‘राहुल गांधी’ की हुंकार करेगी कांग्रेस का बेड़ा पार ?

दीपक कुमार त्यागी

हमारे प्यारे देश में चाहे किसी भी राजनीतिक दल की सरकार केन्द्र की सत्ता में आसीन हो, उसको निरंकुश होने से रोक कर रखने के लिए भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था में हर हाल में विपक्षी दलों का हमेशा मजबूत रहना देश व समाज के हित के लिए बेहद आवश्यक है। क्योंकि विपक्ष के दवाब व वोटरों के बीच मजबूत होने के भय के चलते ही सरकार आम जनमानस के हितों की बात हमेशा करती रहती हैं। वैसे भी मजबूत विपक्ष के चलते ही सत्ता पक्ष कभी भी सत्ता के मद में चूर होकर के भूल कर भी देश के आम जनमानस के अधिकारों की अनदेखी करने का दुस्साहस नहीं कर पाता है। लेकिन आज देश में जो हालात नज़र आ रहे हैं, उससे यह बिल्कुल स्पष्ट है कि देश का हर क्षेत्र कमरतोड़ मंहगाई से ग्रस्त हैं, आम जनमानस की रोजीरोटी पर जबरदस्त संकट के बादल लंबे समय से मंडरा रहे हैं। लेकिन ऐसी चिंताजनक हालात में भी देश के विपक्षी दलों के राजनेता ना जाने क्यों सत्ता पक्ष के सामने कमजोर पड़ते हुए नजर आ रहे हैं। जनता परेशानी झेलने के लिए तैयार है, लेकिन विपक्षी दलों को अवसर देने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं है। क्योंकि आयेदिन कोई ना कोई विपक्षी दल का राजनेता सीबीआई व ईडी के चंगुल में फंसकर चुपचाप चुप्पी लगाता हुआ देशवासियों को स्पष्ट नज़र आता है, देश में इस तरह की हालात को देखकर आम जनमानस को भी लगता है कि देश के अधिकांश राजनेताओं के भ्रष्टाचार के चलते कांच के घर हैं। आम जनमानस का मानना है कि कहीं ना कहीं देश में समय-समय पर भ्रष्टाचार में कुछ विपक्षी दलों के राजनेताओं की संलिप्ता के चलते ही, विपक्षी दलों के बहुत सारे राजनेता ईड़ी व सीबीआई के आगे नतमस्तक हैं। आज देश में विपक्षी दलों की राजनीति का आलम यह हो गया है कि विपक्ष के चंद राजनेताओं को छोड़कर के उनका कोई भी राजनेता अब सत्ताधारी दल के सामने खुलकर बोलने के लिए भी तैयार नहीं हैं। हालांकि इस बेहद चिंताजनक राजनीतिक स्थिति से विपक्षी दलों के कुछ राजनेता यह कह कर अपना पल्ला छुड़ाते नज़र आते हैं कि सरकार निरंकुश है, लेकिन वास्तव में इसके पीछे सभी के व्यक्तिगत कारण ज्यादा हैं।

आज धरातल की राजनीति का निष्पक्ष आंकलन करें तो देश की राजनीति में प्रमुख विपक्षी दल का स्थान रखने वाली कांग्रेस पार्टी के भी अधिकांश दिग्गज राजनेता भी चुप्पी के इस दौर से ही गुजर रहे हैं, आलम यह नज़र आता है कि राहुल गांधी के लाख प्रयास के बाद भी आज बहुत सारे कांग्रेसी खुलकर सत्ता पक्ष भाजपा के सामने बोलने के लिए तैयार नहीं हैं, इनमें से बहुत सारे राजनेताओं ने तो एक-एक करके कांग्रेस पार्टी से किनारा करने का कार्य भी शुरू कर रखा है, इसके चलते कांग्रेस पार्टी बहुत तेजी से आम जनमानस के बीच अब दिन प्रतिदिन कमजोर होती जा रही है। आज कांग्रेस पार्टी की स्थिति यह हो गयी है कि अपने दिग्गज राजनेता राहुल गांधी की निरंतर लाख कोशिशों के बाद भी कांग्रेस को जनता की अदालत में निरंतर शिख्सत का सामना करना पड़ रहा है।

