प्रवासी राजस्थानियों रो संगम – पधारो आपणा देस …..!!

Confluence of migrant Rajasthanis – Come to your country…!!

  • अपनी जड़ों से जुड़ने का एक महा-उत्सव
  • राजस्थान की महक और प्रवासी मन की ललक मिलकर रचेगी एक नया इतिहास

वासुदेव देवनानी

राजस्थान की राजधानी गुलाबी नगर जयपुर के सीतापुरा में जयपुर एग्जीबिशन और कन्वेंशन सेन्टर (जेईसीसी) परिसर में दस दिसम्बर को प्रथम प्रवासी राजस्थानी सम्मेलन का भव्य आयोजन किया जा रहा है। विविधताओं में एकता से भरे हमारे देश भारत के भौगोलिक दृष्टि से सबसे बड़े और सीमावर्ती राज्य राजस्थान की आठ करोड़ से भी अधिक जनता की ओर से इस भव्य सम्मेलन में भाग लेने राजस्थान आए देश-विदेश के सभी प्रवासी भाइयों और बहनों तथा युवा साथियों का राष्ट्र प्रेम से भरपूर शूरवीरों, वीरांगनाओं, सैनिकों, भक्ति और शक्ति तथा दानवीरों की इस ऐतिहासिक धरा पर पधारने पर घणो-घणो स्वागत और अभिनंदन है। गुलाबी नगरी जयपुर, अपनी अनोखी मुस्कान के साथ, हर अतिथि को गले लगा कर कहती है—“स्वागतम्… पधारो म्हारे देस पावणा… राजस्थान में आपका सदैव स्वागत है।”राजस्थान की ऐतिहासिक धरती धोरा री यह पावन धरती अपनी वीरता, शौर्य, परंपरा, संस्कृति, लोककलाओं , तीज-त्यौहारों, स्वादिष्ट व्यंजनों और पर्यटन एवं अतिथि सत्कार के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। पग-पग सूरा देवली, पग-पग सतियाँ थान मन डरपे पग मेलतां, रंग है राजस्थान ॥

प्रवासियों का उत्साहजनक पंजीकरण

राजस्थान के उत्साही मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने पिछले साल अपनी सरकार के पहले ही वर्ष के कार्यकाल में जयपुर में ही आयोजित किए राइजिंग राजस्थान ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट के दौरान प्रवासी राजस्थानी कॉन्क्लेव में हर वर्ष 10 दिसंबर को प्रवासी राजस्थानी दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी। इस घोषणा के बाद यह पहला प्रवासी राजस्थानी दिवस अपने आपमें बहुत अहम एवं महत्वपूर्ण है। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य देश-विदेश में फैले राजस्थानी डायस्पोरा (प्रवासी राजस्थानियों) को एक साथ एक मंच पर लाना और सभी प्रवासियों को सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, विकासात्मक और भावनात्मक रूप से अपनी मातृभूमि से जोड़ना है। साथ ही प्रवासी राजस्थानियों को अपनी जड़ों से जोड़ते हुए प्रदेश के विकास में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करना भी है। इस अनूठे और बेजोड़ आयोजन के प्रति प्रवासी भाई-बहनों का उत्साह कितना अधिक हैं। यह इस तथ्य से प्रदर्शित होता है कि इस सम्मेलन में भाग लेने के लिए 8,700 से अधिक प्रवासियों ने अपना पंजीकरण कराया है।

पधारो म्हारे प्रवासी पावणा..

