मुंबई (अनिल बेदाग) : भारत का ऊर्जा क्षेत्र आज एक ऐसे दौर में प्रवेश कर चुका है, जहां केवल बिजली उत्पादन नहीं, बल्कि ग्रिड की स्थिरता, ऊर्जा भंडारण और स्मार्ट वितरण भविष्य की दिशा तय करेंगे। नई दिल्ली में आयोजित एफआईसीसीआई इंडियन पावर एंड एनर्जी स्टोरेज कॉन्फ्रेंस 2025 में यही स्वर प्रमुखता से उभरा, जहां नीति-निर्माता, नियामक और उद्योग जगत एक साझा मंच पर दिखाई दिए।
500 गीगावॉट से अधिक स्थापित क्षमता के साथ भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा बिजली उत्पादक बन चुका है, लेकिन अब फोकस अधिशेष से आगे बढ़कर लचीलापन और भरोसेमंद आपूर्ति पर है। पावर मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव श्रीकांत नागुलपल्ली ने कहा, “भारत का ऊर्जा संक्रमण केवल जलवायु प्रतिबद्धताओं तक सीमित नहीं है, यह 2047 तक आर्थिक आत्मनिर्भरता का आधार भी है।”
वितरण क्षेत्र को सुधार की धुरी बताते हुए अतुल बाली ने स्पष्ट किया, “स्मार्ट मीटरिंग और स्मार्ट ग्रिड्स से बिलिंग दक्षता और उपभोक्ता सशक्तिकरण में ठोस सुधार दिख रहा है।” वहीं थर्मल सेक्टर की भूमिका पर प्रवीन गुप्ता का कहना था, “नवीकरणीय ऊर्जा के साथ थर्मल प्लांट्स का संतुलित और लचीला संचालन अनिवार्य है।” सम्मेलन में यह स्पष्ट सहमति बनी कि नीति सुधार, तकनीक और स्टोरेज आधारित समाधान मिलकर ही भारत को एक स्थिर, भविष्य-सक्षम और विकसित ऊर्जा राष्ट्र बना सकते हैं।





