जर्मनी बेशक जीत की प्रबल दावेदार, पर भारत की चुनौती में भी है दम

Germany is undoubtedly a strong contender for victory, but India's challenge is also strong

भारत के चीफ कोच श्रीजेश की रणनीति का भी इम्तिहान

सत्येन्द्र पाल सिंह

चेन्नै : फुलबैक रोहित की अगुआई वाली दो बार चैंपियन रही भारत और मौजूदा व सात बार की चैंपियन जर्मनी के बीच एफआईएच पुरुष जूनियर हॉकी विश्व कप 2025 के सेमीफाइनल में रविवार को बेहद रोमांचक मुकाबले की उम्मीद है। भारत और जर्मनी ने निर्धारित समय में दो दो की बराबरी के बाद शूटआउट में अपने अपने क्वॉर्टर फाइनल जीते। बेशक जर्मनी अपने शानदार रिकॉर्ड के आधार पर सेमीफाइनल में जीत की प्रबल दावेदार है, लेकिन भारत की चुनौती भी दमदार दिखाई देती। भारत ने मौजूदा संस्करण में अपने तीनों पूल मैच बेहद आसानी से जीत कर और जर्मनी ने पूल में अपने मैच कड़े संघर्ष के बाद जीत क्वॉर्टर फाइनल में स्थान बनाया। भारत पिछले दो संस्करण में सेमीफाइनलों में जर्मनी से-2021 में भुवनेश्वर मे 2-4 और 2023 में 1-4 से हार कर पदक जीतने से चूक गया था। भारत के लिए बेशक पिछले दो संस्करण के सेमीफाइनल में जहां जर्मनी के हाथों हार निराश करने वाली है तो उसके सामने वहीं 1997 के संस्करण में जर्मनी पर 4-3 से जीत के साथ और 2001 में 3-2 से जीत से फाइनल में स्थान बनाना इस बार सेमीफाइनल में जीत की प्रेरणा बन सकता है। भारत के कप्तान रोहित, आमिर अली व सौरभ आनंद कुशवाहा और जर्मनी के कप्तान बेन हैशबाख और पाल ग्लेंडर लगातार दूसरी बार सेमीफाइनल में आमने सामने होंगे। भारत के स्ट्राइकर अर्शदीप सिंह, दिलराज सिंह, सौरभ आनंद कुशवाहा व अंकित पाल को अपनी हॉकी की कलाकारी का समझबूझ के साथ हमले बोल कर गोल करने और पेनल्टी कार्नर बनाने के लिए इस्तेमाल करना होगा। भारतीय खिलाड़ियों को सेमीफाइनल की बाबत ज्यादा सोचने की बजाय सहज होकर अपने कोच की योजना को अमली जामा पहनाना होगा।

भारत के चीफ कोच दो बार देश को ओलंपिक में कांसा जिताने वाले गोलरक्षक पीआर श्रीजेश और जर्मनी के कोच मिर्को स्टेनजेल की रणनीति का भी इम्तिहान होगा। भारत को जर्मनी पर जीत हासिल करनी है तो उसकी रक्षापंक्ति को ज्यादा चौकस, मध्यपंक्ति और अग्रिम पंक्ति को ज्यादा चौकस रहना होगा। अपने चीफ के सही शागिर्द प्रिसंदीप सिंह को एक बार फिर क्वॉर्टर फाइनल की मुस्तैदी दिखानी होगी। साथ ही भारत को अपनी ताकत के मुताबिक आक्रामक हॉकी खेलने के साथ जर्मनी के जवाबी हमलों से बचने के लिए एक मिडफील्डर को कम कर रक्षापंक्ति की मदद करने के साथ आगे अग्रिम पंक्ति के लिए गेंद निकालने पर ध्यान लगाना होगा।

भारत के लिए मौजूदा संस्करण में अब तक दिलराज सिंह, मनमीत सिंह ने पांच- पांच, अर्शदीप और शारदा नंद तिवारी ने चार चार, अजित यादव ने तीन , कप्तान रोहित, अनमोल एक्का, रोशन कुजूर, गुरजोत, थोनोजम लुआंग ने दो दो गोल किए हैं। वहीं जर्मनी के लिए कप्तान बेन हैशबाख ने चार, पॉल ग्लेंडर व जोनास वान जर्सम ने तीन तीन, जस्टिस वारवेग , एलेक वान शेरविग ने दो दो गोल किए हैं। भारत ने पूल के अपने तीनों मैच कुल 29 गोल कर और बिना कोई गोल खाए जीत कर जर्मनी ने अपने पूल बी के तीनों मैच कुल 19 गोल कर एक गोल खाकर जीते।

