- बतौर ड्रैग फ्लिकर व फुलबैक संदीप व हरमनप्रीत जैसा बनने की तमन्ना है
- बतौर फुलबैक अपने खेल में बीरेन्द्र लाकरा का नियंत्रण पाना चाहता हूं
सत्येन्द्र पाल सिंह
नई दिल्ली : भारत को चेन्नै में जूनियर पुरुष हॉकी विश्व कप 2025 में कांसा जिताने में अहम भूमिका निभाने वाले 19 बरस के फुलबैक और ड्रैग फ्लिकर अनमोल एक्का ओडिशा के उसी आदिवासी सुंदरगढ़ अंचल से आते हैं जिसने देश को ओलंपियन हॉकी इंडिया के मौजूदा अध्यक्ष दिलीप तिर्की व रशर व ड्रैग फ्लिकर अमित रोहिदास जैसे बेहतरीन फुलबैक दिए हैं। वह ओडिशा की भारत को मजबूत फुलबैक देने की परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। सच तो यह है कि बतौर फुलबैक व ड्रैग फ्लिकर एक्का ’अनमोल‘ हैं। अनमोल भारत के कप्तान ड्रैग फ्लिकर व फुलबैक हरमनप्रीत सिंह और 2020 में टोक्यो में कांसा जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम के रक्षात्मक फुलबैक बीरेन्द्र लाकरा की देश की सीनियर टीम में अपना स्थान पक्का करना चाहते हैं। 30 जनवरी 2006 को जन्मे अनमोल एक्का ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले की केसरामल पंचायत के राजगंगपुर ब्लॉक के फरसधिप्पा गांव से हैं। अनमोल एक्का ने अपनी मां को बचपन में ही खो दिया और अपने ननिहाल में ही उन्होंने हॉकी का ककहरा सीखा। गांव में हॉकी खेलने के बाद जब वह सेल हॉकी एकेडमी,राउकेला चले गए और वहां अपने हॉकी कौशल को निखारा। अनमोल इसके बाद ओडिशा नवल टाटा हॉकी हाई परफॉर्मेंस सेंटर , भुवनेश्वर में डेविड जॉन व बीजे करिप्पा जैसे हॉकी के माहिर उस्तादों से हॉकी के गुर सीखे। नवल टाटा हॉकी अकेडमी में समय समय पर दुनिया के महानतम ड्रैग फ्लिकर नीदरलैंड के बोवलेंडर भी बीच बीच में आकर नौजवान ड्रैग फ्लिकरों को ड्रैग फ्लिक के गुर बताते हैं। अनमोल एक्का के पिता का नाम तौसील एक्का और मां का नाम ममता एक्का हैं। वह ओडिशा की 2024 में छठे यूथ खेलो इंडिया खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली टीम के अहम सद्स्य रहे।अनमोल भारत की अक्टूबर, 2025 में सुलतान ऑफ जोहोर कप रजत पदक जीतने वाली भारत की अंडर 21 हॉकी टीम के भी सदस्य थे। वह 2024 में भारत की मस्कट में जूनियर हॉकी एशिया कप में स्वर्ण पदक जीतने वाली टीम में सदस्य हैं।
अनमोल एक्का ने चेन्नै में बातचीत में कहा, ‘भारत को चेन्नै में जूनियर हॉकी विश्व कप 2025 में कांसा जिताना तो एक शुरुआत है। हमने एक इकाई के रूप में प्रदर्शन कर यह पदक जीता। हमे जर्मनी के खिलाफ सेमीफाइनल हारने का जरूर मलाल है। जूनियर टीम के बाकी साथियों की तरह अब मेरा सपना सीनियर हॉकी टीम में जगह बना भारत को ओलंपिक में पदक जिताना है। मैं जानता हूं यह आसान नहीं होगा लेकिन मैं शिद्दत से इसे हासिल करने के लिए मेहनत जारी रखूंगा। भारत के पूर्व हॉकी ओलंपियन संदीप सिंह और मौजूदा कप्तान हरमनप्रीत सिंह का बतौर ड्रैग फ्लिकर व फुलबैक मुरीद हूं और उन जैसा बनने की तमन्ना है। संदीप सिंह ने ट्रेन में अचानक बंदूक चलने से रीढ़ की हड्डी में गोली लगने के बाद जिस जीवट के साथ भारतीय हॉकी टीम में वापसी की वह बेमिसाल है और यह उनके जीवट और जज्बे की मिसाल है। संदीप भाई के ड्रैग फ्लिक पर गेंद इतनी तेज रफ्तार से आती थी की नेट को भेदती गोल में जा घुसती थी। मैं बतौर ड्रैग फ्लिकर अपने ड्रैग फ्लिक में ऐसी ही ताकत पैदा करना चाहता हूं। हमारी भारतीय सीनियर टीम के कप्तान हरमनप्रीत भाई बतौर ड्रैग फ्लिकर व डिफेंडर लाजवाब हैं और तकनीक रूप में बहुत मजबूत होने के साथ उनका मैच के मिजाज के मुताबिक खुद को ढाल कर खेलना बहुत प्रभावित करता है। साथ ही अमित (रोहिदास) भाई का प्रतिद्वंद्वी टीम के ड्रैग फ्लिकर को रोकने के लिए बतौर ड्रैग फ्लिकर तेज फर्राटा लगा उसे रोकना और ड्रैग फ्लिक से खुद गोल करने की कूवत के साथ भारत के किले की चौकसी करना बतौर यंग डिफेंडर मुझे बहुत सिखाता है। 2020 में टोक्यो ओलंपिक में कांसा जीतने वाली भारतीय टीम के सदस्य अब हमारी जूनियर टीम के सहायक कोच बीरेन्द्र लाकरा का बतौर फुलबैक गेंद पर बहुत नियंत्रण रहता था और जब तक गेंद उनकी स्टिक से छिटकती नहीं थी जब तक सही साथी खिलाडी के लिए गेंद को आगे बढ़ाने के लिए सही जगह नहीं खोज लेते थे। साथ ही मैं बतौर फुलबैक अपने खेल में बीरेन्द्र लाकरा का नियंत्रण हाासिल करना चाहता हूं ।
हरमनप्रीत, अमित रोहिदास जैसे धुरंधर ड्रैग फ्लिकरों व फुलबैक की मौजूदगी में सीनियर भारतीय हॉकी टीम में स्थान बनाना अभी खासी मुश्किल है लेकिन मैं खुद अपने खेल को बराबर निखार कर जब भी मौका बने और उसे भुनाने को बेताब हूं।’





