नरेंद्र तिवारी ‘पत्रकार’
वर्ष 2022 का अगस्त माह देश जब अपनी आजादी की वर्षगांठ बना रहा था। आजादी के अमृत महोत्सव में घर-घर तिरंगा अभियान चलाकर देश की सरकार नागरिकों में देश के प्रति समर्पण का भाव पैदा करने के प्रयास में जुटी दिखाई दे रही थी। आजादी की वर्षगाँठ पर देश के नागरिक उत्साहित, उल्लासित ओर राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत नजर आ रहें थै। इसी अगस्त माह में दो घटनाक्रम आजादी के अमृतमहोत्सव बना रहे देश के नागरिकों के जहन में गम्भीर सवाल पैदा कर गए। पहली घटना मप्र के धार जिले की कारम नदी पर बने तकरीबन 305 करोड़ रु के कारम बांध में दरार आने से आसपास के 18 से अधिक गांव के रहवासियों को भय के माहौल में जीने को मजबूर होना पड़ा। यहीं नहीं इन 18 गांवों को खाली करा लिया गया। गांववासियों को राहत शिविर में रहने को मजबूर होना पड़ा। बांध में दरार बढ़ती ही जा रहीं थी, बरसात भी रुकने का नाम नहीं ले रही थी। गांववासी अपने खेतों में खड़ी फसल के खराब होने की आशंका में दुख से भरे हुए थै। 11 अगस्त को बांध में लीकेज होने लगा था, जो पल-पल बढ़ता ही जा रहा था। बांध टूटने की आशंका में सिर्फ गांव वाले ही नहीं आसपास के शहर के लोग भी भयभीत नजर आ रहें थै। आसमान से आफत लगातार बरस रही थी। इधर भ्रष्टाचार का बांध इस आफत को ओर अधिक बढ़ा रहा था। सरकार द्वारा सेना और संसाधनों की मदद से बांध टूटने से बचाने के लिए बांध के साइड से चैनल बनाकर बांध में जमा जल को बहाकर बांध टूटने से होने वाले नुकसान को कम जरूर कर दिया हो, किन्तु बांध में दरार का आना बांध टूटने की स्थिति का निर्मित होना बांध निर्माण में व्याप्त लापरवाही को दर्शाता हैं। सरकार ने निर्माण से जुड़ी दो कम्पनियों को ब्लैक लिस्टेड करने, निर्माण से जुड़े सिंचाई विभाग के अधिकारियों पर निलंबन की कार्यवाहीं करने की औपचारिकता को भी पूरा कर लिया हैं। इन कदमों से सरकार अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकती। कारम बांध लापरवाहीं की घटना मध्यप्रदेश की सरकार और ईमानदार से दिखने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगातें हैं। विपक्ष प्रदेश की सरकार के खिलाफ हमलावर है। करोड़ो की लागत से निर्माणाधीन बांध के निर्माण में लापरवाही हमारी सिस्टम में व्याप्त बेईमानी ओर लालफीता शाही का उदाहरण हैं। इसी अगस्त माह की 28 तारीख को यूपी के नोएडा एमराल्ड सोसाइटी परिसर में नियमों का उल्लंघन कर बनाए गए ट्विन टावर को ढहाने की कार्यवाहीं को देश ही नहीं दुनियां ने देखा कुतुबमीनार से भी ऊंची भ्रष्टाचार की इस इमारत को सुप्रीम कोर्ट के आदेश से ध्वस्त किया गया। जिसका कारण इस इमारत को नियमों के विरुद्ध बनाए जाना है। इमारत को करोड़ो रुपया खर्च कर ढहाया गया। 