रविवार दिल्ली नेटवर्क
भक्ति, श्रद्धा और ज्ञान की अद्भुत त्रिवेणी श्री मज्जिनेन्द्र कल्पद्रुम महामंडल विधान में हजारों पुण्यार्जक श्रद्धालुओं ने भक्तिभाव से समर्पित किए अर्घ्य, कुलाधिपति श्री सुरेश जैन और फर्स्ट लेडी श्रीमती वीना जैन ने प्रज्ञाश्रमण उपाध्याय श्री 108 प्रज्ञानंद जी महामुनिराज के पावन चरणों में शीश नवाकर जाने-अनजाने कोई भी त्रुटि, प्रमाद या भूल के लिए मांगी उत्तम क्षमा
तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद में नौ दिनी भक्ति, श्रद्धा और ज्ञान की अद्भुत त्रिवेणी श्री मज्जिनेन्द्र कल्पद्रुम महामंडल विधान का रिद्धि-सिद्धि भवन में विश्व शांति महायज्ञ हुआ, जिसमें महायज्ञ नायक के रूप में टीएमयू के कुलाधिपति श्री सुरेश जैन, सम्राट भरत चक्रवर्ती की भूमिका में ग्रुप वाइस चेयरमैन श्री मनीष जैन, एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर श्री अक्षत जैन आदि ने यज्ञ की वेदी में आहूतियां दीं और विधान की सफलता और जीवों के मंगल की कामना की। इन पवित्र अनुष्ठानों में हजारों पुण्यार्जक श्रद्धालुओं ने भक्तिभाव से अर्घ्य समर्पित किए। इस ऐतिहासिक अवसर पर क्षुल्लक श्री 105 दिव्यानंद जी महाराज के मुख से भगवान शांतिनाथ के अभिषेक के मंत्रों के उच्चारण से शुद्धता और दिव्यता का संचार हुआ। प्रज्ञाश्रमण उपाध्याय श्री 108 प्रज्ञानंद जी महामुनिराज ने स्वयं शांतिधारा के मंत्रों का उच्चारण किया।
रिद्धि-सिद्धि भवन में कुलाधिपति श्री सुरेश जैन और फर्स्ट लेडी श्रीमती वीना जैन ने प्रज्ञाश्रमण उपाध्याय श्री 108 प्रज्ञानंद जी महामुनिराज के पावन चरणों में शीश नवाकर क्षमा याचना की। उन्होंने अत्यंत भावुकता से कहा, हे परम पूज्य गुरूवर, यदि इस महायज्ञ के संचालन में हमसे जाने-अनजाने कोई भी त्रुटि, प्रमाद या भूल हुई हो तो हम सपरिवार आपके समक्ष उत्तम क्षमा मांगते हैं। हमारे मन, वचन और काय से हुए समस्त दोषों के लिए हमें क्षमा प्रदान करें। गुरुदेव ने उन्हें धर्म की दृढ़ता का आशीर्वाद प्रदान किया। विधान को सफलतापूर्वक संपन्न कराने वाले पूजक महानुभावों पंडित श्री ऋषभ जैन शास्त्री और पंडित श्री मनीष जैन का कुलाधिपति श्री सुरेश जैन ने तिलक लगाकर अभिनंदन किया। विधान में सौधर्म इंद्र की भूमिका निभा रहे श्री ऋषि जैन और शचि इंद्राणी बनीं श्रीमती निधि जैन, बाहुबली बने श्री मनोज जैन और उनकी रानी श्रीमती नीलिमा जैन, कुबेर बने प्रो. विपिन जैन और उनकी इंद्राणी श्रीमती अहिंसा जैन ने भी दोनों पूजकों का तिलक और वंदन किया। इस मौके पर श्रीमती जहान्वी जैन की गरिमामयी मौजूदगी रही।
सम्राट भरत चक्रवर्ती की भूमिका निभा रहे ग्रुप वाइस चेयरमैन श्री मनीष जैन ने सभी श्रद्धालुओं के हित में एक मूलभूत प्रश्न किया। उन्होंने विनम्रतापूर्वक पूछा, हे गुरूवर, श्री कल्पद्रुम महामंडल विधान का परम फल हमें क्या प्राप्त होगा? साथ ही श्रद्धालुओं को किस प्रकार का उत्कृष्ट पुण्य मिलेगा? गुरूवर, इस गूढ़ रहस्य को विस्तार से समझा दीजिएगा। प्रज्ञाश्रमण उपाध्याय श्री 108 प्रज्ञानंद जी महामुनिराज ने कहा, प्रत्येक श्रद्धालु जिसने अहंकार त्यागकर यहां अर्घ समर्पित किया है, वह सीधा-सीधा अपने मोहनीय कर्म की निर्जरा कर रहा है। यह कल्पवृक्ष की तरह आपकी सांसारिक इच्छाओं को क्षणिक रूप से पूर्ण कर सकता है, लेकिन इसका सर्वाेच्च पुण्य यह है कि यह आपके अज्ञान का नाश करता है। जब आप सच्चे भाव से प्रभु की वंदना करते हैं, तब आप अहिंसा के मार्ग पर दृढ़ होते हैं। यह पुण्य आपको उत्तम आयु, उत्तम गति और सबसे महत्वपूर्ण उत्तम परिणामों की प्राप्ति कराता है, जिसके बल पर आप आगामी भवों में जिनशासन का आश्रय लेकर मोक्ष के द्वार तक पहुंचते हैं। इसलिए यह पूजा केवल पुण्य नहीं, बल्कि शुद्ध आत्म-परिणामों की गारंटी है।
श्री मज्जिनेन्द्र कल्पद्रुम महामंडल विधान के समापन पर प्रज्ञाश्रमण उपाध्याय श्री 108 प्रज्ञानंद जी महामुनिराज ने इस आयोजन को कुलाधिपति श्री सुरेश जैन और उनके पूरे परिवार की विशुद्ध मंगल भावना का फल बताया। गुरुदेव ने कहा, आज इस विधान का कलशारोहण स्वरूप ही यह हवन कार्यक्रम है, क्योंकि जिस प्रकार मंदिर का पूर्ण निर्माण उसके कलशारोहण से माना जाता है, वैसे ही यह विधान आज पूर्णता को प्राप्त हुआ है। उन्होंने सम्राट भरत चक्रवर्ती की भूमिका निभा रहे जीवीसी श्री मनीष जैन के त्याग की सराहना की, जिन्होंने चक्रवर्ती पद को प्राप्त करके किमिच्छित् दान का आयोजन किया अर्थात सभी को उनकी इच्छित और आवश्यक वस्तुए प्रदान कीं। श्री मनीष जैन ने करुणा स्वरूप एक गाय और उसके बछड़े का भी दान देकर चक्रवर्ती होने का महान पद प्राप्त किया है। अंत में गुरुवर ने सभी की मंगल भावना करते हुए कहा कि आज तो इस विधान में एक समोशरण बना है, पर भविष्य में ऐसे आयोजन हों, तो उनमें पच्चीस समोशरणों की रचना होनी चाहिए। विधान में डॉ. कल्पना जैन, श्री विपिन जैन, डॉ. विनोद जैन, डॉ. रत्नेश जैन, प्रो. रवि जैन, डॉ. अर्चना जैन, श्री आदित्य जैन, प्रो. प्रवीन कुमार जैन, डॉ. विनीता जैन, डॉ. अक्षय जैन, श्रीमती निकिता जैन, श्रीमती सुनीता जैन आदि मौजूद रहे।