राजस्थान सदियों से अपने अतिथि सत्कार के लिए पहचाना जाता है। यहां अतिथि को देवता माना जाता है। इस सम्मेलन का सबसे भावनात्मक पहलू यही है कि प्रवासी मेहमानों को पूरा राजस्थान खुले दिल से यह संदेश दे रहा है कि “पधारो म्हारे प्रवासी पावणा, राजस्थान आपरो घर सै।” यह केवल वाक्य नहीं बल्कि राजस्थान की आत्मा है, उसका संस्कार है, उसकी पहचान है। यह सम्मेलन केवल एक औपचारिक आयोजन नहीं,बल्कि भावनात्मक और सांस्कृतिक पुनर्मिलन का पर्व भी है। प्रवासी राजस्थानियों के मन में हमेशा एक ललक रही है—अपणी मिट्टी रो स्पर्श, अपणी बोली रो मिठास, अपणा लोगां रो अपनत्व। सम्मेलन उन्हें यही संदेश देता है कि “आप जहां भी हो, राजस्थान हमेशा आपणा ही है। पधारो रे अपने देस ‘पधारो म्हारे देस पावणा’ की यह भावनात्मक पुकार, राजस्थान की भावना और जुड़ाव को प्रदर्शित करती है। राजस्थान हमेशा से उन प्रवासी भारतीयों के दिल में बसा रहा है, जिन्होंने रोजगार, व्यापार, शिक्षा या जीवन की अन्य जरूरतों केचलते दुनिया भर में अपना विस्तार किया और शौहरत भी हासिल की। आज अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड, दुबई, सिंगापुर, लंदन ,यूरोप,रूस से लेकर अफ्रीका तक हजारों परिवार ऐसे हैं, जो भले ही विदेशों में रहते हों, पर अपने हृदय में राजस्थान के रंग, रीति-रिवाज, बोली और विरासत को संजोए रखते हैं। प्रवासी राजस्थानी सम्मेलन का उद्देश्य उन संबंधों को फिर से जीवंत करना है, जिन्हें समय और दूरी ने भले ही भौगोलिक रूप से अलग किया हो, पर भावनाओं ने हमेशा जोड़े रखा है। यह सम्मेलन प्रवासी समुदाय को यह संदेश देता है कि राजस्थान आज भी उनका घर है और विकास की हर यात्रा में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण है। राजस्थान की मिट्टी से जुड़ाव और अपनत्व को कभी भुलाया नहीं जा सकता। देश-दुनिया के कोने–कोने में बसे प्रवासी राजस्थानी आज भी अपनी मिट्टी से उतना ही प्रेम करते हैं जैसा कोई अपनी माता से करता है। गुलाबी नगरी जयपुर में आयोजित यह पहला प्रवासी राजस्थानी सम्मेलन इसी भाव, इसी आत्मीयता और इसी गहरे संबंध को समर्पित है। यह केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि अपनी जड़ों से जुड़ने (‘जड़ां स्यूं जुड़णो) का एक महा–उत्सव है, जहां राजस्थान की महक और प्रवासी मन की ललक एक साथ मिलकर एक नया इतिहास रचने जा रही है। सम्मेलन का उद्देश्य और संबंधों का यह सेतु राजस्थान के विकास की एक नई दिशा तय करेगा इसमें कोई सन्देह नहीं है। पहले प्रवासी राजस्थानी सम्मेलन का उद्देश्य प्रवासियों के साथ सांस्कृतिक जुड़ाव को मजबूत करना, प्रवासी राजस्थानियों की उपलब्धियों का सम्मान, राजस्थान में निवेश और विकास के नए अवसर प्रस्तुत करना, युवा पीढ़ी को अपनी मूल सांस्कृतिक पहचान से जोड़ना, दुनिया में यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत और राजस्थान की बदलती छवि और प्रगति को साझा करना है।