भारत की मध्यपंक्ति में खासतौर पर मनमीत सिंह , प्रियव्रत तलेम, रोशन कुजूर के साथ लिंकमैन गुरजोत सिंह को गोल के अभियान बनाने के साथ जर्मनी के लिए सबसे ज्यादा गोल करने वाले उसके कप्तान बेन हैशबाख को अपनी 25 गज की रेखा से बाहर ही रोकने की कोशिश करनी होगी। साथ ही पेनल्टी कॉर्नर पर अपने खतरनाक ड्रैग फ्लिक के जाने जाने वाले पॉल ग्लेंडर के पेनल्टी कॉर्नर भारत के गोलरक्षक प्रिंसदीप सिंह के साथ कप्तान फुलबैक रोहित व शारदानंद तिवारी और रशर तलेम प्रियव्रत का पूरी चौकसी दिखानी होगी। भारत की मध्यपंक्ति कसौटी पर खरी उतरी तो भारत इस बार जर्मनी पर जीत के साथ जरूर इस बार फाइनल में स्थान बना 2016 के बाद पहली बार जूनियर पुरुष हॉकी विश्व कप में अपना पदक पक्का कर सकता है। भारत के तलेम, रोशन कुजूर व मनमीत सिंह यदि गेंद को जर्मनी के स्ट्राइकर बाख व जर्सम के पास गेंद छीनने में कामयाब तो वे जर्मनी के हमलों की धार कुंद कर सकते हैं।

हम जर्मनी के खिलाफ योजना बना खेलेंगे : श्रीजेश
भारत के चीफ कोच पी आर श्रीजेश ने कहा, ‘जर्मनी की टीम अलग शैली से बहुत स्ट्रक्चर और बहुत अनुशासित हॉकी खेलती है। हमें ऐसे में जर्मनी के खिलाफ ज्यादा विविधता और आक्रामक हॉकी खेलने की कोशिश करनी होगी। हम आक्रामक हॉकी खेलना चाहते हैं। या यू कहें कभी-कभी हम सिर्फ आक्रामक खेल के लिए जाते हैं। लेकिन यह हम तय करते हैं। यह मत लिखिए कि हम आक्रामक खेल या रक्षात्मक खेल खेलेंगे, लेकिन हम जर्मनी के लिए योजना बनाकर खेलेंगे। हम जर्मनी के खिलाफ सेमीफाइनल जीतते हैं हम फाइनल में होंगे। हम सेमीफाइनल की बाधा पार करने में सफल रहते हैं तो हमारा इस जूनियर विश्व कप में पदक पक्का हो जाएगा । हमारे लिए सेमीफाइनल में अपनी सामान्य हॉकी खेलनी होगी क्योंकि जूनियर विश्व कप में सेमीफाइनल का दबाव तो होता है और हमारे ज्यादा खिलाड़ी 21 या इससे कम बरस के हैं । ऐसे में दबाव की बाबत सोचने के सिर्फ अपने खेल पर ध्यान देने की बाबत सोचना होगा। हमें मैच पर अपना कब्जा बनाए रखना होगा। मुझे अब अपने खिलाड़ियों को बस यह बताने की जरूरत है कि मुश्किल मैच में अपना सहज खेल खेलना ही सबसे मुश्किल चुनौती होता है लेकिन यह दबाव से निपटने का सबसे आसान तरीका है।

भारत व जर्मनी में सेमीफाइनल में मुकाबला बराबरी का: भास्करन
अपने मार्गदर्शन में 1997 में मिल्टन कींस में बतौर चीफ कोच भारत को जर्मनी के खिलाफ जूनियर विश्व कप सेमीफाइनल में 3-2 से जिताने वाली टीम के सदस्य व 1980 में देश को आठवीं व अंतिम बाद ओलंपिक में स्वर्ण पदक जिताने वाली टीम के कप्तान रहे ओलंपियन वासुदेवन भास्करण दोनों के बीच रविवार को खेले जाने वाले सेमीफाइनल की बाबत कहते हैं, ‘हमारी भारतीय टीम जर्मनी के खिलाफ सेमीफाइनल के लिए पूरी तरह तैयार हैं। भारत और जर्मनी के बीच सेमीफाइनल में मुकाबला बराबरी का रहने की उम्मीद है। भारत की टीम यदि जर्मनी को पहले क्वॉर्टर में गोल करने से रोकने में सफल रही तो उसकी जीत की संभावना ज्यादा बढ़ जाएंगे । हमें जर्मनी के खिलाफ जीतना है तो हमारी मध्यपंक्ति में मनमीत सिंह, गुरजोत सिंह और तलेम प्रियव्रत को सीनियर टीम में सुमित, जर्मनप्रीत सिंह, मनप्रीत और विवेक सागर की तरह का चतुर खेल दिखा र जर्मनी के हमलों को रोकने के साथ अपने स्ट्राइकर के लिए गेंद बढ़ानी होगी। हमारी मध्यपंक्ति को जर्मनी के मध्यपंक्ति के कब्जे से पहले ही गेंद छीननी होगी। जर्मनी की टीम 4-3-3 की पद्धति से खेलती है और गोल करने के लिए जवाबी हमलों पर यकीन करने के साथ एक बार बढ़त लेने के बाद उसे आखिर तक बरकरार रखने की नीति से खेलती है। हमें जर्मनी के हमलों को रोकने के लिए एक मिडफील्डर को पीछे जर्मनी के जवाबी हमलों को रोकने के लिए रखना होगा और अपने हमलों को ज्यादा धार देने के लिए हमले में आगे एक स्ट्राइकर को रखा तो उसके हमलों की धार देने होगी। हमारे स्ट्राइकर को नियोजित हमले बोलने होंगे। हमले बोलने में हड़बड़ी की बजाय हमारे स्ट्राइकर और मिडफील्डर को तब तक गेंद अपने कब्जे में रखनी होगी जब उन्हें डी में गोल करने और पेनल्टी कॉर्नर बनाने का पक्का मौका नजर न आए।’