भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और लोकसभा अध्यक्ष ने संसद परिसर में भगवन बिरसा मुंडा को पुष्पांजलि अर्पित की

The President of India, the Vice President and the Speaker of the Lok Sabha paid floral tributes to Bhagwan Birsa Munda in the Parliament complex

आदमी आ सकते हैं, आदमी जा सकते हैं, लेकिन ‘धरती आबा’ और अन्य आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों की विरासत हमेशा जारी रहेगी

प्रमोद शर्मा

नई दिल्ली : भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू; भारत के उपराष्ट्रपति एवं राज्यसभा के सभापति श्री सी. पी. राधाकृष्णन; लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला; संसदीय कार्य मंत्री एवं अल्पसंख्यक कार्य मंत्री श्री किरेन रिजिजू; राज्यसभा के उपसभापति श्री हरिवंश; सांसदगण; पूर्व सांसद तथा अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने आज संसद परिसर स्थित प्रेरणा स्थल पर भगवान बिरसा मुंडा की जयंती—जनजातीय गौरव दिवस—के अवसर पर उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की।

पूर्व में, श्री सी.पी. राधाकृष्णनने X पर एक संदेश में लिखा, “महान आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी, ‘धरती आबा’ बिरसा मुंडा को आज उनकी जयंती पर मेरी विनम्र श्रद्धांजलि। ‘धरती आबा’ भगवान बिरसा मुंडा 25 साल की अल्प अवधि के लिए जीवित रहे, लेकिन उन्होंने देशभक्ति की ऐसी आग जलाई जो आने वाली पीढ़ियों तक, यहां तक कि अगले 2,500 वर्षों तक भी जलती रहेगी। यह कहना उचित होगा कि आदमी आ सकते हैं, आदमी जा सकते हैं, लेकिन ‘धरती आबा’ और अन्य आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों की विरासत हमेशा जारी रहेगी।“

भगवान बिरसा मुंडा, जिन्होंने उलगुलान (क्रांति) के माध्यम से ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष किया, प्रतिरोध और स्वतंत्रता की प्रतीक बन गए। उनके दूरदर्शी नेतृत्व ने राष्ट्रीय जागरूकता को जागृत किया, और उनकी विरासत आज भी भारत के जनजातीय समुदायों द्वारा श्रद्धा और गर्व के साथ याद की जाती है।

2021 से, 15 नवम्बर को ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के रूप में मनाया जा रहा है, ताकि जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदानों को सम्मानित किया जा सके। जनजातीय समुदायों ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और उन्होंने अनेक क्रांतिकारी आंदोलनों के माध्यम से अपना योगदान दिया। यह दिन उनके समृद्ध इतिहास, संस्कृति और धरोहर का उत्सव है, और इसके जरिए देशभर में उनके योगदान को एकजुटता, गर्व और सम्मान प्रदान करने का प्रयास किया जाता है।

समारोह के दौरान, विभिन्न राज्यों के जनजातीय लोक कलाकारों ने संसद भवन परिसर में प्रेरणा स्थल पर प्रस्तुति दी, और सम्मानित अतिथियों का स्वागत किया।