ईडीआईआई ने की 1000 दिनों में देश के 100 जिलों में महिलाओं के नेतृत्व वाले 10,000 हरित कारोबारों को खड़ा करने के लिए कॉर्पोरेट्स के साथ साझेदारी

गोपेन्द्र नाथ भट्ट

नई दिल्ली : भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त भारतीय उद्यमिता विकास संस्थान सेंटर ऑफ एक्सीलैंस एंटरप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया,अहमदाबाद (ईडीआईआई) ने घोषणा की है कि उसने 1000 दिनों में देश के 100 जिलों में महिलाओं के नेतृत्व वाले 10,000 हरित कारोबारों को खड़ा करने के लिए कॉर्पोरेट्स के साथ साझेदारी की है।

ईडीआईआई,अहमदाबाद की ओर से नई दिल्ली में इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित एक सम्मेलन में यह घोषणा ईडीआईआई के डायरेक्टर जनरल डॉ. सुनील शुक्ला ने की । यह सम्मेलन ‘टैक्नोलॉजी-एनेबल्ड वीमैन लीड ग्रीन बिजनेसेज’ विषय पर आयोजित किया गया था।

सम्मेलन के दौरान दिन भर के सत्र में महिलाओं के नेतृत्व वाले ग्रीन एंटरप्राइजेज में अपनाए जाने वाले नवीनतम तौर-तरीकों पर विचार-विमर्श किया गया। साथ ही, महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए सामूहिक कार्रवाई करने और हरित कारोबारों को आगे बढ़ाने के लिए कम लागत वाली टैक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने पर भी चर्चा की गई। इस सत्र में कॉर्पोरेट जगत से जुड़े सीएसआर हैड, पीएसयू, मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारियों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

ईडीआईआई के डायरेक्टर जनरल डॉ. सुनील शुक्ला ने कहा, ईडीआईआई कारीगरों, बुनकरों, महिलाओं के स्टार्ट-अप और बेरोजगारों को उद्यमशीलता और कौशल विकास के प्रशिक्षण की सफलतापूर्वक पेशकश कर रहा है, जिससे उनके लिए स्थायी आजीविका विकल्प हो सके। हमें इस बात की खुशी है कि कॉर्पोरेट्स ने उद्यमशीलता की शक्ति का समर्थन किया। उनके सहयोग से हम उल्लेखनीय और बेहतर परिणामों के साथ प्रगति के पथ पर आगे बढ़ना जारी रखेंगे।’’
उन्होंने बताया कि ईडीआईआई उद्यमिता शिक्षा और स्किलिंग के क्षेत्र में अग्रणी संगठन है जोकि समुदायों के समावेशी विकास को सुनिश्चित करने वाली अनेक विकासात्मक परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए सरकारी मंत्रालयों और विभागों के सहयोग से काम करता है। सामाजिक उद्यमिता और सीएसआर हमेशा संस्थान के लिए महत्वपूर्ण फोकस क्षेत्र बने हुए हैं।

ग्रामीण उद्यमिता और प्रौद्योगिकी के बीच अंतर्संबंध की चर्चा करते हुए ईडीआईआई के डायरेक्टर जनरल डॉ. सुनील शुक्ला ने कहा, ‘‘ग्रामीण उद्यमिता में लोगों को उचित कौशल प्रदान करते हुए भारतीय अर्थव्यवस्था के 70 प्रतिशत से अधिक हिस्से को सशक्त बनाने की क्षमता है। लक्षित समुदायों के सामने पेश आने वाली समस्याओं को कम करने के लिए टैक्नोलॉजी हमेशा एक प्रमुख भूमिका में होगी। इस क्षेत्र में उद्यमों को बढ़ावा देने के लिए, ग्रामीण समुदाय समूहों को विभिन्न कम लागत वाली प्रौद्योगिकियों के बारे में पता होना चाहिए जो उद्यम निर्माण के लिए अनुकूल हैं। इस तरह उनकी आर्थिक स्थिति और बेहतर हो सकेगी।’’

दिलचस्प बात यह है कि एमएसडीपी प्रोजेक्ट के तहत ईडीआईआई ने कर्नाटक में ग्रामीण महिलाओं को सौर-आधारित विद्युत वस्तुओं के निर्माण के लिए प्रशिक्षित किया है। ग्रामीण महिला उद्यमियों को अपने व्यवसायों को विकसित करने में मदद करने के लिए ईडीआईआई ने विभिन्न ऑनलाइन और सामाजिक प्लेटफार्मों पर खरीदारों के साथ बेचने और जुड़ने के लिए डिजिटल प्रशिक्षण प्रदान किया।

उन्होंने बताया कि पूर्व में ईडीआईआई ने एक्सेंचर, फेसबुक, बायर फाउंडेशन, एचएसबीसी बैंक, वॉलमार्ट, एचएएल, एचपी, आईटीसी, येस बैंक, ओएनजीसी और अमेजॉन सहित अनेक प्रसिद्ध कॉर्पोरेट्स के साथ हाथ मिलाया है। इन सहयोगात्मक प्रयासों के माध्यम से ईडीआईआई ने अब तक कई परियोजनाओं के माध्यम से 741 गांवों, 138 जिलों और भारत के 23 राज्यों में 68,134 लोगों के जीवन पर सकारात्मक असर डाला है।

इस मौके पर ईडीआईआई के प्रोजेक्ट विभाग (कॉर्पोरेट्स) के डायरेक्टर डॉ. रमन गुजराल ने न्यूनतम पर्यावरणीय नुकसान के साथ बाजार में हाई-एंड वैल्यू एडेड प्रोडक्ट्स और सर्विसेज की बढ़ती आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, ‘‘कारोबार में सस्टेनेबिलिटी की आवश्यकता बड़े कॉर्पोरेट्स और छोटे उद्यमों दोनों पर लागू होती है। इसे ध्यान में रखते हुए, हमें इस बात पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है कि आर्थिक विकास के लिए हरित कारोबारों को बढ़ावा देने और पर्यावरण को बचाने के लिए किन रणनीतियों को विकसित किया जा सकता है। इस दिशा में हमें ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में नए नवाचारों और पर्यावरण के अनुकूल प्रथाओं को अपनाने की जरूरत है।’’

उन्होंने बताया कि ईडीआईआई ने प्रसिद्ध कॉर्पाेरेट्स के साथ साझेदारी में माइक्रो स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम (एमएसडीपी) के तहत अनेक इनोवेटिव हरित करोबारों जैसे कि अर्बन टैरेस गार्डनिंग किट, बांस शिल्प, मशरूम की खेती, जैविक उर्वरक, मधुमक्खी पालन और पत्तियों से बने बायोडिग्रेडेबल प्लेट्स,आदि को विकसित किया है।