भारत में पुतिन की मौजूदगी: वैश्विक शक्ति संतुलन पर बड़ा संदेश

Putin's presence in India: A big message on the global balance of power

सुनील कुमार महला

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के दो दिवसीय भारत के दौरे पर हैं। यात्रा का दूसरा दिन दोनों देशों की रणनीतिक साझेदारी के लिए ऐतिहासिक साबित हुआ। राष्ट्रपति भवन में औपचारिक स्वागत समारोह और राजघाट पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि के बाद पुतिन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हैदराबाद हाउस में विस्तृत द्विपक्षीय वार्ता हुई। इस बैठक में व्यापार, रक्षा, ऊर्जा, परमाणु तकनीक और आतंकवाद जैसे प्रमुख क्षेत्रों में बहुपक्षीय सहयोग पर सहमति बनी। सबसे बड़ी बात यह है कि आतंकवाद पर दोनों देश एक साथ आगे आएं हैं और दोनों देशों के बीच 100 अरब डॉलर व्यापार लक्ष्य पर सहमति बनी है,जो बहुत ही महत्वपूर्ण और अहम् है। गौरतलब है कि रूस के राष्ट्रपति के इस दौरे से भारत-रूस के बीच अहम करार किया गया है तथा 2030 तक आर्थिक समझौते पर मुहर लग गई है। रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने ऊर्जा आपूर्ति पर अमरीका को अप्रत्यक्ष संदेश देते हुए कहा कि रूस किसी दबाव में नहीं झुकेगा और भारत को ईधन निरंतर उपलब्ध कराता रहेगा। यहां पाठकों को बताता चलूं कि कुछ समय पहले अमेरिका ने भारत की ईंधन आपूर्ति, खासतौर पर रूस से कच्चे तेल की बढ़ती खरीद पर यह कहा था कि इससे रूस को आर्थिक मजबूती मिलती है और अप्रत्यक्ष रूप से यूक्रेन युद्ध को समर्थन मिलता है। अमेरिकी प्रशासन ने भारत से अपील की थी कि वह रूसी तेल पर अपनी निर्भरता कम करे और वैकल्पिक स्रोतों से ऊर्जा खरीद बढ़ाए। साथ ही अमेरिका ने यह भी माना कि भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा और सस्ती कीमतों को ध्यान में रखकर फैसले ले रहा है, इसलिए उस पर सीधे प्रतिबंध नहीं लगाए गए, बल्कि इसे एक ‘राजनयिक चिंता’ के रूप में रखा गया। हालांकि, भारत ने जवाब में यह साफ कहा था कि उसकी तेल आयात नीति पूरी तरह राष्ट्रीय हित और आम जनता को सस्ता ईंधन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से तय होती है। हाल फिलहाल, गौरतलब है कि टूरिज्म, शिक्षा और कारोबारी आवाजाही बढ़ाने की दिशा में प्रधानमंत्री मोदी ने रूसी नागरिकों के लिए 30 दिनों की निःशुल्क वीजा व्यवस्था की घोषणा की है। उपलब्ध जानकारी के अनुसार यह सुविधा समूहों पर भी लागू होगी। इसके साथ ही मैनपावर मोबिलिटी एग्रीमेंट के जरिए भारत से प्रशिक्षित जनशक्ति रूस में रोजगार के अवसर प्राप्त करेगी। पुतिन ने बताया कि रूस भारत को पोर्टेबल न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी उपलब्ध कराएगा, जिससे स्वच्छ और सुरक्षित ऊर्जा क्षमताओं में वृद्धि होगी। बैठक में स्वास्थ्य, शिक्षा, खाद्य सुरक्षा, शिपिंग, ट्रांसपोर्ट, उर्वरक, कस्टम और डाक सेवा से संबंधित समझौतों पर भी हस्ताक्षर किए गए। वास्तव में, दोनों देशों के बीच इन करारों से आने वाले वर्षों में भारत-रूस सहयोग को बहुआयामी गति मिलेगी और दोनों देश वैश्विक चुनौतियों का संयुक्त रूप से सामना करने की स्थिति में अधिक सक्षम बनेंगे। हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त प्रेस वार्ता में यह बात कही है कि भारत-रूस संबंध वैश्विक उतार-चढ़ाव के बावजूद आठ दशकों से एक ध्रुव तारे की तरह स्थिर रहे हैं। भारत और रूस ने 2030 तक के लिए व्यापक आर्थिक सहयोग विजन को अंतिम रूप दिया है, जिसके तहत दोनों देशों ने