क्या है भारत और जापान के मध्य ‘2+2’ मंत्रिस्तरीय वार्ता ?

डॉ संतोष कुमार

अभी पिछले हफ्ते भारत और जापान के मध्य टोक्यो में भारत के विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जापान के विदेश मंत्री हयाशी योशिमासा और रक्षा मंत्री हमादा यासुकाजू ने दूसरे टू प्लस टू संवाद में शिरकत की। जहाँ पर दोनों देशों के मंत्रियों ने इंडो-पसिफ़िक, साउथ चाइना सी तथा अन्य वैश्विक घटनाओ पर विस्तार से चर्चा की। टू प्लस टू वार्ता एक ऐसा मंच हैं जहाँ भारत और जापान के रक्षा मंत्री और विदेश मंत्री एक साथ हिस्सा लेते हैं। इस वार्ता की शुरुआत 2019 में भारत और जापान के मध्य डिफेंस और सिक्योरिटी कोऑपरेशन को और अधिक मजबूत करने के मकसद से की गई थी। आप को बता दे कि भारत जापान के अलावा अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और रूस के साथ भी ‘2+2’ मंत्रिस्तरीय वार्ता करता है।

इस वार्ता के दौरान दोनों देशों के मंत्रियो ने भारत और जापान के मध्य रक्षा सहयोग को और अधिक मजबूत करने और भारत ने जापानीज कम्पनीज़ को भारत में और अधिक निवेश करने के लिए भी आमंत्रित किया और साथ ही साथ दोनों देशों ने जॉइंट मिलिट्री एक्सरसाइजेज जिसमें पहली बार एयरफोर्स को शामिल करने पर भी रजामंदी हुई। ऐसा माना जारहा है कि जॉइंट मिलिट्री अभ्यास से दोनों देशों के दरम्यान और अधिक सहयोग और विस्वास विकसित होगा। दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने विदेश नीति और सुरक्षा मामलो पर अधिक निकटता से सहयोग करने पर जोर दिया। इस वार्ता में दोनों देशों के प्रतिनिधियों ने आर्थिक सहयोग को अधिक मजबूत करने के साथ साथ साइबर सुरक्षा, 5G प्रौद्योगिकी पर चर्चा कि गयी। इस के अतिरिक्त विशेष प्रकार के खनिजों के संबंध में भी दोनों देशों के मंत्रियों ने कहा कि आने वाले समय में मिलकर काम करंगे।

आप को बता दे कि “भारत और जापान डिफेन्स के क्षेत्र में एक दूसरे के साथ खुल के सहयोग कर रहे हैं। दोनों ही देश रक्षा साझेदारी के महत्व को समझते हैं। और एक स्वतंत्र, खुले और रूल बेस्ड इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की वकालत करते हैं। इसलिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जोर देकर कहा कि “भारत-जापान द्विपक्षीय रक्षा अभ्यास में बढ़ती जटिलताएं दोनों देशों के दरमियान रक्षा सहयोग को मजबूत करने का प्रमाण है। और आगे उन्होंने कहा कि भारत-जापान इंडो-पैसिफिक ओशन इनिशिएटिव, इंडो-पैसिफिक पार्टनरशिप फॉर मैरीटाइम डोमेन अवेयरनेस और इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क को आगे बढ़ाने के लिए भी तैयार हैं।

दोनों ही देश एशिया पसिफ़िक कि बदलती हुई जिओपॉलिटिक्स और एग्रेसिव राइज ऑफ़ चीन की स्थिति से भलीभांति परिचित हैं। यही कारण कि भारत और जापान हर एक स्तर पर कदम से कदम मिलकर सहयोग कर रहे है। आपको बता दे कि QUAD की स्थापना 2017 की गयी थी। जिसमें भारत के अतिरिक्त ऑस्ट्रेलिया और यूनाइटेड स्टेट्स भी शामिल हैं। जिसका मकसद चीन के बढ़ते आर्थिक और सैन्य प्रभाव को रोकने के साथ साथ एशिया पसिफ़िक रीजन में शांति और रूल बेस्ड आर्डर स्थापित करना हैं।

निष्कर्षतः यदि यह कहा जाये कि चीन की एशिया पैसिफिक में बढ़ती आक्रामकता और भारतीय बॉर्डर पर चीनी सेना के बढ़ता प्रभाव ने भारत और जापान को अपने संबंधों को और अधिक मजबूत और बहुयामी करने के लिए प्रेरित किया है। यही कारण है कि आज भारत और जापान प्रत्येक स्तर पर चाहे वह द्विपक्षीय हो या फिर बहुपक्षीय हो कंधे से कन्धा मिलाकर सहयोग कर रहे है।

(लेखक: डॉ संतोष कुमार, केंद्रीय विश्वविद्यालय पंजाब, बठिंडा के साउथ एंड सेंट्रल एशियन स्टडीज डिपार्टमेंट में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं।)