- दक्षिण भारत की गति,तकनीक और आत्मनिर्भरता का नया अध्याय
- बीते दस वर्षों में भारत ने जो रेल क्रांति देखी है,वह किसी एक सरकार की नहीं,बल्कि 140 करोड़ भारतीयों की सामूहिक शक्ति का परिणाम है।
विनोद कुमार सिंह
8 नवंबर 2025 का दिन भारतीय रेल के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में दर्ज हो गया।इस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी(बनारस)से चार नई वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों को राष्ट्र को समर्पित किया।बनारस–खजुराहो वंदे भारत एक्सप्रेस को उन्होंने स्वयं मंच से हरी झंडी दिखाई,जबकि एर्नाकुलम– बेंगलुरु, लखनऊ–सहारनपुर और फिरोजपुर–दिल्ली कैंट वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से रवाना किया।प्रधानमंत्री का यह आयोजन केवल चार नई ट्रेनों के उद्घाटन भर का समारोह नहीं था,बल्कि यह “नया भारत–तेज़ भारत” की उस भावना का उत्सव था,जो देश की हर पटरी पर प्रगति की रफ्तार बन चुकी है।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर कहा – “वंदे भारत ट्रेनें आज आत्मनिर्भर भारत की इंजीनियरिंग क्षमता और नई पीढ़ी के आत्म विश्वास की मिसाल हैं।ये ट्रेनें न सिर्फ शहरों को जोड़ती हैं,बल्कि दिलों को जोड़ती हैं।अब भारत की रफ्तार किसी से कम नहीं,यह नया भारत अब ठहरने वाला नहीं है।”
एर्नाकुलम–बेंगलुरु : दक्षिण भारत की विकास यात्रा की गाथा चारों नई वंदे भारत ट्रेनों में से सबसे अधिक चर्चा में रही है-एर्नाकुलम–बेंगलुरु वंदे भारत एक्सप्रेस,जो दक्षिण भारत में आधुनिकता,गति और सुविधा का नया प्रतीक बन चुकी है। यह ट्रेन केरल की सांस्कृतिक राजधानी एर्नाकुलम(कोच्चि)को कर्नाटक की तकनीकी राजधानी बेंगलुरु से जोड़ती है।लगभग 575 किलोमीटर की दूरी यह मात्र 8 घंटे 40 मिनट में तय करती है,जो पारंपरिक एक्सप्रेस ट्रेनों से करीब दो घंटे कम है।यह ट्रेन प्रतिदिन दोनों दिशाओं में चलेगी,जिससे यात्रियों को “वन डे ट्रिप”की सुविधा मिलती है-यानी सुबह रवाना होकर शाम तक वापसी संभव है।व्यावसायिक यात्रियों,आईटी सेक्टर से जुड़े प्रोफेशनलों और पारिवारिक यात्राओं के लिए यह सुविधा क्रांतिकारी है।
ट्रेन सात प्रमुख स्टेशनों पर रुकती है -कोयंबटूर,तिरुपुर,इरोड,सलेम, पालक्काड,थ्रिस्सूर और एर्नाकुलम। ये सभी स्टेशन दक्षिण भारत की औद्योगिक,कृषि और सामाजिक धड़कन हैं।इरोड और सलेम अपने लघु उद्योगों और कृषि उत्पादों के लिए प्रसिद्ध हैं,वहीं कोयंबटूर को “दक्षिण भारत का मैनचेस्टर” कहा जाता है।अब इन शहरों के व्यापारी और उद्योगपति अपने माल को समय पर बड़े बाजारों तक पहुँचा सकेंगे।आधुनिक तकनीक,भारतीय निर्माण का अनुठा संगम- एर्नाकुलम–बेंगलुरु वंदे भारत एक्सप्रेस पूरी तरह भारतीय तकनीक और इंजीनियरिंग कौशल से निर्मित है।इसका निर्माण चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF)में हुआ है।यह ट्रेन न केवल “मेक इन इंडिया” की सफलता का प्रतीक है, बल्कि “आत्मनिर्भर भारत” की तकनीकी शक्ति को भी दर्शाती है। वही दूसरी इस ट्रेन की प्रमुख विशेषताएँ हैं —
एरोडायनामिक डिज़ाइन,जो गति और स्थिरता दोनों बनाए रखता है।
