दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के राजधानी में सरकारी आवास के करीब ही है दिल्ली ब्रदरहुड हाउल। यहां पर रहते हैं अविवाहित पादरी। इधर क्रिसमस का पर्व प्रोटेस्टेंट ईसाई परंपरा के अनुसार बड़े उत्साह से मनाया जाता है। ये भारत की इस तरह की एकमात्र जगह है, जहां अविवाहित पादरी रहते हैं।
विवेक शुक्ला
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के सरकारी आवास के करीब ही है दिल्ली ब्रदरहुड हाउल। यहां पर रहते हैं अविवाहित पादरी। इधर क्रिसमस का पर्व प्रोटेस्टेंट ईसाई परंपरा के अनुसार बड़े उत्साह से मनाया जाता है। ये भारत की इस तरह की एकमात्र जगह है, जहां अविवाहित पादरी रहते हैं। प्रोटेस्टेंट ईसाई क्रिसमस को यीशु मसीह के जन्म के रूप में मनाते हैं, जिसमें प्रार्थना, कैरल गायन और समुदायिक सभाएं मुख्य होती हैं। यहां पर रहने वाले पादरी, जिन्हें ब्रदर, भी कहा जाता है, क्रिसमस को सेवा के अवसर के रूप में देखते हैं, खासकर गरीब बच्चों के लिए। वे क्रिसमस के दौरान गरीब बच्चों को केक, चॉकलेट्स और कपड़े बांटते हैं।
दिल्ली के सिविल लाइंस इलाके में स्थित ब्रदरहुड हाउस एक ऐतिहासिक स्थल है, जो प्रोटेस्टेंट ईसाई समुदाय की सेवा और आध्यात्मिकता का प्रतीक है। यह इमारत 1925 में बनी थी और इस साल अपनी शताब्दी मना रही है। यह दिल्ली ब्रदरहुड सोसाइटी (डीबीएस) का मुख्यालय है, जो ब्रदरहुड ऑफ द असेंडेड क्राइस्ट नामक एंग्लिकन धार्मिक ऑर्डर द्वारा संचालित है। यह ऑर्डर 1877 में स्थापित किया गया था, जिसका मुख्य उद्देश्य गरीब और वंचित लोगों की सेवा करना है।
यहां रहने वाले अविवाहित फादर या ब्रदर्स प्रोटेस्टेंट ईसाई परंपरा के अनुसार जीवन व्यतीत करते हैं। वे शादी नहीं करते और अपना जीवन सेवा में समर्पित करते हैं। उदाहरण के लिए, ब्रदर मोनोदीप डेनियल, जो लखनऊ से हैं और सेंट स्टीफेंस कॉलेज में अंग्रेजी के पूर्व शिक्षक रहे, यहां तीन दशकों से अधिक समय से रहते हैं।
कहां हैं दफन
ब्रदर जॉर्ज सोलोमन, जो डीबीएस के वयोवृद्ध सदस्य हैं, दशकों से योगदान दे रहे हैं। रेव. इयान वेदरॉल, जिन्हें “फादर” कहा जाता था, 1951 में कैम्ब्रिज से थियोलॉजी पढ़कर यहां आए और 2013 में 91 वर्ष की आयु में उनका निधन हुआ। वे कश्मीरी गेट के निकोलसन कब्रिस्तान में दफन हैं। गांधीजी के आदर्शों से प्रभावित वेदरॉल ने गरीबों और हाशिए पर रहने वालों के अधिकारों के लिए जीवन समर्पित किया। इन ब्रदर्स का दैनिक जीवन आध्यात्मिक कार्यों, चर्च गतिविधियों और संस्थानों के प्रबंधन में बीतता है। वे सामूहिक भोजन करते हैं, जन्मदिन मनाते हैं और शांत वातावरण में बातचीत करते हैं। हाउस के चारों ओर हरे-भरे लॉन और पेड़ इसे एक शांत आश्रय बनाते हैं।
