हमारे पास खुद को महिला एफआईएच नेशंस कप के लिए तैयार करने का पर्याप्त वक्त : नवजोत कौर

  • टीम का वापसी कर राष्ट्रमंडल खेलों में कांसा जीतना वाकई प्रेरणादायक
  • कोरोना से पीडि़त होने पर राष्टï्रमंडल खेलों में न खेल पाना निराशाजनक

सत्येन्द्र पाल सिंह

नई दिल्ली : अनुभवी नियमित स्ट्राइकर नवजोत कौर भारत के लिए 200 से ज्यादा अंतर्राष्ट्रीय हॉकी मैच खेल उसकी हाल ही की कई कामयाबियों की गवाह रही हैं। भारत के लिए करीब एक दशक पहले अंतर्राष्ट्रीय हॉकी में अपने करियर का आगाज करने वाली 27 बरस की नवजोत कौर कोरोना की चपेट में आने के कारण हाल ही में बर्मिंघम में सम्पन्न राष्ट्रमंडल खेलों में शिरकत करने से चूक गई। वह इन खेलों में भारत द्वारा अपना अभियान शुरू करने से पहले ही स्वदेश वापस लौट आई थी।इससे नवजोत का लगातार भारतीय महिला हॉकी टीम के लिए लगातार तीसरे राष्ट्रमंडल खेलों में शिरकत करने का सपना अधूरा रह गया।
अब नवजोत कौर फिट होकर साई, बेंगलुरू में राष्ट्रीय महिला हॉकी शिविर में लौट चुकी हैं और फिर अपना जलवा बिखेरने को बेताब हैं। नवजोत कौर कहती हैं, ‘ हमारे पास खुद को दिसंबर , 2022 में एफआईएच महिला नेशंस कप के लिए तैयार करने के लिए पर्याप्त वक्त है, जिससे कि हम एफआईएच महिला हॉकी प्रो लीग के अगले संस्करण के लिए क्वॉलिफाई करने का मौका मिलेगा। मैंने अपने परिवार के साथ घर में बैठकर भारत के सभी मैच जीते। अपनी टीम के ऑस्ट्रेलिया से बेहद करीबी मैच में हारने से दिल टूट गया। हमारी टीम का वापसी कर राष्टï्रमंडल खेलों में कांसा जीतना वाकई प्रेरणादायक था। हमारा एफआईएच महिला हॉकी विश्व कप में अभियान निराशाजनक रहा। विश्व कप में हम खासा बढिय़ा खेलीं लेकिन नतीजे हमारे हक में नहीं रहे। हमारी टीम ने अपने यूरोप दौरे का समापन जिस तरह शानदार वापसी कर राष्टï्रमंडल खेलों में कांसा जीतने के साथ किया उससे मुझे अपनी टीम पर फख्र है।’

वह कहती हैं, ‘कोरोना से पीडि़त होने के कारण भारत द्वारा बर्मिंघम में राष्टï्रमंडल खेलों में अपना अभियान शुरू करने से पहले ही मेरे लिए स्वदेश वापस लौटना और इनमें न खेल खासा निराशाजनक रहा। मेरे लिए खुद निजी तौर पर यह स्वीकार करना में इन खेलों में शिरकत नहीं कर पाउंगी बहुत मुश्किल था। इससे पहले मैंं कभी भी भारत के लिए किसी बड़े टूर्नामेंट से बाहर नहीं रही थी और मेरे करियर में बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेल पहला ऐसा मौका था जब मुझे कोरोना की चपेट में आने के कारण बाहर बैठना पड़ा। जब हम नॉटिंघम में प्रैक्टिस कर रहे थे और राष्टï्रमंडल खेलों के लिए खेल गांव में पहुंचे में नहीं थे तब रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव पाई गई। मुझमे कोरोना के कोई बड़े लक्षण नहीं थे। मुझे तब यह आस थी जब तब हमारी टीम राष्ट्रमंडल खेलों के लिए खेल गांव में पहुंचेगी तब तक मैं ठीक होकर टीम से जुड़ जाउंगी। मेरा रोज टेस्ट हुआ। बदकिस्मती से मेरा कोरोना टेस्ट पॉजिटिव आता रहा। इस दौरान हालांकि टीम के सपोर्ट स्टाफ ने मेरा हौसला बनाए रखा । हमारी टीम कोच यॉकी शॉपमैन, सपोर्ट स्टाफ के सदस्य और हमारी भारतीय टीम की मेरी सभी साथी मेरे संपर्क में रही। मैं जब तक एकांतवास में रही सभी मेरी बाबत पूछते रहे। मैं खुद को खुशकिस्मत मानती हूं कि मैं शानदार भारतीय महिला हॉकी टीम का हिस्सा हूं। मेरे मुश्किल समय में सभी का समर्थन मिला। सचेत रहने से भी मुझे स्थिति से निपटने और धैर्य बनाए रखने में मदद मिली।’