दिलीप कुमार पाठक
संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हो गया है, जब भी संसद का सत्र शुरू होता है तो देश की निगाहें संसद भवन की कार्यवाही पर टिकी होती है, क्योंकि देश को चलाने के लिए नियम -कानून तो यहीं बनते हैं, परंतु कुछ सालो से देखा गया है कि संसद भवन की कार्यशैली ही बदल गई है l सदन चलता कम स्थगित ज्यादा होता है, इसमे विपक्ष से ज्यादा सरकार ज़िम्मेदार है अगर ये कहा जाए तो गलत नहीं होगा l एक दौर होता था जब संसद में खूब नोक-झोंक होती थीं, लेकिन आलोचनाओं के लिए स्थान होता था, तमाम असहमतियों के बावजूद विमर्श होता रहता था l
संसद सत्र शुरू होने से पहले पीएम मोदी ने जो कहा वो भाषा पीएम के लिहाज़ से उचित नहीं है l पीएम ने कहा – “मेरी एक चिंता रही है, लंबे समय से सदन में जो पहली बार चुनकर आए हैं, या जो युवा हैं, वैसे सभी दलों के सभी सांसद बहुत परेशान हैं, उन्हें अपने सामर्थ्य का परिचय कराने का अवसर नहीं मिल रहा है और न ही अपने क्षेत्र की समस्याओं के बारे में बताने का मौका नहीं मिल रहा है, कोई भी दल हो हमें किसी को भी हमारी नई पीढ़ी के नौजवान सांसदों को, उन्हें अवसर देना चाहिए”l यहां तक तो पीएम ने अच्छी बात कही लेकिन उसके बाद जो कहा वो बेहद रूखे शब्दों में की गई टिप्पणी है पीएम ने कहा -” इसलिए मेरा आग्रह रहेगा कि हम इन चीजों को गंभीरता से लें, ड्रामा करने के लिए बहुत जगह होती है, “जिसे करना है करता रहे, यहां ड्रामा नहीं डिलीवरी होनी चाहिए l” पीएम के शब्द उदारवादी होने चाहिए, अगर विपक्षी पार्टियों ने कार्यवाही बाधित की है तो उस पर बात की जा सकती है, लेकिन सीधे कहना कि ड्रामे के लिए जगह और हैं, मुझे लगता है कि पीएम के ऐसे शब्द संसद सत्र की गहमागहमी को और भी बढ़ा सकते हैं, वैसे भी विपक्ष सरकार पर हमलावार है l
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा, “भाजपा लोकतंत्र और संसदीय परंपराओं को खत्म करने पर तुली है l शीतकालीन सत्र सिर्फ 19 दिन का है, जिसमें से सिर्फ 15 दिन ही चर्चा हो पाएगी, यह शायद अब तक का सबसे छोटा शीतकालीन सत्र होगा l इस सत्र के आयोजन में देरी भी हुई है और इसलिए ऐसा लगता है कि सरकार खुद संसद को डिरेल करना चाहती है, उन्होंने कहा, “हमने सुरक्षा की बात उठाई है कि इस शीतकालीन सत्र में सुरक्षा से जुड़े अहम मुद्दों पर चर्चा हो. इसमें सबसे पहले राष्ट्रीय सुरक्षा आता है l दिल्ली में जो ब्लास्ट हुआ, वो कहीं ना कहीं कानूनी और गृह विभाग की विफलताओं का एक बहुत बड़ा परिणाम है, लेकिन ऐसा नहीं लगता कि सरकार इस पर संक्षिप्त चर्चा चाहती है लेकिन लोकतंत्र की रक्षा, चुनाव आयोग की निष्पक्षता, हमारी तीसरी मांग स्वास्थ्य की सुरक्षा की है l जिस प्रकार से वायु प्रदूषण बढ़ रहा है l चौथा विषय आर्थिक सुरक्षा है, जो किसान, श्रमिक है l उसे ना तो उचित मूल्य मिल रहा है, ना कारखाने में सुरक्षा मिल रही है लेकिन. ऐसे सारे अहम मुद्दों पर विपक्ष चर्चा चाहता है, लेकिन सरकार बचना चाहती है l
ये गोगोई के तर्क हैं, परंतु संसद को सुचारू रूप से चलाना सरकार के साथ विपक्ष की भी जिम्मेदारी है। संसद में हर मुद्दे पर बहस होनी जरूरी है। कई मुद्दे सरकार के लिए उतने अहम नहीं होते जितने विपक्ष के लिए मायने रखते हैं। ऐसे ही मुद्दों को लेकर सरकार और विपक्ष की हठधर्मिता से टकराव उत्पन्न हो जाता है, जिससे संसद की कार्यवाही पर असर पड़ता है l संसद को सुचारू रूप से चलाना सरकार की जिम्मेदारी है। सरकार संसद सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक इसीलिए बुलाती है। शुरू में प्रश्नकाल होता है। इसके बाद मुद्दों पर चर्चा होती है। अगर सरकार विपक्ष द्वारा उठाए मुद्दों पर भागती है तो संसद की कार्यवाही में बाधा उत्पन्न होती है। अगर सरकार चर्चा के लिए तैयार हो जाती है तो कार्यवाही सुचारू रूप से चलती है। कई बार विपक्ष जानबूझकर जनता पर प्रभाव दिखाने के लिए संसद की कार्यवाही को रोकने के लिए बाधा उत्पन्न करता है जो ठीक नहीं है। कई बार मुद्दे ऐसे होते हैं जिसमें देश का हित देखा जाता है अपना या पार्टी का नहीं ऐसे मुद्दों पर हंगामा करने से बचना चाहिए। संसद की कार्यवाही चलाने के लिए सभी दलों को सकारात्मक पहल करनी चाहिए। विपक्ष को चाहिए कि सरकार के अच्छे कामों की तारीफ करे और सरकार को चाहिए कि विपक्ष के उठाए मुद्दों को गंभीरता से लेकर उन पर चर्चा कराए। कई बार लगता है जिन मुद्दों पर विपक्ष संसद ठप करता है सरकार में आते ही उन मुद्दों को लागू करवाता है, जो सही बात नहीं है। देश सबसे पहले होना चाहिए। ख़ासकर सभी को बात कहने का समय मिलना चाहिए, पीएम की जिम्मेदारी अधिक होती है इसलिए पीएम को उदारवादी होना चाहिए जिससे सदन में मतभेद तो हों, लेकिन मनभेद न हों, जिससे संसद की कार्यवाही स्थगित न होl





