प्रो. नीलम महाजन सिंह
क्रिसमस व नववर्ष के आगमन (2026) से पूर्व, संसद का शीतकालीन सत्र 19 दिसम्बर को समाप्त हुआ। हर बार की तरह सरकार व विपक्ष के बीच कोई समन्वय नहीं था। शीतकालीन सत्र में 13 बड़े बिलों पर विचार विमर्श कर पारित किया गया। इस दौरान सरकार ने महत्वपूर्ण बिल पेश, जिनका लक्ष्य शिक्षा, परमाणु ऊर्जा, वित्तीय बाज़ार, कर सुधार व बुनियादी ढांचे जैसे क्षेत्रों में बदलाव करना है। सत्र में विधायी व वित्तीय कार्यों पर विशेष जोर दिया गया। लोकसभा स्पीकर ओम बिरला और राज्यसभा सभापति डा. सी. पी. राधाकृष्णन ने सदनों की कार्यवाही का संचालन किया। दूसरी ओर विपक्षी ‘इंडिया’ ब्लॉक ने राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के कार्यालय में बैठक बुलाई थी, जिसमें ‘विशेष गहन पुनरीक्षण’ (SIR) पर बहस की मांग पर निर्णय लिया गया। सत्र के दौरान हंगामा ही रहा व दोनों सदनों में विपक्ष का नकारात्मक प्रभाव स्पष्ट प्रतीत हुआ। जो अधिनियम पारित हुए उनमें, ‘जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) बिल 2025’ शामिल है, जो 17 केंद्रीय कानूनों में छोटे अपराधों को गैर-आपराधिक बनाने व दंडों को तर्कसंगत करने पर केंद्रित है। यह बिल 10 मंत्रालयों के 76 अपराधों को प्रभावित करता है व कारोबार करने की सुगमता को बढ़ावा देता है। इसके बाद ‘इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (संशोधन) बिल, 2025’ को पारित किया गया, जिसका उद्देश्य दिवालिया प्रक्रिया को पारदर्शी व तेज करना है। ‘मणिपुर जीएसटी (दूसरा संशोधन) बिल, 2025’; राज्य के अध्यादेश को बदलने के लिए पास हुआ। जबकि रिपीलिंग एंड अमेंडिंग बिल, 2025 ने पुराने कानूनों को निरस्त और संशोधित किया। इसके साथ ही नेशनल हाईवे (संशोधन) बिल, 2025; भूमि अधिग्रहण को आसान बनाकर, राजमार्ग परियोजनाओं को तेज़ करने के लिए पास किया गया। सबसे महत्वपूर्ण ‘एटॉमिक एनर्जी बिल, 2025’ परमाणु ऊर्जा क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोलने का रास्ता साफ हो गया है। यह 1962 के परमाणु ऊर्जा अधिनियम में बड़े सुधार लाएगा, जिसमें छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों पर विशेष ध्यान दिया गया है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही इसकी घोषणा कर चुके हैं, जो ऊर्जा सुरक्षा को मज़बूत करने की दिशा में बड़ा कदम है। सत्र में कॉर्पोरेट कानून (संशोधन) बिल, 2025, सिक्योरिटीज मार्केट्स कोड (SMC) बिल, 2025 और इंश्योरेंस कानून (संशोधन) बिल, 2025 जैसे बिलों को पारित किया गया। ‘सेबी एक्ट 1992, डिपॉजिटरीज एक्ट 1996’ और ‘सिक्योरिटीज कॉन्ट्रैक्ट्स एक्ट 1956’ को एकीकृत करेगा, जिससे विदेशी निवेश में वृद्धि और अनुपालन भार में कमी आएगी। ‘आर्बिट्रेशन एंड कंसिलिएशन (संशोधन) बिल, 