रविवार दिल्ली नेटवर्क
नई दिल्ली : राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) की प्रधान पीठ ने वाराणसी की वरुणा और असी नदियों — जो गंगा की महत्वपूर्ण सहायक नदियाँ हैं — में बिना उपचारित सीवेज के लगातार प्रवाह पर कड़ी आपत्ति जताई है। यह समीक्षा वाद संख्या 28/2024 (निष्पादन) तथा OA 483/2022 की सुनवाई के दौरान की गई।
अधिकरण ने पाया कि वाराणसी में स्टॉर्म वॉटर ड्रेनों में अवैध रूप से बिना उपचारित सीवेज बह रहा है और अधिकारियों द्वारा इन ड्रेनों को STP की ओर मोड़ने का प्रयास किया जा रहा है, जबकि 100% घरों को सीवर लाइन से जोड़ने की कोई ठोस योजना नहीं है। अधिकरण ने कहा कि यह व्यवस्था केवल अस्थायी समाधान देती है और बरसात के समय STP पर अत्यधिक भार डालकर बिना उपचारित सीवेज को सीधे नदी में जाने का खतरा बढ़ाती है।
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) ने 28.10.2025 के अपने हलफनामे में स्वीकार किया कि बाढ़/बरसात के समय (साल में 2–3 माह) इंटरसेप्शन गेट खोलने के कारण बिना उपचारित सीवेज नदी तक पहुँच सकता है। अधिकरण ने स्पष्ट कहा कि यह रुख गंगा आदेश 2016 और NGT के पूर्व आदेशों के विपरीत है, जिसमें किसी भी प्रकार के सीवेज—चाहे उपचारित हो या बिना उपचारित—को नदी में गिराने पर रोक है।
इस गंभीर विसंगति को देखते हुए अधिकरण ने श्री अनुप कुमार श्रीवास्तव, कार्यकारी निदेशक (तकनीकी), NMCG—जिन्होंने हलफनामा दायर किया है—को 20 नवम्बर 2025 को अधिकरण के समक्ष वर्चुअली उपस्थित होने का निर्देश दिया है।





