नीति आयोग की गवर्निंग बॉडी की बैठक में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत

ईआरसीपी सहित प्रदेश हित के मुद्दों पर हुए मुखर

गोपेंद्र नाथ भट्ट

नई दिल्ली।नीति आयोग की गवर्निंग बॉडी की दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में रविवार कोराष्ट्रपति भवन के परिसर में हुई सातवीं बैठक में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश के हित से जुड़ेमुद्दों के साथ ही देश की संघीय व्यवस्था को अधिक मजबूत करने के मामले उठा कर सभी को प्रभावित किया ।

मुख्यमंत्री गहलोत ने पूर्वी राजस्थान के तेरह जिलों की जीवनदायनी ईआरसीपी नहर परियोजना को राष्ट्रीयपरियोजना घोषित करने की पूरज़ोर माँग रखते हुए कहा कि विकास के मामलों में राजनीति को बीच में नहींलाना चाहिए और प्रधानमंत्री को एक स्टेट्समेन की तरह अपने वचनों का मान रखना चाहिए।

गहलोत ने कहा कि यह महत्वाकांक्षी परियोजना भाजपा की वसुन्धरा राजे सरकार के समय बनाई गई थीलेकिन प्रदेश की जनता के हित में हमने राजनीतिक सौच से ऊपर उठ कर इस परियोजना को ठंडे बस्ते में नहीडाला बल्कि केन्द्र से मँजूरी नही आने पर भी प्रदेश के बजट से 9600 करोड़ का प्रावधान रख इसे जारी रखा।

उन्होंने कहा कि 37,000 करोड़ रूपये की महत्वाकांक्षी ईआरसीपी परियोजना से पूर्वी राजस्थान के 13 जिलोंमें लगभग 2 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा मिल सकेगी और लाखों लोगों की प्यास बुझेंगी।साथ ही तिलहन उत्पादन का मुख्य क्षेत्र होने से पूर्वी राजस्थान देश के कृषि उत्पादन में भी अहम भूमिका निभायेगा।इसके साथ ही राष्ट्रीय परियोजना घोषित होने से पानी की समस्या से पीड़ित राजस्थान के 13 जिलों मेंपेयजल की समस्या का भी समाधान होगा। साथ ही इस परियोजना से जल जीवन मिशन के सफलक्रियान्वयन में भी मदद मिलेगी।

मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री मोदी से हुई व्यक्तिगत मुलाक़ात में इस परियोजना के संबंध में उनके पूर्व में सकारात्मकरूख अपनाने के वादा का स्मरण कराया।

यह एक विडम्बना ही है कि भारत सरकार में राजस्थान के जल शक्ति मन्त्री है फिर भी प्रदेश के लोगों के हितकी यह परियोजना लम्बे समय से अधरझूल में लटकी हुई है। वैसे भी रेगिस्तान प्रधान राजस्थान में इन्दिरा गाँधीनगर परियोजना (राजस्थान केनाल) के बाद पानी से जुड़ी एक भी राष्ट्रीय महत्व की परियोजना शुरू नही हुईहै,जबकि सभी जानते है कि राजस्थान में पानी की भारी कमी हैं और प्रदेश में केवल एक प्रतिशत सतही एवंभूमिगत जल ही उपलब्ध है। राजस्थान का दुर्भाग्य है कि प्रदेश को आज़ादी के 75 वर्षों के बाद भी अब तक नतों पहाड़ी और सीमावर्ती प्रदेशों की तरह विशेष राज्य का दर्जा मिला है और नहीं पानी की कमी वाले प्रदेश केतर्ज़ पर केन्द्र से कोई अन्य बड़ी इमदाद ही मिलीं है।

गहलोत ने केन्द्र प्रवर्तित योजनाओं में केन्द्रीय हिस्सेदारी बढ़ाने,जीएसटी क्षतिपूर्ति की 3,780 करोड़ रूपये रुकी बकाया मुआवजा राशि को एकमुश्त जारी तथा स्वास्थ्य योजनाओं में केन्द्रीय हिस्सेदारी बढ़ाने और 15वेंवित्त आयोग द्वारा राजस्थान में डिजिटल यूनिवर्सिटी के लिए 400 करोड़ की केंद्रीय सहायता देने कीसिफारिश को लागू करने की मांग भी रखी आदि माँगे भी रखी ।

गहलोत ने कहा कि राजस्थान आम लोगों को निःशुल्क चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध करवाने के क्षेत्र में मॉडलराज्य बन चुका है। उन्होंने बताया कि ‘मुख्यमंत्री निःशुल्क निरोगी राजस्थान योजना’ के अन्तर्गत सभी सरकारीअस्पतालों में पूरा इलाज निःशुल्क मिल रहा है और सभी जांचे भी पूर्णतः निःशुल्क की जा रही हैं।‘मुख्यमंत्रीचिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना’ के तहत राज्य के 88 प्रतिशत परिवारों को बीमा कवर दिया गया है। इस क्षेत्रमें राजस्थान देश में पहले स्थान पर है।

उन्होंने चिरंजीवी योजना की तर्ज पर केन्द्र सरकार से ‘आयुष्मान भारत स्वास्थ्य बीमा योजना’ के दायरे कोबढ़ाने की मांग की। गहलोत ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत किसानों को सहायता मेंबढ़ोतरी करने को भी कहा।

मुख्यमंत्री ने बताया कि देश में सबसे ज्यादा 89 विश्वविद्यालय राजस्थान में हैं, जिनमें से तीन महिलाविश्वविद्यालय हैं। राजस्थान राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा के नये केन्द्र के रूप में उभर रहा है।मुख्यमंत्री ने राज्य के अनुसूचित क्षेत्रों में खोले गये कॉलेजों को उत्तर- पूर्वी राज्यों की तरह विशेष अनुदान देनेतथा राजस्थान में ग्लोबल यूनिवर्सिटी खोलने की मांग रखी।। उन्होंने कहा की जोधपुर में खुलने वाली इसडिजिटल फिनटैक यूनिवर्सिटी बनाने के लिए राज्य सरकार 200 करोड़ रुपए खर्च करने के लिए तैयार है।बैठक में राजस्थान की मुख्य सचिव श्रीमती उषा शर्मा भी उपस्थित थी।