जी राम जी ‘बिल लेगा मनरेगा की जगह

Ji Ram Ji, the bill will replace MNREGA

अशोक भाटिया

आज लोकसभा में नरेंद्र मोदी की सरकार एक नया बिल ला रही है जो मनरेगा की जगह लेगा और नया ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून बनाया जाएगा। इस बिल का नाम ‘विकसित भारत-गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) बिल 2025 रखा गया है जिसे शॉर्ट फॉर्म में ‘VB जी. राम जी’ के नाम से जाना जाएगा। इस बिल के जरिए सरकार नया रोजगार गारंटी कानून बनाने जा रही है जो मनरेगा की जगह लेगा। इसमें 125 दिन रोजगार की गारंटी होगी जबकि मनरेगा में 100 दिन रोजगार की गारंटी होती थी। इस बिल में राज्यों की भी हिस्सेदारी तय की जा रही है जबकि मनरेगा में सिर्फ केंद्र की ही हिस्सेदारी होती थी लेकिन इस बिल को लेकर देश में जबरदस्त सियासी बवाल मच गया है। कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी पार्टियां विरोध कर रही है।

सरकार विकसित भारत-गारंटी फॉर रोजगार एंड अजीविका मिशन (ग्रामीण) या वीबी-जी राम जी नाम से कानून बनाने की तैयारी कर रही है। आज संसद में शिवराज चौहान इस बिल को पेश करेंगे। यह कई मायने में मनरेगा से बेहतर है। मजबूत और टिकाऊ ग्रामीण बुनियादी ढांचे के निर्माण के मकसद से लाए जा रहे इस विधेयक के प्रावधान न सिर्फ ग्रामीण मजदूरों, बल्कि किसानों के हित भी सुनिश्चित करेंगे। सरकार के मुताबिक ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के साथ यह कानून विकसित भारत की नींव को और मजबूत करेगा।

नई योजना के तहत निर्मित परिसंपत्तियां विकसित भारत राष्ट्रीय ग्रामीण अवसंरचना संग्रह (नेशनल रूरल इंफ्रास्ट्रक्चर स्टैक) में दर्ज की जाएंगी। इससे एकीकृत एवं समन्वित रूप से राष्ट्रीय विकास की रणनीतियां बनाने में मदद मिलेगी। ग्रामीण परिवारों के वयस्क सदस्यों को सालाना 125 दिनों की अकुशल रोजगार की कानूनी गारंटी देने वाला यह कानून 20 वर्ष पुरानी योजना मनरेगा की जगह लेगा। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर पहले से चली आ रही एक योजना में बदलावों की जरूरत क्यों पड़ी। यह किस तरह उससे अलग और बेहतर है और क्या इससे वाकई ग्रामीण भारत की तस्वीर बदलेगी।

ग्रामीण विकास मंत्रालय ने कहा कि प्रस्तावित कानून ‘विकसित भारत 2047’ के लक्ष्य को हासिल करने के लिए एक आधुनिक कानूनी ढांचा स्थापित करेगा।मंत्रालय ने कहा कि इस बिल का मकसद चार प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के जरिए रोजगार और टिकाऊ ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर बनाना है। ये चार मुद्दे हैं पानी से जुड़े कामों के ज़रिए पानी की सुरक्षा, ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर, आजीविका से जुड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर और खराब मौसम की घटनाओं से निपटने के लिए खास काम।

यूपीए सरकार की मनरेगा योजना और एनडीए सरकार का VB-G RAM G बिल कैसे एक दूसरे से अलग है। यह जानना भी जरुरी है ।। मनरेगा में 100 दिनों के रोजगार की गारंटी है, जबकि VB-G RAM G बिल में सरकार ने हर घर के व्यस्क व्यक्ति को 125 दिनों के रोजगार की गारंटी दी गई है। इस समय केंद्र सरकार: अकुशल मजदूरी की लागत का 100% और सामग्री की लागत का 75% वहन करती है। राज्य सरकारें: सामग्री की लागत का शेष 25% और बेरोजगारी भत्ते का भुगतान करती हैं, साथ ही प्रशासनिक लागत भी साझा करती हैं।