प्रवासी पावणा : राजस्थान का गर्व और ब्रांड एंबेसडर

यह प्रसन्नता का विषय है कि राजस्थान सरकार ने इस सम्मेलन में देश-दुनिया के कई प्रदेशों और देशों में बसे सफल राजस्थानियों और उनके संगठनों को सम्मानित करने का निर्णय लिया है। वास्तव में प्रवासी राजस्थानियों का समाज, क्षेत्र और देश को दिए योगदान की गौरव री गाथा अभिनंदनीय है। प्रवासी राजस्थानियों ने देश में ही नहीं वैश्विक स्तर पर अपने व्यापार, शिक्षा, उद्योग, आईटी, चिकित्सा, कला, संस्कृति, समाज सेवा और राजनीतिक हर क्षेत्र में अपनी एक विशिष्ट छाप छोड़ी है। यह सम्मेलन उनके योगदान को सम्मान देने और राजस्थान के भविष्य में उनकी भागीदारी को बढ़ाने का विनम्र प्रयास है। राजस्थान सरकार ने इस सम्मेलन के माध्यम से स्पष्ट किया है कि प्रवासी राजस्थानी राज्य के ‘ब्रांड एंबेसडर’ हैं। वे जहां भी रहते हैं, वहीं से राजस्थान की पहचान, संस्कृति और मूल्यों को वैश्विक स्तर पर स्थापित करते हैं। अनेक प्रवासी राजस्थानियों ने व्यापार, उद्योग, आईटी, शिक्षा, कला, सिनेमा, अनुसंधान, चिकित्सा, राजनीतिक और सामाजिक सेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं। यह सम्मेलन ऐसे प्रतिभाशाली लोगों को सम्मानित करने और उन्हें आगे राज्य के विकास में भागीदारी का आमंत्रण देने का उचितअवसर है। राजस्थानी उद्यमियों, शिक्षाविदों, वैज्ञानिकों, कलाकारों, आईएएस एवं आईपीएस आदि अधिकारी गण , डॉक्टर और इंजीनियर,सामाजिक एवं व्यापारिक संगठन केवल आर्थिक सफलता के प्रतीक ही नहीं हैं, बल्कि राजस्थान की संस्कृति और सभ्यता के राजदूत भी हैं। उनका अनुभव, निवेश क्षमता, वैश्विक दृष्टिकोण और उद्यमिता कौशल राजस्थान के विकास में अमूल्य योगदान देने में सक्षम है। यह सम्मेलन केवल सांस्कृतिक मिलन का आयोजन मात्र नहीं, बल्कि विकास और सहभागिता का व्यापक मंच है।

प्रथम प्रवासी राजस्थानी सम्मेलन राजस्थान सरकार की एक ऐतिहासिक पहल है। यह कार्यक्रम न केवल प्रदेश को सांस्कृतिक रूप से समृद्ध करेगा, बल्कि राजस्थान की अर्थ व्यवस्था, उद्यमिता, निवेश, नवाचार और सामाजिक विकास के लिए भी नए रास्ते खोलेगा ऐसी आशा है। यह सम्मेलन राजस्थान के विकास में एक नई ऊर्जा भरेगा और प्रवासी राजस्थानियों के मन में अपने प्रदेश के लिए कुछ करने की भावना जागृत करेगा,ऐसा विश्वास है।जयपुर की धरती पर उमड़े उत्साह, हर्षोल्लास और आत्मीयता की यह अनुभूति प्रवासी राजस्थानियों के लिए भी हमेशा अविस्मरणीय रहेगी। यह सम्मेलन एक नए युग की शुरुआत भी है,जहां राजस्थान और प्रवासी समुदाय साथ मिलकर भविष्य का निर्माण करेंगे। यह सम्मेलन राजस्थान के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय के रूप में दर्ज होगा। यह केवल अपनी मातृभूमि के प्रति सम्मान का प्रतीक ही नहीं, बल्कि आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक विकास का एक सशक्त मंच सिद्ध होगा। गुलाबी नगरी जयपुर एक बार फिर इतिहास रचने जा रही है। समृद्ध संस्कृति, अद्भुत विरासत और आत्मीय आतिथ्य के लिए विश्व भर में पहचाने जाने वाला यह शहर प्रथम प्रवासी राजस्थानी सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है। यह वह क्षण है जब दुनिया भर में बसे राजस्थान के बेटे-बेटियाँ अपनी मातृभूमि की मिट्टी की ख़ुशबू को फिर से महसूस करने आएं है । राजस्थानी खाना दाल-बाटी-चूरमा, केर-सांगरी, गट्टे की सब्जी, खिचड़ा, घेवर, मिश्री मावा का स्वाद अपनी अलग ही पहचान रखता है। साथ ही सांस्कृतिकआयोजन आदि यह सब प्रवासी मेहमानों का स्वागत करेंगे। प्रवासी राजस्थानियों की नई पीढ़ी को राजस्थान की संस्कृति और धरोहर से जोड़ने की बड़ी जिम्मेदारी इस सम्मेलन के मंच के माध्यम से निभाई जाएगी ।