2025’; विवादों को निपटाने में तेजी लायेगा। ‘हायर एजुकेशन कमीशन ऑफ इंडिया बिल, 2025’; उच्च शिक्षा क्षेत्र में बड़े बदलाव लाएगा और यूजीसी की जगह एक नई संस्था स्थापित करेगा। ‘सेंट्रल एक्साइज (संशोधन) बिल, 2025’; उत्पाद शुल्क प्रणाली में सुधार करेगा। अंत में ‘हेल्थ सिक्योरिटी टू नेशनल सिक्योरिटी सेस बिल, 2025’; स्वास्थ्य सुरक्षा को राष्ट्रीय सुरक्षा से जोड़ते हुए नया ‘सेस’ (टैक्स) लगाने का कार्य करेगा। ‘विकसित भारत – जी राम जी’ (VB-G RAM-G) विधेयक, 2025, ‘मजीनरेगा’ का स्थान लेगा। यह कानून ग्रामीण रोज़गार गारंटी को 100 दिन से बढ़ाकर 125 दिन करता है, जल सुरक्षा, ग्रामीण अवसंरचना व आजीविका पर केंद्रित है। योजना को ‘पीएम गति शक्ति’ से जोड़ा गया है, व पारदर्शिता के लिए डिजिटलीकरण (जैसे बायोमेट्रिक) व ग्राम सभा द्वारा सामाजिक ऑडिट पर ज़ोर दिया गया है। हालांकि फंडिंग पैटर्न (केंद्र-राज्य का 60:40) और महात्मा गांधी के नाम को हटाने पर विवाद है। इस अधिनियम की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं : ‘अकुशल शारीरिक श्रम’ के लिए गारंटी 100 दिनों से बढ़ाकर 125 दिन प्रति वित्तीय वर्ष कर दिया गया है। प्राथमिकता वाले क्षेत्र: जल सुरक्षा, मुख्य ग्रामीण अवसंरचना, आजीविका संबंधी अवसंरचना व चरम मौसम की घटनाओं से निपटने पर ध्यान केंद्रित है। ग्राम पंचायतों की योजनाओं, विकसित भारत-राष्ट्रीय ग्रामीण अवसंरचना स्टैक (VB-NRIS) के माध्यम से संकलित किया जाएगा। ‘ऐ-आई’ – सक्षम एनालिटिक्स जैसे डिजिटल उपकरणों का उपयोग करेगा। कृषि से जुड़ाव व फसल बुवाई – कटाई के मौसम में मज़दूरों की उपलब्धता के लिए राज्य सरकारें 60 दिनों तक योजना को निलंबित कर सकती हैं, जिससे कृषि कार्य प्रभावित न हों। संस्थागत निगरानी के लिए केंद्रीय व राज्य ग्रामीण रोजगार गारंटी परिषदों द्वारा योजना की समीक्षा और निगरानी की जाएगी। मनरेगा का प्रतिस्थापन: यह विधेयक 20 साल पुराने मनरेगा (MGNREGA) का स्थान लेता है, जिससे ग्रामीण रोजगार और विकास के लिए एक नई संरचना स्थापित होती है। नाम परिवर्तन को लेकर ‘महात्मा गांधी’ का नाम हटा दिया गया, जिस पर विपक्ष ने गहन आपत्ति जताई है। फंडिंग पैटर्न: केंद्र-राज्य फंडिंग पैटर्न 60:40 (पहले मनरेगा में केंद्र की 100% हिस्सेदारी थी) होने की संभावना है, जिससे राज्यों पर बोझ बढ़ सकता है। समीक्षार्थ, विपक्ष के हंगामे में नरेंद्र मोदी सरकार ने जनहित हेतु अनेक अधिनियमों को पारित कर, 2025 के अंत मे आम लोगों को पॉजिटिव संदेश दिया है कि सरकार, ‘अंत्योदय’ को कार्यान्वित करने में सक्षम है।
प्रो नीलम महाजन सिंह (वरिष्ठ पत्रकार, राजनैतिक विश्लेषक, अंतर्राष्ट्रीय सामयिक विशेषज्ञ, दूरदर्शन व्यक्तित्व, सॉलिसिटर फॉर ह्यूमन राइट्स संरक्षण व परोपकारक)




