स्वर्णिम भविष्य के लिए एआई का दीगर टेक्नोलॉजी से एकीकरण वक्त की दरकार

Integration of AI with other technologies is the need of the hour for a brighter future

रविवार दिल्ली नेटवर्क

तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के कॉलेज ऑफ कंप्यूटिंग साइंसेज़ एंड इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी- सीसीएसआईटी में सिस्टम मॉडलिंग एंड एडवांसमेंट इन रिसर्च ट्रेंड्स- स्मार्ट-2025 पर दो दिनी इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस का समापन, देश-दुनिया के जाने-माने एक्सपर्ट्स ने प्रस्तुत किए 98 शोधपत्र

  • फिलवक्त में एआई को और तर्कसंगत बनाने की आवश्यकताः डॉ. सतीश सिंह
  • टीएमयू के ईडी श्री अक्षत जैन ने आई डोंट नो को विस्तार से किया परिभाषित
  • प्रो. सचिन महेश्वरी बोले, भारत दुनिया में सबसे अधिक इंजीनियरों वाला देश
  • ऑब्जर्वेशन एंड लर्निंग के जरिए स्वंय को करते रहे अपडेटः प्रो. एसएन सिंह
  • डॉ. अरूण कुमार बोले, जीआईएस की सार्थक सूचना देने में महत्वपूर्ण भूमिका
  • स्मार्ट सिटी का टारगेट डिलाइटफुल लाइफ स्टाइल देनाः प्रो. प्रेरणा गौड़

इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, इलाहाबाद के डॉ. सतीश कुमार सिंह ने एक्सप्लेनेबल एआईः अनलॉकिंग द माइंड ऑफ मशीन पर बोलते हुए कहा, फिलवक्त में एआई को और तर्कसंगत बनाने की आवश्यकता है, क्योंकि एआई सवालों के घेरे में है। उन्होंने उम्मीद जताई, एआई की इस खामी को एक्सप्लेनेबल एआई दूर करेगी। इससे एआई और पारदर्शी होगा। जबावदेह होगा। एक्सप्लेनेबल एआई एक साथ कई फैक्टर्स को एनालाइज करके सटीक आउटपुट देने में सक्षम होगा। उन्होंने कम्पास टूल को वरदान बताते हुए कहा, इससे आपराधिक प्रवृति, स्वास्थ्य कारक और पूर्वानुमान का सटीक विश्लेषण संभव है, अन्यथा वर्तमान एआई पहले से उपलब्ध डाटा के आधार पर पूर्वाग्रही निष्कर्ष देता है। एक्सप्लेनेबल एआई की आवश्यकता तब और बढ़ जाती है, जब कॉम्पलेक्स सिस्टम और क्रिटिकल एप्लिकेशंस- हेल्थकेयर, फाइनेंस और क्रिमिनल संभावना के अधार पर डाटा का विश्लेषण करना हो। डॉ. सतीश तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद के कॉलेज ऑफ कंप्यूटिंग साइंसेज़ एंड इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी- सीसीएसआईटी में सिस्टम मॉडलिंग एंड एडवांसमेंट इन रिसर्च ट्रेंड्स- स्मार्ट-2025 पर दो दिनी इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस के समापन मौके पर बतौर गेस्ट ऑफ ऑनर बोल रहे थे। इससे पूर्व मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्जवलन के संग ऑडी में 14वीं इटरनेशनल कॉन्फ्रेंस- स्मार्ट- 2025 के समापन सत्र का श्रीगणेश हुआ। इस मौके पर इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, इलाहाबाद के डॉ. सतीश कुमार सिंह और एनएसयूटी, दिल्ली की प्रो. प्रेरणा गौर बतौर गेस्ट ऑफ ऑनर, टीएमयू के वीसी प्रो. वीके जैन, फैकल्टी ऑफ इंजीनियरिंग के डीन एवम् कॉन्फ्रेंस जनरल चेयर प्रो. आरके द्विवेदी आदि की गरिमामयी मौजूदगी रही। सभी अतिथियों का बुके देकर गर्मजोशी से स्वागत और मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया। कॉन्फ्रेंस में देश-दुनिया के जाने-माने एक्सपर्ट्स ने 98 शोधपत्र प्रस्तुत किए। संचालन स्टुडेंट्स- प्रत्यक्षा पुंज, मिसबा तैयब, अभिवंश जैन, गौरवी प्रजापति, जिया सिंह आदि ने किया।

कॉन्फ्रेंस में टीएमयू के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर श्री अक्षत जैन कॉन्फ्रेंस में एक टीचर के रूप में सामने आए। स्टुडेंट्स से खचाखच भरे ऑडी में अपने सारगर्भित संबोधन में उन्होंने अंग्रेजी के एक वाक्य- आई डोंट नो को विस्तार से परिभाषित किया। इसके मूल में अंग्रेजी प्रोवर्ब आसकिंग इंज नोइंग रहा। श्री जैन बोले, स्टुडेंट्स को झिझक नहीं होनी चाहिए। यदि आपको पूछने में संकोच होता है तो आप कुछ नया नहीं सीख सकते। युवाओं की हौसलाफजाई करते हुए कहा, युवा अपनी कमजोरियों को कतई न छिपाएं। अज्ञानता को स्वीकार करना ईमानदारी, सहजता और आत्म-जागरूकता का प्रतीक है। हमें किसी बात की जानकारी नहीं है, सीखने की प्रक्रिया का पहला कदम होता है। सीखने की इच्छा और जिज्ञासा दिखाना, सब कुछ जानने का दिखावा करने से कहीं अधिक मूल्यवान है। उन्होंने टीएमयू के स्टुडेंट्स को विनम्र बने रहने, जिज्ञासु रहने और निरंतर सीखने की प्रेरणा दी। संक्षिप्त लेकिन प्रेरणादायी उद्बोधन में श्री जैन तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी की विकास यात्रा पर प्रकाश डालते हुए बोले, शिक्षा से मेरा अटूट रिश्ता है। मेरे ब्लड में है, क्योंकि एजुकेशन से पुरखों का वास्ता छह दशक पुराना है। उन्होंने हरियाना के इंटर कॉलेज, टिमिट के संग-संग टीएमयू की स्थापना का भी उल्लेख किया।