राजस्थान अपनी अस्मिता,परंपराओं, संस्कृति और संघर्ष की विरासत के साथ आगे बढ़ रहा है।आज प्रवासी राजस्थानियों की क्षमता और राज्य के संसाधनों का मिलान, भविष्य के राजस्थान के लिए नए विकास के द्वार खोल रही है। निवेश,रोजगार,पर्यटन,वैश्विक सहयोग,सांस्कृतिक संरक्षण इन सब क्षेत्रों में अभूतपूर्व संभावनाएं सामने आ रही हैं। राजस्थान सरकार द्वारा आयोजित यह सम्मेलन राज्य की संभावनाओं, निवेश के अवसरों, पर्यटन, संस्कृति एवं उद्यमिता पर आधारित विविध सत्रों से सुसज्जित होगा। सांस्कृतिक संध्याएँ राजस्थान की लोकधारा की झलक दिखाएँगी, जबकि भोजन में दाल-बाटी-चूरमा से लेकर घेवर तक परंपरा का स्वाद मिलेगा। जयपुर का ऐतिहासिक वातावरण, आकर्षक धरोहर स्थल, आधुनिक सुविधाएँ और गर्मजोशी से भरा स्वागत समारोह प्रवासी मेहमानों के लिए अविस्मरणीय अनुभव बनने जा रहा है। गुलाबी नगरी अपने सीने पर गर्व के साथ कह रही है—“पधारो म्हारे प्रवासी पावणा, राजस्थान आपरो घर सै।”

राजस्थान में विकास और निवेश की संभावनाएँ : प्रवासी राजस्थानियों से बढ़ती उम्मीदें

राजस्थान, जो अपनी मर्यादा, वीरता, सांस्कृतिक वैभव और विविधता के लिए जाना जाता है, आज नए दौर के विकास और आर्थिक प्रगति की ओर बढ़ रहा है। राज्य ने पिछले एक दशक में बुनियादी ढांचे, उद्योग, ऊर्जा, खनन, पर्यटन, कृषि, आईटी और सेवाओं के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। रेगिस्तान को हरियाली में बदलने वाली राजस्थान केनाल परियोजना के वर्षों बाद अब पूर्वी राजस्थान में पीने का पानी और सिंचाई जरूरतों को पूरा करने के लिए राजस्थन और मध्यप्रदेश की नदियों को जोड़ने वाली ईआरसीपी की पुनर्गठित महत्वाकांक्षी राम सेतु परियोजना सम्पूर्ण पूर्वी राजस्थान की जीवन रेखा बनने जा रही है, राज्य के शेखावाटी अंचल में यमुना जल लाने के लिए हरियाणा सरकार से किये गए एम ओ यू का कार्य प्रगति पर है। जोधपुर के पास निर्माणाधीन पचपदरा तेल रिफाइनरी और पेट्रो कॉम्प्लेक्स का कार्य अंतिम चरण में है जो राजस्थान में दुबई जैसा विकास लाएगा। पश्चिमी राजस्थान विश्व का सबसे बड़ा सोलर हब बन रहा है। दक्षिणी राजस्थान के बांसवाड़ा में प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा परमाणु बिजली घर बनने जा रहा है । खान और खनिज दृष्टि से समृद्ध राजस्थान में सोने के भंडारों की खोज भी हुई है । प्रदेश में सड़क, रेल और हवाई सेवाओं का भी जबरदस्त विकास हो रहा है । यह बदलाव आज एक ऐसे मोड़ पर पहुंच चुका है जहां प्रवासी राजस्थानियों जो दुनिया भर में विभिन्न क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा चमका रहे हैं, से राज्य की नई उम्मीदें जुड़ गई हैं। प्रवासी राजस्थानी न केवल राज्य की सांस्कृतिक पहचान का गर्व हैं, बल्कि वे एक विशाल आर्थिक, सामाजिक और बौद्धिक पूंजी भी हैं। उनकी वैश्विक समझ, तकनीकी अनुभव, आर्थिक क्षमता और नेटवर्क राजस्थान के विकास को नई दिशा दे सकते हैं। प्रवासी राजस्थानी सम्मेलन भी इसी सोच की परिणति है, जिसमें राज्य और प्रवासी समुदाय के बीच संबंधों को और मजबूत करने का लक्ष्य है।

