आतंकवादी विषाक्त सर्प व भारत की आतंकवाद विरोधी प्रतिबद्धता

Terrorism is a poisonous snake and India's commitment to counter terrorism

प्रो. नीलम महाजन सिंह

उत्तर भारत के विभिन्न हिस्सों में फैले ‘कश्मीरी डॉक्टरों के वाईट काॅलर क्रिमिनल गैंग’ का के एक समूह पर सफेदपोश अपराधियों द्वारा किए गए भयानक हमले ने एक ऐसे आतंकी मॉड्यूल को अंजाम दिया, जिससे दिल्ली के चांदनी चौक में ब्लास्ट हुआ। यह वास्तव में आश्चर्यजनक नहीं है क्योंकि आतंकवादी हमलों, आंतरिक सुरक्षा के रख-रखाव के लिए निरंतर खतरा हैं, व सुरक्षा एजेंसियां ​​हमेशा सतर्क रहती हैं ताकि ऐसा न हो। फरीदाबाद से डॉ. मुज़म्मिल अहमद गनई (35) की गिरफ़्तारी से एक बड़ी सफलता मिली। पुलवामा निवासी और अल-फलाह अस्पताल के कर्मचारी गनई के पास कथित तौर पर 2,900 किलोग्राम विस्फोटक, जिसके अमोनियम नाइट्रेट होने का संदेह है, के साथ हथियार और गोला-बारूद बरामद किया गया, जो दो किराए के घरों से बरामद किया गया। उससे पूछताछ के बाद कुलगाम निवासी डॉ. अदील मजीद राथर व अल-फलाह विश्वविद्यालय से जुड़ी लखनऊ की चिकित्सा पेशेवर डॉ. शाहीन सईद को गिरफ़्तार किया गया। सईद जैश-ए-मोहम्मद की महिला भर्ती शाखा ‘जमात-उल-मोमिनात’ की स्थापना में मदद कर रही थी, जिसका उद्देश्य शिक्षित पेशेवरों को भर्ती करना था। पूछताछ के लिए श्रीनगर ले जाने से पहले उसकी गाड़ी से एक ए-के (AK-47) असॉल्ट राइफल बरामद की गई।अधिकारियों ने कहा कि लक्षित लक्ष्य मध्य दिल्ली में कहीं भी, कुछ भी हो सकता था, जिससे संकेत मिलता है कि यह एक बड़े हमले की योजना बना रहे थे।

हालाँकि, व्यापक जनसंख्या, ट्रैफिक – यातायात के कारण कुछ परस्थितियों को रोका नहीं जा सकता है। अपराधियों की गोपनीयता, उनकी नेटवर्किंग, आदि भी डिजिटल हो गई है। कुछ सुरक्षा संबंधित प्रश्न उठते हैं, जो यह हैं कि सफेदपोश अपराध के ये डॉक्टर न केवल कश्मीर से हैं, बल्कि उत्तर प्रदेश, हरियाण, हैदराबाद व देश के अन्य हिस्सों में भी फैल चुके हैं। उनके नेटवर्किंग से पूरे देश में है। खतरा अभी खत्म नहीं हुआ है। सबसे पहले, सीमा पार से हथियारों, संशोधनों व गोला-बारूद की आपूर्ति को रोकने में सीमा सुरक्षा बलों (BSF) की क्या भूमिका थी? दूसरे, आई.बी. (IB) आर.ऐ.डब्ल्यू. (RAW) राज्यों की पुलिस व एन.आई.ए. (NIA) की क्या भूमिका रही है? हमलावर आसानी से जम्मू-कश्मीर की सीमाओं से कई राज्यों को पार करके दिल्ली आ गए। ये सभी अंतरराज्यीय बार्डर से दिल्ली तक कैसे आए, इस पर किसी का ध्यान नहीं गया। राजमार्गों पर क्या कोई सुरक्षा जांच नहीं हुई कि वे आसानी से 10000 से अधिक विस्फोटक गोला-बारूद ला सकते हैं? दिल्ली पुलिस, हरियाणा पुलिस की भूमिका भी संदिग्ध है। राज्यों को पूरी तरह से सूचना थी कि क्षेत्र में उग्रवादी सक्रिय हैं। फ़िर भी लाल किला के पास, चांदनी चोक में हमला हुआ। पिछले उदाहरणों को भूला नहीं जा सकता है। न्यूयॉर्क में एयरबस के वाणिज्यिक पायलट ‘मोहम्मद आटा’ (Mohammad Atta) द्वारा किए गए ‘ट्विन टावर हमले’ का संदर्भ दिया जा सकता है। बम विस्फोट के बाद खुफ़िया एजेंसियों की विफलता पर व्यापक आरोप लगे हैं। 10 नवंबर, 2025 की घटना में अनेक मासूम लोग मारे गए। कथित विफलता से संबंधित मुख्य बिंदु यह हैं कि, इससे पहले, पूर्व चेतावनियाँ व विस्फोट-ज़ब्ती हुई थी। फरीदाबाद पुलिस ने एक आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया था व लगभग 5,000 किलोग्राम विस्फोटक बनाने वाली सामग्री (अमोनियम नाइट्रेट) ज़ब्त की गई थी। आलोचकों का तर्क है कि खुफिया एजेंसियों ने सूचनाओं पर सही ढंग से कार्रवाई नहीं की। जैश-ए-मोहम्मद (JEM), आतंकवादी समूह के प्रमुख ने कथित तौर पर ‘भारत को सबक सिखाने’ का ब्यान जारी किया था।घटनास्थल पर भी चूक हुई।