गुरू जंभेश्वर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद के वीवी प्रो. सचिन महेश्वरी ने भारत की वैश्विक स्थिति पर चर्चा करते हुए उल्लेख किया कि भारत दुनिया में सबसे अधिक इंजीनियरों वाला देश है, फिर भी हम तकनीक के सबसे बड़े आयातकों में से एक हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के विकसित भारत के सपने का ज़िक्र करते हुए कहा, यह पूरे राष्ट्र का एक सामूहिक लक्ष्य है। प्रो. महेश्वरी ने अपने शिक्षक द्वारा सिखाए गए एक महत्वपूर्ण सिद्धांत को याद करते हुए कहा कि यह सूत्र विद्यार्थियों को सफलता की ओर प्रेरित कर सकता है। अंत में उन्होंने संदेश दिया कि हमें हमेशा जीवन का सामना साहस, एकाग्रता और सकारात्मकता के साथ करना चाहिए। एबीवी-आईआईआईटीएम, ग्वालियर के डायरेक्टर प्रो. एसएन सिंह बतौर मुख्य अतिथि अपने सारगर्भित संबोधन में बोले, स्टुडेंट्स आसपास की घटनाओं के ऑब्जर्वेशन एंड लर्निंग के जरिए स्वंय को अपडेट करते रहें। ऑउट ऑफ बॉक्स थिंकिंग, क्रिएटिविटी और अंडरस्टैंडिंग ही समस्याओं के समाधान की कुंजी है। हमें खुद को आने वाले अवसरों के लिए तैयार करना होगा, तभी हम आत्मविश्वास से भरा भविष्य विकसित करने में सक्षम हो सकते हैं।

आईआईटी रूड़की के रिटायर्ड प्रोफेसर डॉ. अरूण के. सराफ ने भारत की उपग्रह प्रणालियों की तुलना अमेरिका जैसे देशों में विकसित तकनीकों से की। उन्होंने समझाया कि जीपीएस नियंत्रित घड़ियां सामान्य घड़ियों से अधिक सटीक समय दर्शाती हैं। जीआईएस की सार्थक सूचना देने में महत्वपूर्ण भूमिका है। ओला और ऊबर के उदाहरण देते हुए कहा, ये स्थानिक सूचना, रिमोट सेंसिंग और संचार तकनीकों का उपयोग करके लोकेशन-आधारित सेवाएं प्रदान करते हैं। मिसाइल नेविगेशन सिस्टम भी इसी प्रकार के जीपीएस सिद्धांतों पर कार्य करते हैं ताकि लक्ष्य का सटीक निर्धारण किया जा सके। भू-सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में वर्तमान प्रवृत्तियों और भविष्य की संभावनाओं पर विस्तार से चर्चा की। एनएसयूटी, दिल्ली की प्रो. प्रेरणा गौड़ ने बतौर गेस्ट ऑफ ऑनर स्मार्ट सिटी को लेकर कहा, स्मार्ट सिटी का टारगेट डिलाइटफुल लाइफ और डिगनीफाइड लाइफ स्टाइल देना है। स्मार्ट सिटी विकसित करने के लिए उन्होंने अमरावती शहर का उदाहरण दिया। साथ ही उन्होंने चिंता जताई, कोर्डिनेशन के अभाव में हम 10 वर्षों में 100 स्मार्ट सिटी बनाने का लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाए हैं। टीएमयू के वीसी प्रो. वीके जैन ने छात्रों और शोधार्थियों को प्रोत्साहित किया कि वे भविष्य में भी ऐसे शैक्षणिक मंचों पर सक्रिय रूप से भाग लें और उत्कृष्टता की दिशा में निरंतर प्रयास करते रहें। उनका संबोधन टीमवर्क, समर्पण और शैक्षणिक ईमानदारी के महत्व की एक महत्वपूर्ण याद दिलाता है। आईईईई की ओर से ऑब्जर्वर के रूप में डॉ. वरूण कक्कर, डॉ. केसी मिश्रा मौजूद रहे। कॉन्फ्रेंस में एआई, आईओटी एंड बियोंड: द नेकस्ट फ्रंटियर ऑफ स्मार्ट इन्नोवेशन पर डॉ. नीलेंद्र बादल, डॉ. अंकित गुप्ता, डॉ. एमए अंसारी, डॉ. संकल्प गोयल, प्रो. शंभु भारद्वाज, डॉ. रूपल गुप्ता, डॉ. शालिन निनोरिया, श्री नवनीत विश्नोई आदि पैनल डिस्कशन में शामिल रहे। कॉन्फ्रेंस में डॉ. अशेन्द्र कुमार सक्सेना, डॉ. अलका अग्रवाल, डॉ. ज्योति पुरी, डॉ. पराग अग्रवाल, डॉ. प्रियांक सिंघल, डॉ. नूपाराम चौहान, डॉ. अशोक कुमार आदि की मौजूदगी रही।