ब्रदरहुड ऑफ द असेंडेड क्राइस्ट की स्थापना दिल्ली में 1877 में हुई थी, जो एंग्लिकन चर्च (प्रोटेस्टेंट का एक हिस्सा) से जुड़ा है। इसका उद्देश्य गरीबों की सेवा करना था, और 1975 में इसका नाम दिल्ली ब्रदरहुड सोसाइटी कर दिया गया पर इसका लक्ष्य जन सेवा रही रहा। इसके माध्यम से स्वास्थ्य, शिक्षा और स्ट्रीट चिल्ड्रन के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाए जाते हैं।
गांधी जी के साथी कौन
ब्रदरहुड हाउस की स्थापना से पहले, यह जगह चार्ल्स फ्रीर एंड्र्यूज जैसे व्यक्तियों से जुड़ी थी, जो महात्मा गांधी के मित्र थे। गांधीजी के आदर्शों से प्रेरित होकर, यहां के सदस्यों ने गरीबों के अधिकारों के लिए काम किया। 1947 के विभाजन के दौरान, ब्रदरहुड हाउस ने हजारों शरणार्थियों को आश्रय दिया, जिसमें घायलों की चिकित्सा और गर्भवती महिलाओं की देखभाल शामिल थी। अस्पतालों जैसे सेंट स्टीफेंस, लेडी हार्डिंग और इरविन से सहायता ली गई। यहां तक कि ब्रिटिश राजपरिवार के सदस्यों ने भी दौरा किया, जैसे 1997 में प्रिंस चार्ल्स ने ताहिरपुर में सेंट जॉन वोकेशनल सेंटर का दौरा किया, और क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय ने ब्रदरहुड हाउस में निवासियों से मुलाकात की।
ब्रदरहुड हाउस और डीबीएस की सामुदायिक सेवाएं व्यापक हैं। वे शिक्षा पर जोर देते हैं, जैसे उत्तर प्रदेश के साहिबाबाद में दीन बंधु स्कूल, जो दिल्ली और उत्तर प्रदेश के हाशिए पर रहने वाले बच्चों के लिए है। दिल्ली-सोनीपत बॉर्डर के पास सेंट स्टीफेंस कैम्ब्रिज स्कूल भी चलाते हैं, जो 1881 में स्थापित सेंट स्टीफेंस कॉलेज की विरासत पर आधारित है। सेंट जॉन वोकेशनल सेंटर में वंचित युवाओं को एयर-कंडीशनिंग रिपेयर, मोटर मैकेनिक्स, कारपेंट्री, ब्यूटीशियन ट्रेनिंग और टेलरिंग जैसे ट्रेड सिखाए जाते हैं। ये कार्यक्रम गरीब बच्चों और युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने में मदद करते हैं। ऑर्डर की स्थापना से ही गरीबों की सेवा मुख्य फोकस रहा है, जिसमें स्ट्रीट चिल्ड्रन और वर्किंग चिल्ड्रन के लिए स्वास्थ्य और शिक्षा प्रोजेक्ट शामिल हैं।
ब्रदरहुड हाउस का योगदान दिल्ली के सामाजिक ताने-बाने में महत्वपूर्ण है। यह जगह न केवल धार्मिक है, बल्कि सामाजिक न्याय का केंद्र भी है। अविवाहित ब्रदर्स का समर्पण प्रेरणादायक है, जो बिना व्यक्तिगत लाभ के समाज की सेवा करते हैं। क्रिसमस जैसे पर्व उनके लिए सेवा का विस्तार हैं, जहां वे गरीब बच्चों की मुस्कान को अपना उपहार मानते हैं। हालांकि, विशिष्ट क्रिसमस वितरण की विस्तृत जानकारी सीमित है, लेकिन उनकी समग्र सेवा भावना से यह स्पष्ट है कि वे ऐसे अवसरों पर सक्रिय रहते हैं। यह हाउस एक शांत आश्रय है, जो शताब्दी से सेवा कर रहा है और भविष्य में भी जारी रहेगा।





