- एआईएफएफ के 85 बरस के इतिहास में कोई फुटबॉलर पहली बार अध्यक्ष
- कल्याण ने भूटिया को एकतरफा मुकाबले में 33-1 मतों से हराया
- एनए हैरिस होंगे उपाध्यक्ष, अजय कोषाध्यक्ष
सत्येन्द्र पाल सिंह
नई दिल्ली : अखिल भारतीय फुटबॉल संघ (एआईएफएफ) के नए अध्यक्ष पद के 45 बरस के दो पूर्व फुटबॉलरों कल्याण चौबे और भाईचुंग भूटिया के बीच मुकाबला था। उम्मीदों के मुताबिक कल्याण चौबे बृहस्पतिवार को भाईचुंग भूटिया को बेहद एकतरफा मुकाबले में 33-1 मतों के भारी अंतर से हराकर एआईएफएफ के नए अध्यक्ष चुने गए। कल्याण चौबे अब प्रफुल्ल पटेल की जगह एआईएफएफ के नए अध्यक्ष होंगे। एआईएफएफ के 85 बरस के इतिहास में यह पहला मौका है जब इसकी कमान किसी फुटबॉलर को मिली है। आईएएफएफ के अध्यक्ष के चुनाव से पहले ही कल्याण चौबे ने दिल्ली मेंं देश के विभिन्न राज्य फुटबॉल संघों के अध्यक्षों से मिले और तब ही उन्हें 27 से ज्यादा राज्य फुटबॉल संघ समर्थन देने को राजी हो गए थे। जब तक भूटिया ने इस एआईएफएफ के अध्यक्ष की होड़ में आए तब बहुत देर हो चुकी है। साफ है भूटिया दीवार पर लिखी इबारत को पढ़ नहीं पाए और इसीलिए उनकी दुर्गत हुई।
अखिल भारतीय फुटबॉल संघ में 35 स्थायी राज्य फुटबॉल संघों में से 34 को ही वोट देने का अधिकार था क्योंकि जम्मू-कश्मीर फुटबॉल संघ को मत करने का अधिकार नहीं था। ऐसे में एआईएफएफ की विभिन्न राज्य फुटबॉल संघों के नुमाइंदों की मतदाता सूची में 34 सदस्य ही थे। फुटबॉल के मैदान पर भारत के लिए बेशक भाईचुंग भूटिया का डंका बजता रहा लेकिन अखिल भारतीय फुटबॉल संघ को चलाने और इसकी चौकसी का जिम्मा कल्याण चौबे को मिल गया। कर्नाटक फुटबॉल संघ (केएफए) के अध्यक्ष एनए हैरिस राजस्थान फुटबॉल संघ के मानवेंद्र सिंह को 29-5 से हराकर नए उपाध्यक्ष चुने गए। वहीं अरुणाचल प्रदेश के किपा अजय आंध्र प्रदेश के गोपालकृष्ण राजू को 32-1 से हराकर को 32-1 से कोषाध्यक्ष चुने गए। कोषाध्यक्ष पद के लिए हुए चुनाव में एक मत अमान्य करार दिया गया। एआईएफएफ की कार्यकारिणी के नामांकन भरने वाले सभी 14 निर्विरोध चुन लिए गए। भाईचुंग भूटिया एआईएफएफ की कार्यकारिणी में फुटबॉलरों की तीन नुमाइंदों के रूप में अपने पुराने साथी आईएम विजयन और क्लाइमैक्स लॉरेंस के साथ जरूर है। ये तीनों एआईएफएफ की कार्यकारिणी 14 निर्विरोध चुन गए सदस्य के अलावा हैं।
पूर्व अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल को दिसंबर, 2020 में होने वाले एआईएफएफ के चुनाव न कराने पर पद से हटा दिया गया था। इसके बाद एआईएफएफ की प्रशासकों की समिति (सीओए) गठित की गई। इसे अंतराïष्टï्रीय फुटबॉल संघ(फीफा) ने तीसरे पक्ष का अनुचित हस्तक्षेप बता भारत को निलंबित कर दिया। इसके बाद सर्वोच्च न्यायालय ने सीओए ने हटा दिया।
भाईचुंग भूटिया ने कहा, ‘मैं भविष्य में भारतीय फुटबॉल की बेहतरी के लिए काम करता रहूंगा। मैं कल्याण चौबे को अखिल भारतीय फुटबॉल संघ(एआईएफएफ) का अध्यक्ष चुने जाने पर बधाई देता हूं। मुझे उम्मीद है कल्याण भारतीय फुटबॉल को आगे ले जाएंगे। मैं देश भर के फुटबॉल प्रेमियों का उनके समर्थन के आभार जताता हूं। मैं चुनाव से पहले भी फुटबॉल की बेहतरी के लिए काम करता रहा हूं और आगे भी करता रहूंगा। हां मैं अभी भी एआईएफएफ की कार्यकारी समिति में हूं।’
पूर्व फुटबॉलर कल्याण चौबे और भाईचुंग दोनो ही अपनी जवानी में कोलकोता के दो दिग्गज फुटबॉल क्लबों मोहन बागान और ईस्ट बंगाल के लिए साथ साथ खेले। भाईचुंग भूटिया बहुत देर से एआईएफएफ के अध्यक्ष की दौड़ में शामिल हुए। भाईचुंग भूटिया ने जब एआईएफएफ के नामांकन भरने का फैसला किया तो उन्हें अपने गृह राज्य यानी सिक्किम फुटबॉल संघ तक का समर्थन नहीं मिला। भूटिया के भारतीय फुटबॉल संघ के अध्यक्ष पद के नामांकन के लिए प्रस्तावक ढूढऩे तक के लिए पापड़ बेलने पड़ गए। भूटिया के एआईएफएफ अध्यक्ष पद के नामांकन में उनके नाम का प्रस्ताव गोपालकृष्ण राजू ने किया और अनुमोदन मानवेंद्र ने किया था। कल्याण चौबे पश्चिम बंगाल में कृष्णानगर सीट से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के टिकट पर सांसद का चुनाव लड़ चुके लेकिन तब वह इसमें जीतने में कामयाब नहीं रहे थे। कल्याण चौबे को ऐसे में एआईएफएफ अध्यक्ष पद के लि, उन राज्य फुटबॉल संघों का समर्थन मिलना तय ही था,जहां भाजपा की अपनी सरकार है या फिर किसी अन्य दल के समर्थन से वह राज्य में सत्ता संभाले हैं।