भारत के चुनाव सुधारों पर संसद में होने वाली चर्चा का भारतीय मतदाता संगठन ने स्वागत किया

Bharatiya Matdata Sanghatana welcomes Parliament's discussion on India's electoral reforms

“मोदी जी हैं तो चुनाव सुधार मुमकिन है” – रिखब चन्द जैन

रविवार दिल्ली नेटवर्क

भारत के चुनाव सुधारों पर संसद में होने वाली चर्चा का भारतीय मतदाता संगठन ने स्वागत किया है। संगठन के संस्थापक रिखब चन्द जैन और अध्यक्ष विपिन गुप्ता ने संयुक्त वक्तव्य जारी कर कहा कि देश में मजबूत और पारदर्शी लोकतंत्र के लिए कठोर चुनाव सुधार अब अत्यंत आवश्यक हो चुके हैं।

भारतीय मतदाता संगठन पिछले दस वर्षों से चुनाव व्यवस्था के सुधार के लिए लगातार प्रयासरत रहा है। संगठन का कहना है कि किसी भी आपराधिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्ति को किसी भी स्तर के चुनाव—चाहे पंचायत का हो, नगरपालिका, जिला परिषद, विधानसभा, लोकसभा या राज्यसभा—लड़ने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट में अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर पीआईएल में भी यह मांग उठाई गई थी कि आरोपपत्र दाखिल होते ही ऐसे उम्मीदवारों पर प्रतिबंध लगाया जाए। सुप्रीम कोर्ट भी इस दिशा में अपनी राय दे चुका है और अब आवश्यक है कि संसद स्पष्ट और कठोर कानून बनाए।

रिखब चन्द जैन ने कहा कि जब किसी अपराधी को हम अपने घर, दुकान, व्यापार, संस्था, सेना या किसी भी सरकारी विभाग में नौकरी नहीं दे सकते, और यदि कहीं पाया जाता है तो उसे दंडित किया जाता है, तो वही व्यक्ति सैकड़ों मामलों के बावजूद विधायक, सांसद, मंत्री या विभिन्न आयोगों में कैसे पहुँच जाता है? यह लोकतंत्र की सबसे बड़ी विडंबना है और इसे दूर करने का समय अब आ गया है।

संगठन का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने चुनाव सुधार और लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए निरंतर कदम उठाए हैं। परिवारवाद समाप्त करने, एक देश–एक चुनाव के विचार को आगे बढ़ाने, महिलाओं को राजनीति में अधिक प्रतिनिधित्व दिलाने, और बेमतलब राजनीतिक पार्टियों के पंजीकरण पर रोक लगाने जैसी पहलों ने देश में नई उम्मीद जगाई है। संगठन का मानना है कि यदि संसद दृढ़ता दिखाए तो ये सुधार पूरी तरह संभव हैं और लोकतांत्रिक व्यवस्था इससे और अधिक मजबूत होगी।

भारतीय मतदाता संगठन का कहना है कि देश के नागरिक, मतदाता, सामाजिक चिंतक और विभिन्न धर्मगुरु लंबे समय से राजनीति के निरपराधीकरण की मांग कर रहे हैं। कई लोगों का मानना है कि गंभीर अपराधों में आरोपित व्यक्तियों को न केवल चुनाव लड़ने से रोका जाए बल्कि उन्हें मतदान का अधिकार भी सीमित किया जाए, जैसा कि सिंगापुर जैसे देशों में व्यवस्था है। संगठन ने स्पष्ट किया कि लोकतंत्र की मजबूती तभी होगी जब अपराधियों को पूरी तरह राजनीति से बाहर रखा जाएगा।

संगठन ने सभी लोकसभा सदस्यों से अपील की है कि 9–10 दिसंबर को होने वाली चर्चा में राजनीति और चुनाव सुधारों को प्राथमिकता दी जाए, निरपराधीकरण पर गंभीर विचार-विमर्श किया जाए और इस विषय में ठोस, प्रभावी और समयबद्ध कानून पारित किए जाएँ। यह वह कदम है जिसे केवल लोकसभा और राज्यसभा ही कानूनी रूप से लागू कर सकती हैं; राज्य विधानसभाएँ इस विषय पर निर्णय नहीं ले सकतीं।

भारतीय मतदाता संगठन ने आशा व्यक्त की है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ये सुधार संभव होंगे और देश का लोकतंत्र और अधिक मजबूत होकर सामने आएगा। संगठन ने सरकार से आग्रह किया है कि लोकतंत्र और चुनाव सुधारों से संबंधित आवश्यक कानून जल्द से जल्द लाए जाएँ, ताकि भारत के मतदाताओं की लंबे समय से लंबित मांग पूरी हो सके। अंत में संगठन ने कहा, “यदि मोदी हैं तो सुधार मुमकिन हैं। देश की लोकतांत्रिक यात्रा को नई दिशा देने का समय आ गया है।”