाली एक ऐसी तकनीक है, जिसमें रोबोटिक वाहन पानी के नीचे सक्रिय रहते हैं। ये स्वायत्त रूप से संचालित रहने के साथ इन्हें रिमोट के जरिए दूर से भी संचालित किया जा सकता है। ये ड्रोन पनडुब्बी वाहनों के समान होते हैं, जो बिना किसी मानव के पानी के नीचे संचालन और अनुसंधान के लिए होते हैं।
किसी भी परमाणु हथियार संपन्न देश को परमाणु परीक्षण की जरूरत इसलिए होती है, क्योंकि परमाणु बम के लिए जरूरी यूरेनियम को संवर्धन (एनरिच) करना होता है। यह प्रक्रिया एक तकनीकी परीक्षण हैं। परमाणु परीक्षण की घोषणा किसी भी देश की ऐसी यौद्धिक रणनीति का हिस्सा है, जिससे वह षत्रु देश को अपनी ताकत का अहसास कराता है। भारत ने 1998 के बाद कोई परमाणु परीक्षण नहीं किया है। अब चीन और पाक द्वारा गोपनीय रूप में परमाणु परीक्षण की बात सामने आई है। अतएव इन देशों से भारत को परमाणु हमले का खतरा बढ़ गया है। इसलिए भारत को भी अपनी परमाणु हथियार दागने की तकनीक का परीक्षण करना जरूरी हो गया है। हालांकि भारत का सिद्धांत पहले परमाणु हमला नहीं करने का है। लेकिन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह कह चुके हैं कि अब हम इस वचन के पालन के प्रतिबद्ध नहीं हैं। पहले भी हमला कर सकते है। वैसे भी भारत ने अब तक परमाणु परीक्षणों को प्रतिबंधित करने वाली संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। षायद इसीलिए टं्रप को कहना पड़ा है कि ‘ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के विरुद्ध भारत परमाणु हमले के लिए तत्पर था। इस कारण पाकिस्तानी प्रधानमंत्री षहबाज षरीफ ने मुझसे निवेदन किया कि आप बीच में आकर युद्ध रोकें, वरना पाक में लाखों लोग मारे जाएंगे।‘
बहरहाल, ट्रंप के किसी भी दावे की पुश्टि भारत नहीं करता है। लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं कि दुनिया के कई देश न केवल परमाणु परीक्षण करने में लगे हैं, बल्कि घातक परमाणु हथियारों को इकट्ठा करने की होड़ में भी लगे हैं। स्टॉकहोम स्थित ‘अंतरराश्ट्रीय षांति अनुसंधान संस्थान’ (एसआईआरआई) के एक अध्ययन ने दावा किया है कि चीन के पास 350, पाकिस्तान 165 और भारत के पास जनवरी 2021 तक 156 परमाणु हथियार मौजूद थे। ऐसा लगता है कि ये तीनों पड़ोसी देश अपने परमाणु षस्त्रगारों का विस्तार कर रहे हैं। एक अनुमान के मुताबिक इस समय 13,080 परमाणु हथियार दुनिया के देशों के पास हैं। इनमें 90 प्रतिशत से ज्यादा रूस और अमेरिका के पास हैं। इनके अलावा ब्रिट्रेन, फ्रांस, इजराइल और उत्तर कोरिया के पास भी हथियारों का बड़ा जखीरा है। चीन परमाणु हथियारों की संख्या के बढ़ाने के साथ उनका तकनीकी रूप से आधुनिकीकरण भी कर रहा है। सऊदी अरब, मि़श्र, भारत, आस्ट्रेलिया और चीन ने 2016 से 2020 के बीच सबसे ज्यादा हथियार आयात किए हैं। वैश्विक स्तर पर हथियारों के आयात में सऊदी अरब की हिस्सेदारी 11 और भारत की 9.5 प्रतिशत है।
इस समय रूस के पास 6,255, अमेरिका 5,550, फ्रांस 290, ब्रिट्रेन 225, इजराइल 90 और उत्तर कोरिया के पास 40-50 परमाणु हथियार हैं। ट्रंप तो सरेआम कह रहे हैं कि हमारे पास दुनिया को 150 बार तहस-नहस करने की परमाणु क्षमता है।
अमेरिकी गुप्तचर संस्था सीआईए के पूर्व वरिश्ठ खुफिया अधिकारी केविन हलबर्ट की बात मानें तो पाकिस्तान दुनिया के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक देशों में से एक है। पाकिस्तान की यह खुंखार और डरावनी सूरत इसलिए बन गई है, क्योंकि तीन तरह के जोखिम इस देश में खतरनाक ढंग से बढ़ रहे हैं। एक आतंकवाद, दूसरे ढह रही अर्थव्यवस्था और तीसरे परमाणु हथियारों का जरूरत से ज्यादा भंडारण। आर्थिक संकट के ऐसी ही बद्तर हालात से उत्तर कोरिया जूझ रहा है। मानव स्वभाव में प्रतिशोध और ईर्श्या दो ऐसे तत्व हैं, जो व्यक्ति को विवेक और संयम का साथ छोड़ देने को मजबूर कर देते हैं। इस स्वभाव को क्रूरतम परिणति में बदलते हम अमेरिका द्वारा हिरोशिमा और नागासाकी पर किए परमाणु हमलों के रूप में देख चुके हैं। अमेरिका ने हमले का जघन्य अपराध उस नाजुक परिस्थिति में किया था, जब जापान इस हमले के पहले ही लगभग पराजय स्वीकार कर चुका था। पाक इस समय इसी क्रूरतम मानसिकता से गुजर रहा है। ऐसे में यदि वह चीन के साथ परमाणु परीक्षण कर रहा है, तो यह बेहद चिंताजनक स्थिति है। ट्रंप जो बात कह रहे हैं, वह हवा-हवाई होने की बजाय संभव है कि उनकी खुफिया एजेंसी की रिपोर्ट के आधार पर कही गई हो ?





