सुनील कुमार महला
संघर्ष ही जीवन है और मनुष्य को अपने जीवन में पल-पल संघर्ष करना पड़ता है। वास्तव में, संघर्ष बड़ी चीज है। जो संघर्ष से डरता है, वह जीवन के असली आनंद से वंचित रह जाता है।प्रकृति ने इंसान के अंदर जो सबसे बड़ी ताकत दी है, मनुष्य को संघर्ष करने की क्षमता। यही संघर्ष इंसान को आगे बढ़ने, सीखने, और जीवन में कुछ बड़ा बनने, कुछ कर गुजरने के लिए लगातार प्रेरित करता रहता है। कभी यह संघर्ष हमें दुख देता है, तो कभी कोई नया और सुंदर अनुभव देता है, लेकिन हर हाल में यह हमें जीवन में आगे बढ़ना ही सिखाता है। इंसान का पूरा जीवन-जन्म से लेकर मृत्यु तक-चुनौतियों और परीक्षाओं से भरा होता है, जिससे कोई भी बच नहीं सकता। इसलिए अगर हमें अपने लक्ष्य तक पहुँचना है, तो संघर्ष करना अनिवार्य है।संघर्ष को जीवन की बाधा नहीं, बल्कि सफलता की सीढ़ी कहा गया है। यह इंसान को तोड़ता नहीं, बल्कि उसे मजबूत बनाता है, सोच को परिपक्व करता है और उसे असली पहचान देता है।ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने यह बात कही है कि-‘संघर्ष इंसान को मजबूत बनाता है, हार मानना उसे कमजोर।’चाणक्य का कहना है कि-‘ संघर्ष में मिला अनुभव किसी भी शिक्षा से अधिक मूल्यवान होता है।’स्वामी विवेकानंद जी ने यह बात कही है कि-‘जिस दिन आपको कोई संघर्ष न मिले, समझ लेना आप गलत रास्ते पर चल रहे हैं।’ कहना ग़लत नहीं होगा कि मनुष्य के जीवन में मिलने वाली हर सीख, समझ और सफलता किसी न किसी संघर्ष से होकर ही आती है। जैसे सोना आग में तपकर शुद्ध और चमकदार बनता है, उसी तरह इंसान भी कठिन परिस्थितियों से गुजरकर निखरता है। धन कमाना हो, ऊँचा पद पाना हो या करियर बनाना हो-कोई भी लक्ष्य बिना मेहनत और संघर्ष के हासिल नहीं होता। बहरहाल, यहां पाठकों को बताता चलूं कि संघर्ष केवल धन और पद तक सीमित नहीं है।स्वस्थ रहना भी अपने आप में एक निरंतर चलता रहने वाला संघर्ष है, जिसमें हमें आलस्य, गलत आदतों, बीमारियों और मानसिक तनाव से रोज़ लड़ना पड़ता है। आदमी स्वस्थ रहने के लिए टहलता है, अपनी डाइट, अपनी दिनचर्या का ध्यान रखता है,यह संघर्ष ही तो है।सच तो यह है कि जीवन का शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र हो, जहाँ बिना संघर्ष किए आगे बढ़ा जा सके। यही संघर्ष मनुष्य को भीतर से मजबूत बनाता है, उसे समझदार बनाता है और अंततः सफलता के शिखर तक पहुँचाता है। संघर्ष मनुष्य को तोड़ता नहीं, बल्कि उसे और बेहतर ढंग से गढ़ता है। वह बुद्धि को पैना करता है, उत्साह को जगाता है, विश्वास को मजबूत करता है और कल्पनाशक्ति को बढ़ाता है। यही वह चीज है, जो मनुष्य को अपने भीतर छिपे उस उद्देश्य की खोज करने के लिए प्रेरित करता है, जिसके लिए वह इस धरती पर आया है। यह आत्मसंतोष और आलस्य की नींद से बाहर निकालकर उसे जीवन की अनवरत गति में बनाए रखता है। मनुष्य की सबसे बड़ी शक्ति वही है, जो उसे सबसे बड़ी चुनौती देती है और यही सत्य है। शक्ति, चाहे शारीरिक हो या मानसिक, संघर्ष की ही उपज है। जो व्यक्ति चुनौतियों का सामना करता है, वह अंततः वही शक्ति प्राप्त करता है, जिसकी उसे अपनी विजय के लिए आवश्यकता होती है।जीवन की राह स्पष्ट है-गतिशील रहो या फिर समाप्त हो जाओ। यहां कोई अपवाद नहीं, कोई समझौता नहीं।यह लेखक एक प्रतिष्ठित हिंदी दैनिक में यह पढ़ रहा था कि-‘प्रकृति बताती है कि सबसे मजबूत वृक्ष वे नहीं हैं, जिन्हें सुरक्षा मिली हो, बल्कि वे हैं, जिन्होंने खुले मैदान में तूफानों का सीधे सामना किया हो।’ संघर्ष का बेहतरीन उदाहरण प्रसिद्ध बॉक्सिंग खिलाड़ी मैरी कॉम हैं।वे संघर्ष की मिसाल हैं। मणिपुर के एक गरीब किसान परिवार में जन्मी मैरी कॉम ने अभाव, सामाजिक विरोध और संसाधनों की कमी के बीच बॉक्सिंग को अपना रास्ता बनाया। चोटें, असफलताएं और पारिवारिक जिम्मेदारियां उनके कदम रोक न सकीं। कठोर मेहनत और अटूट हौसले के बल पर वे 6 बार की विश्व चैंपियन बनीं और ओलंपिक पदक जीतकर भारत का गौरव बढ़ाया। मैरी कॉम साबित करती हैं कि संघर्ष से ही चैंपियन जन्म लेते हैं। लेकिन हर संघर्ष कुछ पीड़ा देता है, लेकिन यही पीड़ा मनुष्य को उसका सबसे बड़ा प्रतिफल भी देती है। याद रखिए कि इतिहास के हर सफल व्यक्तित्व ने अपना नेतृत्व संघर्षों की भट्टी में तपा है। इसलिए, संस्कृत में बड़े ही खूबसूरत शब्दों में कहा गया है कि-‘उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः।न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः॥’ तात्पर्य यह है कि-‘ कार्य केवल इच्छा करने से नहीं, बल्कि परिश्रम से सिद्ध होते हैं। सोए हुए सिंह के मुख में हिरण स्वयं नहीं आते।’ इसलिए मनुष्य को यह चाहिए कि वह कभी भी संघर्ष से डरकर भागे नहीं, जीवन में पीछे नहीं हटे। याद रखिए कि महान व्यक्ति विपत्ति में बार-बार और अधिक दृढ़ बनते जाते हैं।





