नीति गोपेंद्र भट्ट
नई दिल्ली । देश और प्रदेश की राजनीति में अगले कुछ महिनें बहुत ही महत्वपूर्ण होने वाले है।भरोसेमंद सूत्रोंकी माने तो दस सितम्बर से शुरू हुए श्राद्ध पक्ष के बाद में मोदी मंत्रिपरिषद का विस्तार और फेरबदल हो सकताहै। आठ सितम्बर को प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी महत्वाकांक्षी सेंट्रल विस्टा ऐवेन्यू परियोजना के प्रथम चरणका लोकार्पण किया और राजपथ का नाम बदल कर कर्तव्य पथ किया गया ।आज़ादी के अमृत वर्ष में मोदीगुलामी की निशानी को मिटाने के अपने लक्ष्य को साध रहें है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछलें वर्ष जुलाई में अपने मंत्रीमंडल का बड़ा विस्तार और उसमें भारी फेरबदल करसभी को चौंकाया था।अब इसे एक वर्ष से अधिक समय हो गया हैं।राज्यसभा टिकट नही मिलने से कुछेकमंत्रियों ने अपने इस्तीफ़े भी दिए हैं। इससे मंत्रिपरिषद में कुछ स्थान रिक्त हुए है। अभी भी कुछ मंत्रियों के पासएक से अधिक मंत्रालयों के प्रभार हैं। साथ ही कुछ मंत्रियों की परफ़ोरमेंस आशानुरुप नही रही है। इसलिएराजधानी नई दिल्ली में केंद्रीय मंत्रिमंडल में विस्तार और फेरबदल की अटकलों पर चर्चाओं का बाज़ार तेज है।राजनीतिक सूत्रों के अनुसार इस बार के मंत्रिपरिषद के विस्तार में भी मोदी अपने फ़ैसलों से सभी को चौकासकते हैं। बताया जा रहा है कि मंत्रिपरिषद के विस्तार में उन प्रदेशों के सांसदों और नेताओं को तरजीह मिलनेकी सम्भावना है जहाँ 2024 में होने वाले लोकसभा आम चुनाव होने से पहलें विधानसभा चुनाव होने है।साथ हीप्रधानमंत्री मोदी और उनके चाणक्य अमित शाह के दिमाग़ में दक्षिणी राज्यों में भी सेंधमारी करने का इरादा है।ममता,नीतीश,लालू ,राहुल,हेमन्त सोरन, चंद्र शेखर राव, स्टालिन आदि नेताओं की जुगलबंदी की तोड़ करने केलिए भी मंत्रिपरिषद में इनके प्रभाव वाले प्रदेशों के एनडीए नेताओं को मंत्रिपरिषद में प्राथमिकता देने पर भीविचार किया जा रहा है। कांग्रेस से रिश्ता तोड़ चुके ग़ुलाम नबी आजाद और केप्टिन अमरेन्द्र सिंह जैसे अन्यचेहरों पर भी भाजपा की निगाहें हैं।
नरेन्द्र मोदी के दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद अभी तक एक ही बार केन्द्रीय मंत्रिपरिषद का विस्तार औरफेरबदल हुआ है । अतः इस बार के विस्तार को लोकसभा के आम चुनाव से पहलें अंतिम विस्तार बताया जारहा है। यदि किसी कारण वश मोदी मंत्रिमंडल का विस्तार एवं फेरबदल नही होता है,तो यह देवप्रबोधनीएकादशी यानि नवरात्री और दीपावली के बाद कभी भी हो सकता है। तब तक मोदी और अमित शाह के गृहप्रदेश गुजरात और हिमाचल प्रदेश आदि में विधानसभा चुनाव भी सम्पन्न हों जायेंगे।
राजनीतिक हलकों में केन्द्रीय मंत्रिपरिषद की तरह राजस्थान,छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश प्रदेशों में भी बदलावकी आहट सुनाई दे रही है।हालाँकि दिसम्बर में राजस्थान में अशोक गहलोत और छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेलअपनी सरकारों की चौथी वर्ष गाँठ मनायेंगे। राजनीतिक हलकों में अशोक गहलोत के कांग्रेस अध्यक्ष बनने कीचर्चायें भी जोरों से चल रही है लेकिन जादूगर गहलोत अपना स्टेंड स्पष्ट कर चुके है कि वे राजस्थान से दूर नहीजाने वाले। उन्होंने दोहराया है कि “मैं थां से दूर कोनी…” इधर पिछलें दिनों सचिन पायलट के जन्म दिवस परजयपुर में उनके समर्थकों का उत्साह सातवें आसमान पर देखा गया है । कमोबेश छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेसीअंतर्कलह से जुझ रही हैं। इधर राजस्थान में भाजपा के भी यहीं हाल है ।प्रदेश भाजपा एक से अधिक धड़ों मेंबटी हुई है। हालाँकि केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही अपनी जोधपुर यात्रा में प्रदेश के नेताजी औरकार्यकर्ताओं में नया जोश भरने और एकता का मन्त्र फूँका हैं।इस तरह आने वाले कुछ महीने देश प्रदेश में कईदिलचस्प राजनीतिक घटनाक्रमों का गवाह बनेंगे इसमें कोई संदेह नही है।