- दबाव न लेने और खेल का लुत्फ उठाने की उस्ताद रीड की सलाह काम आई
- फाइनल में नतीजा भले ही पक्ष में नहीं रहा, पर हमने इससे बहुत कुछ सीखा
- हम सभी बतौर टीम अपना खेल और बेहतर करना चाहते हैं
- टीम में हर कोई खुद को विश्व कप के लिए तैयार करने व रंग में रहने को बेताब
सत्येन्द्र पाल सिंह
नई दिल्ली : उदीयमान स्ट्राइकर अभिषेक भारतीय हॉकी टीम के कल के सितारे हैं। मजबूत कदकाठी के लंबे चौड़े सोनीपत के अभिषेक स्वतंत्रता दिवस यानी इस 15 अगस्त को 23 बरस के हो जाएंगे। भारत का बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में ऑस्ट्रेलिया से एकतरफा फाइनल में 0-7 से हार से स्वर्ण पदक जीतने का सपना एक बार फिर टूट गया और उसे तीसरी बार रजत पदक पर संतोष करना पड़ा। भारत के राष्ट्रमंडल खेलों में अभिषेक ने भले ही दो गोल किए हो लेकिन उसे बराबर पेनल्टी कॉर्नर दिलाने और साथी स्ट्राइकरों को बेहतरीन पास देकर उन्होंने अपनी एक अलग छाप छोड़ी। अभिषेक की कदकाठी आज नए जमाने के दुनिया के स्ट्राइकरों की है ही उनके पास हॉकी की कलाकारी उन्हें दुनिया के बेहतरीन स्ट्राइकरों में शामिल कराती है। अभिषेक का पूरा नाम अभिषेक नैन लेकिन वह अपना नाम केवल अभिषेक ही लिखते हैं। अभिषेक को हॉकी मैदान पर खेलते देखकर अक्सर भारत के अपने जमाने के बेहतरीन स्ट्राइकर रहे ओलंपियन जगबीर सिंह की याद आ जाती है। अभिषेक को खुद डी में सही वक्त पर निशाना लगा गोल करने के साथ नि:स्वार्थ गोल करने के गेंद आगे बढ़ाना उन्हें भारत का खास स्ट्राइकर बनाता है। अभिषेक राष्ट्रमंडल खेलों में चारों पूल मैचों, सेमीफाइनल और फाइनल सहित भारत के लिए सभी छह मैच खेले। अभिषेक ने फरवरी में 2021-22 एफआईएच प्रो हॉकी लीग से भारत की सीनियर टीम के लिए खेलने का आगाज कर बराबर सधा प्रदर्शन कर ही राष्टï्रमंडल खेलों के लिए टीम में जगह बनाई।
बहुत कम लोग यह जानते होंगे अभिषेक को हॉकी का ककहरा उनके स्कूल के हिंदी के मास्टर जी शमशेर सिंह ने सिखाया। शमशेर भले खुद बहुत हॉकी नहीं खेले लेकिन दुनिया के महान फुटबॉलर मैसी के मुरीद रहे। शमशेर ने अभिषेक की हॉकी कलाकारी और प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ी को छकाने की ताकत देखते हुए उन्हें स्ट्राइकर के रूप में खेलने को प्रेरित किया। अभिषेक के पास भारत के जगबीर सिंह और पाकिस्तान के शाहबाज अहमद की तरह प्रतिद्वंद्वी रक्षापंक्ति को डी के भीतर छकाने का दम है।अभिषेक ने भी अपने मास्टर जी शमशेर को कभी निराश नहीं किया। राष्ट्रमंडल खेलों सहित भारत के लिए बड़े मंच पर अच्छे प्रदर्शन की बाबत पूछे जाने की बाबत अभिषेक ने कहा, ‘ मेरे लिए राष्ट्रमंडल खेलों जैसे बड़े हॉकी मंच पर भारत के लिए खेलना एक यादगार अनुभव रहा। राष्टï्रमंडल खेलों का अनुभव मुझे और मेहनत कर अपनी खामियों को दूर करने को प्रेरित करेगा। इनमें शिरकत कर मैंने अपने खेल की बाबत बहुत कुछ सीखा । हमारे चीफ कोच ग्राहम रीड अभ्यास सत्र में मुझे पहले यही बात समझा चुके थे कि मुझे बहुत ज्यादा दबाव नहीं लेना है। मुझे बस अपने खेल का लुत्फ उठाना है। उस्ताद रीड की यह सलाह बर्मिंघम राष्टï्रमंडल खेलों में मेरे बहुत काम आई। मैं इससे अपने नैसर्गिक खेल पर ध्यान लगा कर खुल कर खेलने में कामयाब रहा। अब हम वापस अभ्यास के लिए शिविर में लौटने और खुद को आगे के टूर्नामेंटों के लिए तैयार करने को बेताब हैं। टीम में हम सभी बतौर टीम अपना खेल और बेहतर करना चाहते हैं। अब हमें अगले साल अपने घर में ही एफआईएच हॉकी विश्व कप में शिरकत करनी है। अब हमारी टीम में हर कोई खुद को विश्व कप के लिए बढिय़ा ढंग से तैयार करने और रंग में रहने को बेताब है।’
उन्होंने कहा, ‘जहां मेरे लिए खुद राष्ट्रमंडल खेलों में अपने खेल के आकलन की बात है तो मैं बस यही कहूंगा कि मेरा यह पहला बड़ा टूर्नामेंट था।मेरी टीम के साथियों और उस्तादों ने मुझसे यही कहा कि मैं राष्टï्रमंडल खेलों खासा बढिय़ा खेला। अभी भी मुझे हालांकि अपने खेल में और सुधार की जरूरत है। जहां तक राष्टï्रमंडल खेलों में हमारी भारतीय टीम के प्रदर्शन की बात है तो हम इस पूरे टूर्नामेंट में कड़े मजबूत प्रतिद्वंद्वियों का सामना कर टीम के रूप में बढिय़ा खेले। भले ही ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ फाइनल में नतीजा हमारे पक्ष में नहीं रहा लेकिन इससे हमने बहुत कुछ सीखा। हम आगे ट्रेनिंग में अपनी खामियों को दूर करने पर मेहनत करेंगे।”