ऊर्जा-सक्षम प्रणालियाँ,जिससे ईंधन की खपत कम होती है।बायो- वैक्यूम शौचालय और स्वचालित दरवाज़े, .स्वच्छता और सुविधा दोनों का संगम।जीपीएस आधारित सूचना प्रणाली,जिससे यात्रियों को हर स्टेशन और समय की जानकारी रीयल टाइम में मिलती है।रिक्लाइनिंग सीटें,जो लंबी यात्रा को थकानरहित और आरामदायक बनाती हैं।पर्यावरण और अर्थ व्यवस्था दोनों को लाभ -यह वंदे भारत एक्सप्रेस न केवल तेज़ और आरामदायक है,बल्कि पर्यावरण- अनुकूल भी है।इसके ऊर्जा-कुशल इंजन कार्बन उत्सर्जन को न्यूनतम रखते हैं।रेल मंत्रालय के अनुसार,नई पीढ़ी की वंदे भारत ट्रेनों से डीज़ल खपत में भारी कमी आएगी और देश के ग्रीन मोबिलिटी लक्ष्यों को गति मिलेगी।व्यापारिक दृष्टि से भी यह ट्रेन लाभदायक है।एर्नाकुलम का पोर्ट-आधारित व्यापार,बेंगलुरु का आईटी सेक्टर,और कोयंबटूर का टेक्सटाइल उद्योग -इन तीनों के बीच संपर्क मजबूत होने से माल-परिवहन और श्रमिक- आवागमन को नई दिशा मिलेगी। परिवहन की लागत घटेगी और उत्पादकता बढ़ेगी।पर्यटन और संस्कृति का नया सेतु केरल और कर्नाटक न केवल आर्थिक रूप से,बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी समृद्ध राज्य हैं।एर्नाकुलम के बैकवाटर्स,कोच्चि का ऐतिहासिक बंदरगाह,तिरुपुर के मंदिर,सलेम की पहाड़ियाँ और बेंगलुरु का तकनीकी आकर्षण -अब एक ही दिन में यात्रियों की पहुँच में होंगे।धार्मिक और सांस्कृतिक यात्राएँ भी सुगम होंगी।मोदी ने अपने संबोधन में विशेष रूप से कहा -“भारत में पर्यटन केवल आर्थिक गतिविधि नहीं,बल्कि भावना है।जब हमारी रेल सुविधाएँ आधुनिक होंगी,तो तीर्थ,पर्यटन और व्यापार -सबको समान रूप से बल मिलेगा।”
चार वंदे भारत,एक उद्देश्य -नया भारत,विकसित भारत
एर्नाकुलम–बेंगलुरु वंदे भारत के साथ तीन अन्य ट्रेनें भी राष्ट्र को समर्पित की गईं:
1.बनारस–खजुराहो वंदे भारत एक्सप्रेस-उत्तर भारत के धार्मिक और सांस्कृतिक स्थलों को जोड़ती है। 2. लखनऊ–सहारनपुर वंदे भारत एक्सप्रेस-उत्तर प्रदेश की औद्योगिक पट्टी को तीव्र कनेक्टिविटी देती है। 3.फिरोजपुर–दिल्ली कैंट वंदे भारत एक्सप्रेस-पंजाब की सीमांत धरती को राष्ट्रीय राजधानी से जोड़ती है।
इन चारों ट्रेनों की शुरुआत के साथ अब देश में 80 से अधिक वंदे भारत एक्सप्रेस परिचालित हैं।दक्षिणभारत में यह नेटवर्क और भी सशक्त हुआ है,जिससे भारतीय रेल मानचित्र पर गति और आधुनिकता का नया युग आरंभ हो गया है।प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में कहा कि “बीते दस वर्षों में भारत ने जो रेल क्रांति देखी है,वह किसी एक सरकार की नहीं, बल्कि 140 करोड़ भारतीयों की सामूहिक शक्ति का परिणाम है।रेल मंत्रालय का उद्देश्य है कि वंदे भारत जैसी हाई-टेक ट्रेनों के माध्यम से देश के सभी प्रमुख शहरों को जोड़ा जाए।इससे यात्रा का समय घटेगा,ऊर्जा की खपत कम होगी और यात्रियों का अनुभव विश्वस्तरीय बनेगा।आधुनिक भारत की प्रगति की पटरियों पर -एर्नाकुलम-बेंगलुरु वंदे भारत एक्सप्रेस सिर्फ एक ट्रेन नहीं,बल्कि भारत की तकनीकी क्षमता,आत्मनिर्भरता और विकास यात्रा का जीवंत प्रतीक है।यह यात्रा को तेज़ ही नहीं,बल्कि सुरक्षित और आनंददायक बनाती है।8 नवंबर 2025 को जब यह ट्रेन अपनी पहली यात्रा पर रवाना हुई तो दक्षिण भारत ने देखा “यह सिर्फ रेल नहीं, विकास की रफ्तार है।”नई वंदे भारत एक्सप्रेस न केवल यात्रियों के लिए सुविधा का प्रतीक है,बल्कि भारत की तकनीकी प्रगति, पर्यावरणीय संतुलन और आधुनिक रेल परिवहन की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।