जी राम जी बिल यूं तो केंद्र द्वारा स्पॉन्सर्ड बिल है। लेकिन वित्तीय जिम्मेदारी राज्य और केंद्र मिलकर उठाएंगे। पूर्वोत्तर और हिमालय बेल्ट के राज्यों में 90 फीसदी फंडिंग केंद्र की होगी जबकि 10 फीसदी हिस्सा राज्य सरकार उठाएगी। जबकि दूसरे राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के मामले में केंद्र की हिस्सेदारी 60 फीसदी और राज्य की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत होगी।

मनरेगा और VB-G राम-जी विधेयक में एक बड़ा फर्क का ब्रेक पीरियड का है। नई स्कीम में खेती वाले सीजन में रोजगार गारंटी को 60 दिनों के लिए अस्थायी तौर पर रोक दिए जाने का प्रावधान किया जा रहा है, ताकि खेतों में काम न रुक पाए। रिपोर्ट के अनुसार खेती वाले पीक सीजन में इस अधिनियम के तहत कोई काम नहीं कराया जाएगा।केंद्र का कहना है कि MGNREGA के काम बिना किसी मजबूत राष्ट्रीय रणनीति के कई कैटेगरी में फैले हुए थे। नया एक्ट 4 मुख्य तरह के कामों पर फोकस करता है, जो पानी की सुरक्षा, ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर, आजीविका से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण और जलवायु अनुकूलन में मदद करते हैं।

नया एक्ट विकसित ग्राम पंचायत योजनाओं को अनिवार्य करता है, जिन्हें पंचायतों द्वारा खुद तैयार किया जाता है और PM गति-शक्ति जैसे राष्ट्रीय योजनाओं के साथ इंटीगरेट किया जाता है।यह एक्ट प्रोडक्टिव एसेट बनाने, ज्यादा इनकम और बेहतर लचीलेपन के जरिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करता है। इस स्कीम में पानी से जुड़े कामों को प्राथमिकता दी जाएगी। गावों में बुनियादी विकास पर जोर दिया जाएगा। सड़कें, कनेक्टिविटी और बुनियादी इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत किया जाएगा। ताकि बाजार इन इलाकों तक पहुंच पाए।

इसके अलावा भंडारण, बाजार , इनकम डाइवर्सीफिकेशन पर जोर दिया जाएगा। नया स्कीम जल संचयन, बाढ़ जल निकासी और मिट्टी संरक्षण के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर ग्रामीण आजीविका की रक्षा करता है। ग्रामीण इलाकों में रोजगार की उपलब्धता से प्रवासन में कमी आएगी।

मजदूरों को नौकरी की गारंटी लंबे समय तक मिल सकेगी। उन्हें बेहतर मजदूरी मिलेगी, इलेक्ट्रॉनिक मज़दूरी (2024-25 में पहले ही 99।94%) पूरी बायोमेट्रिक और आधार-आधारित वेरिफिकेशन के साथ जारी रहेगी, जिससे मज़दूरी की चोरी पूरी तरह से खत्म होगी।

हाइपरलोकल विकसित ग्राम पंचायत प्लान यह पक्का करेंगे कि काम पहले से प्लान किया होगा। अगर मजदूरों को काम नहीं दिया जाता है, तो राज्यों को बेरोजगारी भत्ता देना होगा। बेहतर सड़कें, पानी और आजीविका से जुड़ी संपत्तियों का निर्माण मजदूरों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाते हैं। इससे उनकी जीवन शैली बदलती है।

