रविवार दिल्ली नेटवर्क
तीर्थकर महावीर यूनिवर्सिटी के कॉलेज ऑफ लॉ एंड लीगल स्टडीज़ की ओर से संविधान दिवस समारोह में उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य डॉ. जयपाल सिंह व्यस्त और श्री सत्यपाल सैनी की रही गरिमामयी मौजूदगी
उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य डॉ. जयपाल सिंह व्यस्त ने संविधान के उद्देश्यों, नागरिक अधिकारों, कर्तव्यों, भारत के लोकतांत्रिक ढांचे की बारीकियों पर विस्तार से चर्चा करते हुए लॉ के स्टुडेंट्स को संविधान शपथ दिलाई। उन्होंने कहा कि संविधान शपथ केवल औपचारिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि राष्ट्र के प्रति एक जीवंत प्रतिबद्धता है। उन्होंने युवा पीढ़ी को संवैधानिक आदर्शों को जीवन में उतारने का आह्वान किया। डॉ. व्यस्त तीर्थकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद के कॉलेज ऑफ लॉ एंड लीगल स्टडीज़ की ओर से संविधान दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। एमएलसी श्री सत्यपाल सैनी ने भारतीय संविधान की विशिष्टताओं, उसकी सर्व समावेशी संरचना और देश के लोकतांत्रिक ढांचे को मजबूत बनाए रखने में नागरिकों की जिम्मेदारी पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने लॉ स्टुडेंट्स से कहा कि संविधान केवल परीक्षा का विषय नहीं, बल्कि यह भारतीय लोकतंत्र की धड़कन है, जिसे समझना और संरक्षित करना हर नागरिक का कर्तव्य है। इससे पूर्व समारोह की शुरुआत संविधान की प्रस्तावना के सामूहिक वाचन और संविधान शपथ के साथ हुई। समारोह में शामिल अतिथियों और प्रतिभागियों ने एकस्वर में न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के मूल्यों को जीवन में अपनाने का संकल्प लिया।
लॉ कॉलेज के डीन प्रो. हरबंश दीक्षित ने कहा कि भारत का संविधान एक जीवित और विकसित होता हुआ दस्तावेज है। संविधान केवल अध्ययन की वस्तु नहीं, यह नागरिक आचरण का मार्गदर्शक है। विधि छात्र होने के नाते संवैधानिक मूल्य जीना ही सच्ची विधि-शिक्षा है। उन्होंने बताया, भारत ने विभिन्न संविधानों से सर्वाेत्तम सिद्धांतों को परखकर चुना और उन्हें भारत की सामाजिक-सांस्कृतिक विविधता के अनुरूप ढाला। यह नकल नहीं थी, बल्कि यह एक विवेकपूर्ण चयन था, जिसने विश्व के सबसे सुदृढ़ लोकतंत्र की आधारशिला रखी। प्रो. दीक्षित ने विभिन्न देशों का उदाहरण देते हुए बताया, कहीं सरकारें बार-बार अस्थिर हो जाती हैं, तो कहीं संविधान लगातार बदला जाता है। कहीं लोकतांत्रिक संस्थाएं स्वतंत्र होकर कार्य नहीं कर पातीं। इन परिस्थितियों की पृष्ठभूमि में भारत का संविधान सात दशक से अधिक समय से स्थिरता, प्रगतिशीलता और लोकतांत्रिक संस्कृति का आधार बना हुआ है। लॉ कॉलेज के प्राचार्य प्रो. सुशील कुमार सिंह ने संविधान को राष्ट्र की आत्मा बताते हुए कहा, एक जागरूक नागरिक ही लोकतंत्र को जीवंत रख सकता है। उन्होंने स्टुडेंट्स को कर्तव्यों के प्रति संवेदनशील रहने की प्रेरणा दी। समारोह में डॉ. अमित वर्मा, डॉ डाल चंद गौतम, डॉ. कृष्ण मोहन मालवीय, डॉ सुशीम शुक्ला, डॉ बिशनानंद दुबे, डॉ. सौरभ बटार, डॉ. योगेश गुप्ता, डॉ. राकेश कुमार, डॉ. करिश्मा अग्रवाल, डॉ. माधव शर्मा के संग-संग लॉ के छात्र-छात्राएं मौजूद रहे। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।