“हालांकि कांग्रेस पार्टी को एकबार फिर से एकजुट करके खड़ा करने के लिए राहुल गांधी पूरे जोश के साथ सत्ता पक्ष पर जबरदस्त ढंग से राजनीतिक हमला करके आम जनमानस की ज्वलंत समस्याओं को उठाने में दिन-रात एक करके लगें हुए हैं।”

जिसकी एक बानगी राहुल गांधी ने 4 सितंबर 2022 रविवार को दिल्ली के ऐतिहासिक रामलीला मैदान में ‘महंगाई के खिलाफ’ कांग्रेस पार्टी की हल्ला बोल रैली में केन्द्र की भाजपा सरकार पर जबरदस्त हमला करके कांग्रेस के आम कार्यकर्ताओं व देशवासियों को दिखाने का कार्य किया है और जनता को एक बड़ा संदेश दिया है।

महंगाई के खिलाफ कांग्रेस की हल्ला बोल रैली में उमड़े अपार जनसैलाब के बीच बोलते हुए
राहुल गांधी ने मोदी सरकार के खिलाफ जबरदस्त हुंकार भरते हुए कहा था कि “देश की हालत सबके सामने है, भाजपा के राज में देश में नफ़रत बढ़ती जा रही है। महंगाई, बेरोजगारी का डर बढ़ता जा रहा है।”

राहुल गांधी ने अपने संबोधन में कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं में जोश भरने व भाजपा सरकार से परेशान लोगों को आकर्षित करने के लिए संघ व भाजपा को सीधे अपने निशाने पर लेने का कार्य किया था, उन्होंने कहा था कि “आरएसएस-भाजपा देश को बांटकर राज कर रहे हैं, बीते 8 साल में किसी और को कोई फायदा नहीं हुआ।”

अपने संबोधन में राहुल गांधी ने देश की मीडिया को भी आईना दिखाते हुए कहा था कि “मीडिया देश के लोगों को डराती है, नफरत और डर का फायदा देश के दो उद्योगपति उठा रहे हैं। तेल, एयरपोर्ट, मोबाइल का पूरा सेक्टर इन्हीं दोनों उद्योगपतियों को दिया जा रहा है। चाहे एयरपोर्ट हो या चाहे सेलफोन या तेल हो, फायदा इन्ही दो उद्योगपतियों को जा रहा है।”

राहुल गांधी ने देश में हर ओर व्याप्त मंहगाई के लिए मोदी सरकार पर जबरदस्त हमला बोलते हुए कहा था कि “आम आदमी मुश्किल और दर्द में है। पेट्रोल, गैस, तेल, दूध के दाम आसमान छू रहे हैं। कांग्रेस राज में इतनी महंगाई नहीं थी। विपक्ष को संसद में बोलने नहीं दिया जाता है।”

*”रैली में राहुल गांधी ने देश की जनता से कहा था कि “देश की जनता को हर हाल में जागना होगा, देश की आत्मा को बचाने का काम करना होगा, आज एक देश में दो हिस्सों में बंट गया है, एक देश गरीबों का और दूसरा अरबपतियों का, ये देश केवल उद्योगपतियों का नहीं, कांग्रेस की मनसा देश को एक बनाना है।”*