28 अगस्त की कार्यवाही से पूर्व टीवीन टावर के आसपास स्थित इमारतों को खाली कराया गया। नियमो का उल्लंघन कर निर्मित टीवीन टावर सुप्रीम कोर्ट के आदेश से बारूद लगाकर ढहा दिया गया। किन्तु यह टावर हमारे सिस्टम को झंकझोर गया। जिसने नियमों के विरुद्ध इतनी बड़ी इमारत के निर्माण को होने दिया। मप्र में 305 करोड़ रु की लागत का बांध जिसके निर्माण में हुई लापरवाही ओर यूपी के नोयडा में 900 करोड़ रुपयों की लागत रखने वाले ट्विन टावर का नियम के विरुद्ध निर्माण ये दोनों घटनाक्रम अगस्त माह में घटित हुए। इन दोनों घटनाक्रमों में हमारे समाज, सिस्टम ओर आम व्यवहार में समाहित भ्रष्ट आचरण की दुर्गंध आती हैं। आजादी के अमृत महोत्सव में घर-घर तिरंगा अभियान चलाकर देश की सरकार राष्ट्रीय भावनाओं के प्रसार-प्रचार की कोशिश कर रहीं हैं। दूसरी ओर कारम बांध ओर टीवीन टावर जैसे घटनाक्रमों से प्रतीत होता हैं कि भ्रष्ट्राचार की सडन हमारी व्यवस्था में कितने गहरे तक लगी हुई हैं। यह सबसे अधिक हमारे सरकारी तंत्र में व्याप्त हैं। यह दोनों घटनाक्रम सिस्टम में व्याप्त भ्रष्टाचार के उदाहरण है। यह घटनाक्रम समाज को मुंह चिढ़ाते दिख रहे हैं। नेताओं और सरकारी अफसरों के घर भ्रष्टाचार की काली कमाई से भरें हुए हैं। सरकारी छापों में आय से अधिक संपत्ति अफसरों और नेताओं के घरों में प्रतिदिन मिल रहीं हैं। इसके बावजूद भी नेताओं और अफसरों की यह जुगलबंदी आजादी के 75 वर्षों के बाद भी जारी है। कभी-कभी लगता है, यह जुगलबंदी अब ओर गहरी हो गयी हैं। नेताओ ओर अफसरों के चेहरे बदल रहें हैं। बेईमानी के ग्राफ में कोई परिवर्तन होता नहीं दिखाई दे रहा हैं। इनकी कार्यप्रणाली में किसी भी प्रकार का कोई सुधार नही दिखाई देता है। देश की तरक्की, विकास के सपनो को भ्रष्ट्र आचरण रूपी दीपक ने खोखला कर दिया हैं। नेताओं के मंचो ओर भाषणों में नजर आता विकास एक भ्रम मात्र हैं। देश का आम नागरिक नेताओं के इस भ्रमजाल में फंसकर उन्हें ईमानदार नेतृत्व मानने की भूल कर बैठता हैं। बांध से बहता भ्रष्टाचार का पानी और बारूदों से ढहाया गया ट्विन टावर आजादी के अमृतकाल में देश के शासकों ओर आमजनता के लिए गहन चिंतन का विषय हैं। एक ओर देश की आबादी का बहुत बड़ा हिस्सा दो जून की रोटी और सर के ऊपर छत से वंचित हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसी समस्याओं से एक बड़ी आबादी परेशान चिन्तित ओर बेहाल हैं। भ्रष्टाचार रूपी राक्षक आमजन को मिलने वाली सुविधाओं पर तो डाका डाल ही रहा हैं। यह देश का बड़ा नुकसान कर रहा हैं। भारत को कमजोर कर रहा है। इसके रहते भारत का विश्वशक्ति बनने का सपना कभी पूरा नहीं हो सकता है। भ्रष्ट आचरण के विरुद्ध दृढ़, कठोर ओर सख्त कदम उठाने की आवश्यकता हैं। फिलहाल तो किसी भी सरकारों में भ्रष्टाचार के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ने की चिंता नजर नहीं आती हैं। इस लड़ाई को लड़ने के लिए राजनीति में ईमानदार और चरित्र वान नेताओं की आवश्यकता हैं। चुनावी प्रक्रिया में धन के दुरुपयोग को रोकने की जरूरत हैं। वर्तमान राजनैतिक व्यवस्था में दौलत का बोलबाला हैं। राजनीति करने के लिए आपके पास अपार संपत्ति होना जरूरी हैं। राजनीति में धन के दुरुपयोग को रोक कर ही चरित्रवान ओर ईमानदार नेताओं का निर्माण किया जा सकता हैं। ईमानदार आचरण की भारत राष्ट्र के विकास, तरक्की ओर विश्वशक्ति बनने के लिए बहुत जरूरत हैं। मिसाइल मेन ओर पूर्व राष्ट्रपति अबुल कलाम ने कहा था ‘ युवाओं का दायित्व है, कि वह भ्रष्टाचार का पुरजोर विरोध करें।’ शायद युवाओं का कठोर विरोध ही भारत में भ्रष्ट आचरण को सीमित कर सकें। भ्रष्टाचार से मुक्ति भारत की प्राथमिकताओं में शामिल होना चाहिए।