सीसीटीवी फुटेज से पता चला है कि आत्मघाती हमले में इस्तेमाल की गई कार लाल किले के पास एक सार्वजनिक पार्किंग में तीन घंटे से ज़्यादा समय तक खड़ी रही, व ड्राइवर ज़्यादातर समय अंदर ही रहा। बीट कांस्टेबलों या सुरक्षाकर्मियों ने इसे संदिग्ध क्यों नहीं पाया होगा? विश्लेषकों ने बताया है कि दिल्ली पुलिस को आतंकवाद-विरोधी पुलिसिंग के मुख्य कार्यों पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, राजनीतिक रोड शो के लिए सुरक्षा प्रदान करने व प्रदूषण व कुत्तों की सुरक्षा वाले विरोध प्रदर्शनों का प्रबंधन करने जैसे परिधीय कर्तव्यों में लगाए जाने के कारण, उनका कार्यभार कम है। विपक्षी दलों व सुरक्षा विशेषज्ञों ने इन खामियों के लिए केंद्र सरकार व दिल्ली पुलिस की सार्वजनिक रूप से आलोचना की है। राजधानी में सुरक्षा तंत्र की जवाबदेही और समीक्षा होनी चाहिए। राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (एनआईए) और विशेष जाँच दल इस घटना और कट्टरपंथी पेशेवरों से जुड़े ‘सफेदपोश आतंकवादी मॉड्यूल’ से संबंधों की जाँच कर रहे हैं। चांदनी चौक में आतंकवादी हमले के बाद खौफ व मायूसी का माहौल है। सुभाष मार्ग पर यातायात प्रतिबंधित हैं। मंदिरों और गुरुद्वारे में शोक है, व चांदनी चौक में दुकानें बंद हैं। लोग गुस्से में हैं और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। हमले से व्यापार में गिरावट हुई है। सदर बाज़र में कैंडल मार्च निकाला गया। सुरक्षाकर्मियों ने लाल किले के आसपास के पूरे इलाके की घेराबंदी कर दी है। एजेंसियाँ बम विस्फोट स्थल पर अपनी जाँच जारी रखे हुए हैं, जबकि चारों ओर भय, निराशा और अपनों को खोने का दर्द व्याप्त है। जैन मंदिर भी चुपचाप यह सब देख, खून के आँसू बहा रहा है। गौरी शंकर मंदिर में घंटियाँ बज रही हैं व पुजारी प्रार्थना कर रहे हैं, लेकिन कोई भक्त नहीं है। जो थोड़े-बहुत लोग आते हैं, वे भक्ति व उत्साह से नहीं, बल्कि पीड़ा से भरे होते हैं। शीशगंज गुरुद्वारा भी इसी पीड़ा का अनुभव करता है। कभी चहल-पहल से भरा रहने वाला चांदनी चौक आज शोक में डूबा हुआ है। चर्चा का विषय सिर्फ़ आतंकवादी हमला है। बेघर लोग, किनारे खड़े रिक्शा चालक व दुकानों के बाहर बैठे मज़दूर अपनी सुरक्षा और रोज़ी-रोटी को लेकर चिंतित हैं।स मार्केट को सुरक्षा एजेंसियों ने निरीक्षण के लिए बंद किया था।

इसी तरह, दरीबा, कूचा महाजनी, नई सड़क, बल्लीमारान, फतेहपुरी और खारी बावली की दुकानों में भी इसी तरह का व्यवधान देखा गयामहै। पूरे इलाके में निराशा, दर्द और गुस्से के साथ-साथ भविष्य की चिंताएँ व्याप्त थीं। दिल्ली उत्तर भारत का एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र है, लेकिन आतंकवादी हमले के बाद कारोबारी माहौल पूरी तरह बदल गया। दुकानदारों ने निर्दोष पीड़ितों के साथ एकजुटता दिखाते हुए, बाज़ार खुले रखने का फैसला कियामथा, लेकिन उनके अपने दर्द व गुस्से ने उन्हें व्यापार से दूर रखा। मृतकों को अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की। ‘भारत माता की जय’, ‘वंदे मातरम’ व ‘आतंकवाद मुर्दाबाद’ जैसे नारों से घटनास्थल गूंज उठा। प्रमुख व्यापारियों में देवराज बवेजा, परमजीत सिंह पम्मा, देवेंद्र जैन, अशोक लांबा, मोहम्मद साहब, प्रवीण कपूर आदि शामिल हैं। चांदनी चौक व्यापारी परिषद के अध्यक्ष सुरेश बिंदल के नेतृत्व में विभिन्न बाज़ारों के पदाधिकारियों ने शोक सभा में श्रद्धांजलि अर्पित की। यह आतंकवाद का सर्प अभी विषाक्त है, जिसका दंश समाज को डस रहा है। भारत, आतंकवाद के विरुद्ध प्रतिबद्ध है।