अजय कुमार
सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संपत्तियों का विवरण उम्मीद पोर्टल पर अपलोड करने की समय सीमा बढ़ाने से साफ इंकार कर दिया है। इस नियम के तहत सभी वक्फ संपत्तियों का डिजिटल पंजीकरण अनिवार्य है और इसके लिए 5 या 6 दिसंबर तक की अंतिम तारीख दी गई है। यदि कोई व्यक्ति या संस्था इसे समय पर पूरा नहीं करती है, तो उस पर सजा भी हो सकती है। इस फैसले से स्पष्ट है कि सरकार की डिजिटलाइजेशन पहल को समर्थन दिया गया है, जबकि तकनीकी दिक्कतों और अन्य समस्याओं के लिए अब संबंधित वक्फ ट्रिब्यूनल का सहारा लेना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में याचिकाकर्ताओं के उन दावे को खारिज कर दिया, जिनमें उन्होंने पोर्टल की तकनीकी कठिनाइयों और देखरेख कर्ताओं की अनुपलब्धता का हवाला दिया था। न्यायाधीशों ने कहा कि जो लोग पोर्टल पर विवरण अपलोड नहीं कर पाते, वे वक्फ ट्रिब्यूनल के पास जा सकते हैं, जो हर मामले को देखेगा और समाधान देगा। अदालत ने साफ कहा कि वक्फ अधिनियम के तहत दी गई समय सीमा का पालन आवश्यक है और इस कानून के संचालन में हस्ताक्षर की आवश्यकता नहीं है। केंद्र सरकार ने लगभग 6 लाख से अधिक वक्फ संपत्तियों का सफलतापूर्वक पंजीयन कर लिया है, जबकि बाकी संपत्तियों के पंजीकरण को 6 दिसंबर तक पूरा करने का निर्देश दिया गया है। उम्मीद पोर्टल की शुरुआत 6 जून 2025 को की गई थी, जिसका मकसद सभी वक्फ संपत्तियों का डिजिटल और भू-स्थानिक रिकॉर्ड बनाना है। इससे एक पारदर्शी और सुगठित प्रणाली तैयार होगी और वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार आएगा।
इस फैसले पर विभिन्न लोगों की प्रतिक्रियाएं आई हैं। कुछ वक्फ बोर्ड सदस्यों ने कहा कि तकनीकी दिक्कतों और संसाधनों के अभाव के कारण समय सीमा पूरी करना चुनौतीपूर्ण है। वहीं, कुछ विशेषज्ञों ने फैसला सराहा है, क्योंकि इससे वक्फ संपत्तियों की पारदर्शिता बढ़ेगी और अवैध कब्जों पर अंकुश लग सकेगा। स्थानीय स्तर पर वक्फ संपत्तियों के रख-रखाव में सुधार के लिए इस कदम को एक महत्वपूर्ण मोड़ माना जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से यह संकेत मिलता है कि वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण की प्रक्रिया को समय रहते पूरा करना आवश्यक है। तकनीकी कठिनाइयों का सामना करने वाले व्यक्ति और संस्थाओं के लिए राहत वक्फ ट्रिब्यूनल के माध्यम से उपलब्ध है, जिससे सभी पक्षों के हितों का संरक्षण किया जा सकेगा। यह कदम वक्फ संपत्तियों के सुचारु और जवाबदेह प्रबंधन की दिशा में एक बड़ी पहल है।