गौरतलब है कि MGNREGA 2005 में बनाया गया था लेकिन इसके बाद अगले 20 सालों में ग्रामीण भारत बदल गया है। कई सरकारी एजेंसियों ने अपने सर्वे में बताया है कि लोगों में खर्च करने की क्षमता बढ़ी है। आय और फाइनेंशियल एक्सेस के कारण गरीबी 25।7% (2011–12) से घटकर 4।86% (2023–24) हो गई है। मज़बूत सोशल प्रोटेक्शन, बेहतर कनेक्टिविटी, ज़्यादा डिजिटल एक्सेस और ज़्यादा विविध ग्रामीण आजीविका के साथ पुराना ढांचा अब आज की ग्रामीण अर्थव्यवस्था से मेल नहीं खा रहा था। इस स्ट्रक्चरल बदलाव को देखते हुए, MGNREGA का ओपन-एंडेड मॉडल पुराना हो गया था।

VB – G RAM G बिल सिस्टम को आधुनिक बनाता है, गारंटी वाले दिनों को बढ़ाता है और प्राथमिकताओं पर फिर से ध्यान केंद्रित करता है।

नए बिल में AI से धोखाधड़ी का पता लगाया जाएगा। इन योजनाओं की निगरानी के लिए केंद्र और राज्य सरकारें संचालन समितियां चलाएंगी। इसके अलावा ग्रामीण विकास के लिए 4 प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान दिया जाएगा। पंचायतों के लिए बेहतर निगरानी भूमिका हो सकेगी।

इस स्कीम से GPS/मोबाइल से काम की निगरानी हो सकेगी। रियल-टाइम MIS डैशबोर्ड से काम की तरक्की का पता लगाया जा सकेगा।यह पुरानी योजना की ढांचागत कमजोरियों को दूर करेगा और रोजगार, पारदर्शिता और जवाबदेही को मजबूत करेगा। इससे गांवों में न केवल रोजगार पैदा होंगे, बल्कि हर कार्य को राष्ट्रीय विकास के ढांचे में जोड़कर ग्रामीण भारत को समृद्ध व चुनौतियों के प्रति अधिक लचीला बनाया जा सकेगा

गारंटीशुदा दिनों की संख्या 100 से बढ़ाकर 125 किए जाने से ग्रामीण परिवारों को अधिक आय सुरक्षा मिलेगी। मनरेगा कार्य कई श्रेणियों में बिखरे थे और कोई मजबूत राष्ट्रीय रणनीति नहीं थी। नए कानून में जल सुरक्षा, मूल ग्रामीण अवसंरचना, आजीविका से जुड़े अवसंरचना निर्माण तथा जलवायु अनुकूलन को समर्थन देने वाली टिकाऊ संपत्तियां निर्मित कराई जाएंगी।विकसित ग्राम पंचायत योजनाओं को अनिवार्य किया गया है, जिन्हें पंचायतें खुद तैयार करेंगी। इन्हें पीएम गति-शक्ति से जोड़ा जाएगा।राज्य फसलों की बुआई और कटाई के दौरान कुल 60 दिनों की अवधि अधिसूचित कर सकते हैं, जब सार्वजनिक कार्य नहीं होंगे। इससे कृषि कार्यों के समय मजदूरों की कमी नहीं होगी। फसल सीजन में सार्वजनिक कार्य बंद होने से मजदूरी दर नियंत्रित रहेगी और खाद्य उत्पादन की लागत नहीं बढ़ेगी।जल संबंधी कार्यों को प्राथमिकता से सिंचाई सुविधाएं बेहतर होंगी, भूजल स्तर बढ़ेगा। बहु-फसली खेती की संभावना मजबूत होगी। मुख्य एवं आजीविका अवसंरचना से किसान अपनी उपज सुरक्षित रूप से भंडारित कर सकेंगे, फसलों का नुकसान कम होगा और बाजार तक उनकी पहुंच बढ़ेगी। बाढ़ के पानी की निकासी, जल संचयन व मिट्टी संरक्षण के कार्य फसलों की रक्षा करेंगे। प्राकृतिक आपदाओं से नुकसान को कम करेंगे।