- टीम में ऑस्ट्रेलिया जैसी टीम का मुकाबला करने की उर्जा और रफ्तार नहीं दिखी
- राष्ट्रीय शिविर में राष्ट्रमंडल खेलों के हर मैच का शिद्दत से विश्लेषण करेंगे
सत्येन्द्र पाल सिंह
नई दिल्ली : भारत के उपकप्तान ड्रैग फ्लिकर हरमनप्रीत सिंह को बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में दो हैट-ट्रिक सहित कुल नौ गोल करने के बावजूद पुरुष हॉकी फाइनल में ऑस्ट्रेलिया के हाथों 0-7 से करारी के चलते स्वर्ण पदक जिताने की हसरत अधूरी रहने की कसक रह गई। भारत की पुरुष हॉकी टीम को तीसरी बार राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक से ही संतोष करना पड़ा,। हरमनप्रीत सिंह इंग्लैंड के निकोलस बाउंड्रक (11) के बाद गोल में करने में दूसरे स्थान पर रहे। हरमनप्रीत ने फाइनल को छोड़ भारत के लिए सेमीफाइनल और मेजबान इंग्लैंड के खिलाफ पूल मैच सहित सभी मैचों में गोल किए। भारत को दरअसल फाइनल में घुटने में चोट के कारण नौजवान चतुर सेंटर हाफ विवेक सागर प्रसाद का न खेल पाना और अपने कप्तान सेंटर हाफ मनप्रीत सिंह ऑस्ट्रेलिया के कप्तान एरेन जेलवस्की से टकरा कर कंधे में चोट के बाहर जाना बहुत अखरा। इसके चलते भारत की अग्रिम पंक्ति में आकाशदीप, ललित उपाध्याय, मनदीप सिंह, अभिषेक उपाध्याय और गुरजंट सिंह गेंद के अपने पास आने का इंतजार ही करते रह गए। भारत की पुरुष हा$ॅकी टीम राष्टï्रमंडल खेलों के फाइनल मेंं इससे पहले 2010 में अपने घर नई दिल्ली में 0-8 और चार बरस बाद ग्लास्गो में 0-4 से हार गई थी।
भारतीय पुरुष हॉकी टीम के बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों शिरकत कर बुधवार लड़के यहां स्वदेश वापस लौटने पर उपकप्तान हरमनप्रीत सिंह ने कहा, ‘हमारी टीम के लिए ऑस्ट्रेलिया से फाइनल में मिली बड़े अंतर से हार को पचा पाना वाकई मुश्किल है। हम ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ फाइनल में जिस तरह खेले उससे हमारी पूरी टीम निराश है। हमें ऑस्ट्रेलिया से फाइनल में मिली इस कड़वी हार को भुला आगे बढऩा होगा। मैं अपने चीफ कोच ग्राहम रीड की इस बात से इत्तफाक रखता हूं कि हमारी टीम में ऑस्ट्रेलिया जैसी टीम का मुकाबला करने के लिए जरूरी उर्जा और रफ्तार नहीं दिखी। हमने राष्टï्रमंडल खेलों के अपने अभियान से जो कई सबक सीखे हमें उन पर मेहनत कर अपने खेल को और बेहतर करना होगा। एक पखवाड़े के बाद अब अब हम जब शिविर में वापस लौटेंगे तो हम राष्टï्रमंडल खेलों में खेले अपने हर मैच का शिद्दत से विश्लेषण करेंगे। हम फिर नए सिरे से शुरुआत करेेंगे।’
हरमनप्रीत सिंह ने राष्ट्रमंडल खेलों में अपने खुद के प्रदर्शन की बाबत कहा, ‘ ऑस्टे्रलिया के खिलाफ बेशक हमारे हक में नहीं गया लेकिन मेरे लिए ये राष्ट्रमंडल खेल निजी तौर पर यादगार रहे। कोरोना की महामारी के बाद पहली बार हम इतनी बड़ी तादाद में दर्शकों के सामने खेले और बर्मिंघम में इन दर्शकों में बड़ी तादाद भारतीय प्रशंसकों की थी। मेरी पत्नी बर्मिंघम में मेरे साथ गई और उसने भी हमारे मैच देखे । मेरी पत्नी ने मुझे पहली बार मुझे मैदान पर मैचों में खेलते देखा। मेरा यह राष्टï्रमंडल खेलों में यह पहला पदक था और निजी तौर पर मेरे लिए यह खास रहा।’
भारतीय पुरुष हॉकी टीम अब अक्टूबर से शुरू हो रहे आगामी 2022-23 के एफआईएच हॉकी प्रो लीग सीजन में लगजाएगी, भारतीय टीम अपने घर में ही एफआईएच प्राश लीग में न्यूजीलैंड और स्पेन से खेलेगी। भारतीय हॉकी टीम राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर के लिए 29 अगस्त को बेंगलुरू लौट आएगी।
‘ऑस्ट्रेलिया अजेय नहीं,अपना सर्वश्रेष्ठï खेल खेलें तो उसे हरा सकते हैं’
‘मैं अभी भी नहीं मानता कि ऑस्ट्रेलिया एक अजेय टीम है। हम अपना सर्वश्रेष्ठ खेले तो ऑस्ट्रेलिया को हरा सकते हैं। मैच में उनके पास भी मैदान पर 11 खिलाड़ी होते हैं और हमारे भी 11 खिलाड़ी हैं। अहम है कि दोनों में कौन मौकों को भुना जीत हासिल करता है। हमने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ कुछ गलतियां कीं। हमने ऑस्ट्रेलियाई खिलाडिय़ों को आसानी से गेंद अपने कब्जे से ले जानी दी और हमें अपनी इसी कमी को दूर करने की जरूरत है।आागामी टूर्नामेंट में हमें जरूरत ऑस्ट्रेलिया पर और दबाव बनाने की है। हम ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मैचों को देख मजबूत वापसी करेंगे। फाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हम अपना सर्वश्रेष्ठ खेल नहीं दिखा सके। हमें बेवजह की गलतियां कीं। हमें बहुत कुछ सीखना है। हमारी मध्यपंक्ति को चतुराई से आगे साथी खिलाडिय़ों को गेंद बढ़ाने की जरूरत हैं।
-मनप्रीत सिंह, भारतीय हॉकी टीम के कप्तान