लेकिन अब देखने वाली बात यह है कि कांग्रेस में राष्ट्रीय अध्यक्ष की चुनाव प्रक्रिया चल रही, क्या वर्ष 2019 में राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद से अपने एक पूर्णकालिक अध्यक्ष का बेसब्री से इंतजार कर रही कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष की तलाश एक बार फिर राहुल गांधी पर ही आकर ही खत्म होगी, वैसे आज जो स्थिति कांग्रेस की चल रही है उस दौर में अध्यक्ष अगर राहुल गांधी के अलावा कोई और बन भी जाता है तो उसको बिना राहुल गांधी के पार्टी को चलाना बेहद मुश्किल होगा, क्योंकि अब कांग्रेस के पास गांधी परिवार के अलावा ऐसा कोई भी करिश्माई व्यक्तित्व वाला राजनेता नहीं बचा है जो कि बिखरती हुई कांग्रेस को अब एकजुट करके रख सकता हो। वैसे भी कांग्रेस के कार्यकर्ता व देश की आम जनता लगातार केन्द्र की भाजपा सरकार से आम जनमानस के मुद्दों पर राहुल गांधी को सड़क से लेकर के संसद तक बेहद मुखर होकर के जूझते हुए लगातार देख रही है, कांग्रेस से दिल से जुड़े आम कार्यकर्ताओं को अब भी उम्मीद है कि देश की जनता के बीच देर-सबेर राहुल गांधी अपनी मजबूत पकड़ बनाने में अवश्य सफल होंगे। वहीं कांग्रेस के कुछ कार्यकर्ताओं व जनता के बीच में यह सुगबुगाहट भी है कि आज के दौर में कांग्रेस पार्टी में जो राजनेताओं की नयी जमात पैदा हो रही है, उनमें से अधिकांश लोगों का जनता के बीच जरा भी अस्तित्व नहीं है, तो इन लोगों के दम पर कांग्रेस कैसे खड़ी होगी, हालात यह हैं कि उनमें से अधिकतर तथाकथित राजनेताओं की जमात को ना तो कांग्रेस का आम कार्यकर्ता दिल से पसंद करता है और जनता के बीच तो बेचारों की कोई हस्ती है ही नहीं। लेकिन सबसे बड़ी अहम बात यह है कि यह स्ववित्त पोषित बेचारे राजनेता किसी भी स्तर पर पूर्ण निष्ठा व ईमानदारी से कांग्रेस पार्टी का कार्य ना करके केवल एसी कमरों में बैठकर अपनी व्यक्तिगत छवि बनाने में लगें हुए हैं, इनमें से अधिकांश राजनेता कम्प्यूटर-कम्प्यूटर खेलकर ही कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को पिछले एक दशक से धोखा देने में व्यस्त हैं और आज कांग्रेस के जो बुरे दिन चल रहे हैं उसके लिए भी इन सभी तथाकथित स्वयंभू राजनेताओं की मंडली जिम्मेदार है, ना कि राहुल गांधी जिम्मेदार हैं। लेकिन अब यह स्पष्ट है कि भविष्य में राहुल गांधी की हुंकार ही कर सकती है कांग्रेस का चुनावी रणभूमि में बेड़ा पार, वही आज कांग्रेस के सबसे ताकतवर ब्रह्मास्त्र शेष हैं, बाकी अधिकांश तो सफेद कुर्ता पजामा पहनकर कांग्रेस के कार्यकर्ताओं पर खाली पीली रौब ही गांठ रहे हैं, वैसे भी धरातल पर देखा जाये तो इन सभी राजनेताओं की जमात में से अधिकांश तो जनता की अदालत में फुस्स पटाका ही है। वहीं कुछ लोग कहते हैं कि कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष गांधी परिवार से बाहर का होना चाहिए, लेकिन धरातल का कड़वा सच यह है कि अगर आज के समय में कांग्रेस में ऐसा निर्णय किसी भी वजह या दवाब से हो गया तो कांग्रेस पार्टी को पूरी तरह से बिखरने में ज्यादा समय नहीं लगेगा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को कांग्रेस मुक्त भारत के अपने सपने को पूरा करने में फिर ज्यादा वक्त नहीं लगेगा। हालांकि यह भी एक कटु सत्य है कि आज कांग्रेस प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रहारों से मूर्छित होकर पड़ी है, लेकिन इस हालत से कांग्रेस पार्टी को बाहर लाने के लिए राहुल गांधी की अध्यक्ष के रूप में तत्काल ताजपोशी करके एक बेहद कारगर संजीवनी बूटी की जरूरत है‌‌, तब ही भविष्य में कांग्रेस का अस्तित्व सुरक्षित रहेगा।