राजस्थान की बदलती आर्थिक संरचना

राजस्थान एक समय केवल कृषि और पशुपालन पर आधारित अर्थव्यवस्था माना जाता था, लेकिन आज की तस्वीर काफी बदल चुकी है। राज्य की अर्थ व्यवस्था में अब अनेक नए क्षेत्र शामिल हो रहे हैं जैसे आईटी, पर्यटन, खनन आधारित उद्योग,नवीकरणीय ऊर्जा, ई-मोबिलिटी, टेक्सटाइल, औद्योगिक कॉरिडोर, रियलए स्टेट और स्टार्टअप सेक्टर आदि । राजस्थान की भौगोलिक स्थिति इसे उत्तर भारत का लॉजिस्टिक हब बनाती है। दिल्ली-मुंबई औद्योगिक कॉरिडोर ,अमृतसर –कोलकाता कॉरिडोर, भारत माला एवं पूर्वोत्तर-पश्चिमी फ्रेट कॉरिडोर जैसे बड़े प्रोजेक्ट राज्य कीऔद्योगिक क्षमता को और ऊँचा उठा रहे हैं।

नवीकरणीय ऊर्जा का ग्लोबल हब

राजस्थान देश का सबसे बड़ा सोलर ऊर्जा उत्पादक प्रदेश बन चुका है। यहां के थार मरुस्थल और विशाल भूमि क्षेत्र इसे सोलर और विंड एनर्जी दोनों में शीर्ष बनाते हैं। राज्य 2050 तक भारत के ग्रीन एनर्जी सेंटर के रूप में उभर सकता है। बड़ी कंपनियां यहाँ पहले ही हजारों करोड़ का निवेश कर रही हैं। यह क्षेत्र प्रवासी निवेश के लिए अत्यंत आकर्षक है क्योंकि ऊर्जा सेक्टर में विश्वस्तरीय तकनीक और प्रबंधन की आवश्यकता होती है, जो प्रवासी राजस्थानियों के पास उपलब्ध है।

पर्यटन उद्योग में असीम संभावनाएं

जयपुर, उदयपुर, जोधपुर, बीकानेर, जैसलमेर, अजमेर ,पुष्कर, माउंट आबू, बूंदी,अलवर, भरतपुर, डूंगरपुर-बांसवाड़ा आदि राजस्थान का हर शहर और सभी 41 ज़िलें अपनी विशेष पहचान रखते है। राजस्थान में हेरिटेज होटल, थीम-बेस्ड रिसॉर्ट, मेडिकल टूरिज्म,फिल्म शूटिंग डेस्टिनेशन, साहसिक पर्यटन (डेजर्ट सफारी, हॉट एयर बैलून, ट्रैकिंग आदि ) की जबरदस्त संभावनाएं हैं। कई प्रवासी राजस्थानी पहले से ही होटल और पर्यटन उद्योग में सक्रिय हैं। राज्य उनसे उम्मीद करता है कि वे यहां आधुनिक सुविधाओं, विश्व स्तरीय सेवाओं और वैश्विक मार्केटिंग के माध्यम से पर्यटन को नया आयाम देंगे।

स्टार्टअप और नवाचार

जयपुर, उदयपुर और कोटा सहित प्रदेश के कई शहर अब राजस्थान के स्टार्टअप हब बन रहे हैं। आईटी सेवाएं, ई-कॉमर्स, फिनटेक, हेल्थटेक, एडटेक और एग्रीटेक के क्षेत्र में कई युवा स्टार्ट अप में राष्ट्रीय पहचान बना रहे हैं।प्रवासी राजस्थानियों के पास तकनीकी विशेषज्ञता,विदेशी निवेशकों तक पहुंच,ग्लोबल मार्केट अनुभव,अनुसंधान एवं नवाचार क्षमता जैसी संपत्तियां हैं। राज्य उनसे उम्मीद करता है कि वे निवेश, मेंटरशिप और तकनीकी सहयोग के माध्यम से स्टार्ट अप इकोसिस्टम को मजबूती देंगे।

औद्योगिक विकास : नई नीतियों की दिशा

राजस्थान की नई उद्योग, एमएसएमई और आरआईपीएस नीतियों ने निवेश प्रक्रिया को बेहद सरल बनाया है। सिंगल विंडो सिस्टम, आसान भूमि उपलब्धता, कर छूट, औद्योगिक पार्क, टेक्सटाइल हब, सेमी कंडक्टर नीति, ई-मोबिलिटी और इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए विशेष प्रोत्साहन आदि कदमों ने राजस्थान को देश के सबसे आकर्षक निवेश गंतव्यों में शामिल किया है। प्रवासी राजस्थानी अपने वैश्विक अनुभव के साथ टेक्सटाइल, जेम्स एंड ज्वेलरी, खनन आधारित उद्योग,निर्माण सामग्री,फूड प्रोसेसिंग,चिकित्सा उपकरण जैसे क्षेत्रों में नए उद्योग स्थापित कर सकते हैं।

