फीफा ने अखिल भारतीय फुटबॉल संघ को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया

  • एआईएफएफ में तीसरे पक्ष के गैरजरूरी दखल को बताया फीफा कानूनों का उल्लंघन
  • सुप्रीम कोर्ट में आज होगी एआईएफएफ मामले की सुनवाई
  • भारत में फीफा अंडर-17 महिला विश्व कप नहीं हो सकेगा

सत्येन्द्र पाल सिंह

नई दिल्ली : अंतर्राष्ट्रीय फुटबॉल संघ (फीफा) ने अखिल भारतीय फुटबॉल संघ (एआईएफएफ) को सोमवार देर तत्काल प्रभाव से निलंबित करने का फैसला किया। दुनिया की सर्वोच्च फुटबॉल संस्था फीफा ने एआईएफएफ में तीसरे पक्ष के गैरजरूरी दखल को फीफा कानूनों का उल्लंघन बताते हुए यह फैसला लिया है। फीफा के एआईएफएफ के इस निलंबन के मायने ये कि अब भारत में 11 से 30 अक्टूबर,2022 तक होने वाला फीफा अंडर-17 महिला विश्व कप 2022 भारत में योजना के मुताबिक नहीं हो सकेगा। फीफा भी हालांकि अंडर -17 महिला विश्व कप की बाबत अपने अगले कदमों का फिलहाल आकलन कर रहा और जरूरत पडऩे पर इस मामले को परिषद के ब्यूरो को भेजेगा। फीफा भारत में खेल एवं युवा मामलों के भी बराबर संपर्क में है । फीफा अभी भी यह मानना है कि इस मामले का अभी के सकारात्मक नतीजे मिल सकते हैं।

फीफा ने कहा, ‘यह निलंबन तभी हटेगा जब एआईएफएफ कार्यकारी समिति की जगह प्रशासकों की समिति (सीओए) गठित करने का फैसला वापस लिया जाएगा। एआईएफएफ प्रशासन को इसके रोज के कामकाज पूरा नियंत्रण दे दिया जाएगा।’
फीफा का फैसला आने पर केंद्र सरकार तुरंत हरकत में आई और उसने सुप्रीम कोर्ट से एआईएफएफ मामले की जल्द से जल्द सुनवाई का अनुरोध किया। केंद्र सरकार की इस मामले की पैरवी कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मंगलवार सुबह ही जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और एएस बोपन्ना की पीठ से एआईएफएफ को फीफा द्वारा निलंबित किए जाने के मामले की जल्द से सुनवाई का अनुरोध किया। पीठ ने मेहता का अनुरोध और कहा कि इस पर बुधवार को सबसे पहले सुनवाई की कोशिश होगी।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर 2020 से चुनाव नहीं करवाने के कारण 18 मई को प्रफुल्ल पटेल को एआईएफएफ के अध्यक्ष पद से हटा दिया था। बाद में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एआर दवे की अध्यक्षता में तीन सदस्य प्रशासकों की समिति (सीओए) का गठन कर एआईएफएफ के कामकाज को चलाने के जिम्मा सौंपा था। इस समिति में दवे के अलावा और दो अन्य सदस्य हैं -पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरेशी और भारत के पूर्व कप्तान भास्कर गांगुली। सुप्रीम कोर्ट ने सीओए को साथ ही राष्टï्रीय खेल संहिता के मुताबिक बदलाव कर एआईएफएफ का संविधान बनाने और इसके चुनाव कराने का जिम्मा सौंपा था।

इससे पूर्व फीफा ने इसी महीने 5 अगस्त को एआईएफएफ को निलंबित करने और फीफा महिला अंडर-17 विश्व कप की मेजबानी भी भारत से छीनने की धमकी दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने तीन अगस्त को एआईएफएफ की कार्यकारी समिति को सीओए द्वारा प्रस्तावित कार्यक्रम के मुताबिक चुनाव कराने के निर्देश दिए थे। एआईएफएफ के चुनाव 28 अगस्त को होंगे और इसकी प्रक्रिया तो 13 अगस्त से शुरू हो गई थी। सीओए द्वारा तैयार समय सीमा सुप्रीम कोर्ट पहले ही मंजूरी दे चुका है।

दरअसल प्रफुल्ल पटेल ने दिसंबर 2020 में एआईएफएफ अध्यक्ष के रूप में अपने तीन कार्यकाल और 12 बरस पूरे कर लिए थे। खेल संहिता के मुताबिक भारत में कोई भी एक राष्ट्रीय खेल संघ के प्रमुख पर तीन कार्यकाल तक ही अधिकतम रह सकता है। यही कारण था कि प्रफुल्ल पटेल को अखिल भारतीय फुटबा़़ल संघ (एआईएफएफ) का अध्यक्ष पद मजबूरन इसलिए छोडऩा पड़ा था। माना यही जा रहा है कि यह प्रफुल्ल पटेल को बेहद नागवार गुजरा और वह फीफा में अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर एआईएफएफ को निलंबित कराने की कोशिश में जुट गए। जिस तरह केंद्र सरकार इस मामले में हरकत में आई है उससे प्रफुल्ल पटेल के ‘खेल’ अब सफल होने की उम्मीद कम है। फीफा के एआईएफएफ के निलंबन के कारण फिलहाल अब भारत किसी भी अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट में नहीं खेल पाएगा। साथ ही कोई विदेशी खिलाड़ी अपने मुल्क से भारत में किसी भी घरेलू टूर्नामेंट में खेलने नहीं आ पाएग। इससे भारत के अगले साल होने वाले एएफसी एशियन कप फुटबॉल टूर्नामेट में खेलने पर तलवार लटक गई है। उम्मीद है कि एआईएएफएफ के निलंबन का मामला जल्द सुलझ जाएगा और भारतीय फुटबॉलर और फुटबॉल प्रेमी राहत की सांस ले सकेंगे।