सौ अरब डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार लक्ष्य को हासिल करने का संकल्प जताया। मोदी ने कहा कि इस साझेदारी से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला, ऊर्जा स्थिरता और रक्षा प्रौद्योगिकी में नए आयाम खुलेंगे। यूक्रेन मुद्दे पर भी दोनों नेताओं के बीच संवाद हुआ। बहरहाल, कहना ग़लत नहीं होगा कि भारत सदियों सदियों से शांति, संयम और संवाद का पक्षधर देश रहा है। इसकी विदेश नीति का मूल आधार ही ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की भावना पर टिका है, जिसका अर्थ है-पूरी दुनिया एक परिवार है। पाठक जानते हैं कि भारत हमेशा से संघर्ष की बजाय समाधान, टकराव की बजाय सहयोग और युद्ध की बजाय शांति का समर्थन करता रहा है। चाहे सीमा विवाद हों, अंतरराष्ट्रीय तनाव हों या वैश्विक संकट-भारत ने हर मंच पर संयम, कूटनीति और लोकतांत्रिक मूल्यों के माध्यम से समाधान निकालने पर ज़ोर दिया है। यही कारण है कि भारत आज विश्व में एक जिम्मेदार, संतुलित और विश्वसनीय राष्ट्र के रूप में पहचाना जाता है।इसी क्रम में राष्ट्रपति पुतिन के भारत यात्रा के दौरान भारत ने यह स्पष्ट किया कि वह किसी पक्ष का समर्थक नहीं, बल्कि दीर्घकालिक शांति व्यवस्था का पक्षधर है और मानता है कि संघर्ष का समाधान संवाद से ही संभव है। आतंकवाद को मानवता के लिए प्रत्यक्ष संकट बताते हुए दोनों देशों ने इसके खिलाफ संयुक्त अभियान पर सहमति जताई। बहरहाल, पाठकों को बताता चलूं कि भारत इस समय अमेरिका से व्यापार समझौते की बात कर रहा है, ताकि रूस से तेल खरीदने पर अमेरिका जो भारी टैक्स (शुल्क) लगा रहा है, उसमें राहत मिल सके। इसी बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन चार साल बाद भारत आए। वास्तव में, राष्ट्रपति पुतिन का यह दौरा केवल औपचारिक नहीं था, बल्कि इसके पीछे गहरी कूटनीतिक रणनीति छिपी थी।पुतिन और प्रधानमंत्री मोदी के बीच जिस तरह की गर्मजोशी दिखी, उससे यह साफ हुआ कि भारत और रूस की दोस्ती आज भी बहुत मजबूत है, जो सोवियत संघ के समय से चली आ रही है। 2021 के बाद दुनिया बहुत बदल चुकी है।पाठक जानते होंगे कि रूस-यूक्रेन युद्ध, इज़राइल-गाज़ा संघर्ष और अमेरिका की नई टैरिफ नीति ने पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को हिला दिया है। इस दौरे के जरिए पुतिन ने दुनिया को यह संदेश दिया है कि रूस अकेला नहीं है, और उसे भारत जैसा मजबूत साथी मिला हुआ है। वहीं भारत के लिए यह दौरा एक संतुलन बनाने का मौका था, ताकि वह अमेरिका और रूस दोनों से अच्छे रिश्ते बनाए रख सके। पुतिन ने साफ कहा कि रूस भारत को तेल और ईंधन की आपूर्ति बिना रुके करता रहेगा। गौरतलब है कि रूस भारत के कुडनकुलम परमाणु बिजलीघर में भी बड़ा सहयोगी है। इसके अलावा भारत ने अब रूसी नागरिकों को 30 दिन का मुफ्त ई-पर्यटक वीजा देने की भी बात कही है, जिससे दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक संबंध और मजबूत होंगे।दोनों देश चाहते हैं कि 2025 तक 50 अरब डॉलर का आपसी निवेश हो और जैसा कि ऊपर बता चुका हूं कि 2030 तक 100 अरब डॉलर का व्यापार पूरा किया जाए।इसके लिए मुक्त व्यापार समझौते पर भी बात आगे बढ़ी है। प्रधानमंत्री मोदी ने भारत-रूस रिश्तों को ‘ध्रुव तारे की तरह अटल’ बताया है, यानी हमेशा स्थिर रहने वाला। वहीं पुतिन ने कहा कि बाहरी दबाव के बावजूद भारत रिश्तों को मजबूत बना रहा है। अंत में यही कहूंगा कि सबसे बड़ा संदेश यही है कि दुनिया में चाहे जितने तनाव हों, भारत और रूस की दोस्ती इन सब से ऊपर बनी रहेगी।