शिक्षा और शोध में सहयोग की अपार संभावनाएं

राजस्थान में कोटा का शिक्षा मॉडल विश्वभर में प्रसिद्ध है। जयपुर के निजी विश्वविद्यालय, अकादमिक संस्थान, मेडिकल कॉलेज और शोध केंद्र तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। यदि प्रवासी विश्वस्तरीय फैकल्टी विकास,रिसर्च सहयोग,टेक्नोलॉजी ट्रांसफर, विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ साझेदारी करें, तो राज्य की शिक्षा व्यवस्था और वैज्ञानिक खोजों में बहुत बड़ा परिवर्तन आएगा।

कृषि और ग्रामीण विकास में निवेश

राजस्थान का कृषि क्षेत्र विविधता पूर्ण है। बाजरा, गेहूं, चना, सरसों, खजूर, अनार, किन्नू, जैविक खेती, गुलाब की खेती, डेयरी उद्योग, ऊँट और भेड़ आधारित उत्पाद , कृषि आधारित स्टार्टअप और फूड प्रोसेसिंग यूनिट प्रवासी निवेश के लिए बड़े अवसर प्रदान करते हैं। दुनिया भर में रहने वाले राजस्थानियों के पास कृषि तकनीक, मार्केटिंग और प्रोसेसिंग का अनुभव है जो राज्य के ग्रामीण विकास में नया मोड़ ला सकता है।

स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार में भूमिका

जयपुर, उदयपुर और जोधपुर आदि शहरों में सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल विकसित हो रहे हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं अब भी विस्तार चाहती हैं। प्रवासी डॉक्टर और स्वास्थ्य विशेषज्ञ—टेलीमेडिसिन, डिजिटल स्वास्थ्य समाधान, आधुनिक उपचार तकनीक, मेडिकल निवेश के माध्यम से बड़ा योगदान दे सकते हैं।

सामाजिक विकास में प्रवासी समुदाय की भूमिका

  • अनेक प्रवासी राजस्थानी गुरुकुल, हॉस्टल, छात्रवृत्ति, पीने के पानी की योजनाएं, गोशालाओं, धर्मार्थ ट्रस्ट आदि संस्थाएं चला रहे हैं।राजस्थान सरकार चाहती है कि यह सामाजिक सहयोग और आगे बढ़े।
  • राजस्थान आज एक ऐसे दौर में है,जहां विकास की गति तेज है और भविष्य भी उज्ज्वल है । यह वह समय है जब प्रवासी राजस्थानियों की भागीदारी राज्य के आर्थिक और सामाजिक विकास को नई दिशा दे सकती है।

राज्य विधान सभा में भी हुए है कई नवाचार

राजस्थान की विधानसभा अपनी भव्यता, सुंदरता ,स्थापत्य कलाऔर गुलाबी पत्थर से निर्मित होने के कारण भारत की सबसे बेजोड़ और अनूठी विधानसभा मानी जाती है । राजस्थान की स्थापित शानदार परम्पराओं को आगे बढ़ाते हुए पिछले दो वर्षों में राज्य विधान सभा में कई नवाचार किये गए है जिसमें विधानसभा का डिजिटल म्यूजियम, संविधान दीर्घा और वन्दे मातरम गेलेरी की स्थापना,कारगिल शौर्य वाटिका का निर्माण,विधानसभा की कार्यवाही का डिजिटिकरण कर इसे पेपरलेस बनाना,सभी दो सौ विधायकों की सीटों पर टेबलेट सिस्टम लगाना आदि कई नवाचार शामिल है। राजस्थान के इतिहास में पहली बार विधान सभा के डिजिटल म्यूजियम को आम अवाम और पर्यटकों के लिए खोला गया है । मैं प्रवासी राजस्थानी सम्मलेन में भाग लेने जयपुर पधारे सभी संभागियों को भी राज्य विधान सभा का अवलोकन करने के लिए सादर आमंत्रित करता हूँ

(लेखक वासुदेव देवनानी राजस्थान विधान सभा के माननीय अध्यक्ष है )